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Monday, October 14, 2019

आत्मदीया जगाने का पर्व – दीपावली


धनतेरस
इस मायावी जगत में धन, ऐश्वर्य पाने के लिए धनतेरस को गाय व लक्ष्मी की पूजा की जाती है | यमराज की प्रसन्नता पाने एवं अकाल मृत्यु टालने के लिए इस दिन प्रांगण में दीपदान करना, नैवेद्य धरना | इस दिन जो तुलसी व लक्ष्मीजी की पूजा व आदर करेगा वह धन-धान्य तथा आरोग्य पाकर सुखी रहेगा |

नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी व दिवाली की रात्रि को जागरण व जप विशेष फलदायी होते हैं | नरक चतुर्दशी को मंत्र को चैतन्य की विशेष प्राप्ति होती है, मंत्र की सिद्धि होती है | अगर इस दिन अपने मंत्रो का जप नहीं करते हैं तो वे मलिनता को प्राप्त होते हैं, उनका प्रभाव कम हो जाता है | अगर इस दिन कोई गलती  से भी सूर्योदय के बाद उठता है तो वर्षभर के उसके पुण्यों व सत्कर्मों का प्रभाव कमजोर हो जायेगा | लेकिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेता है तो उसके सत्त्व की अभिवृद्धि होगी |

नरक चतुर्दशी व दीपावली की रात्रि बड़ी हितकारी होती है | इन दिनों में

१] सरसों के तेल का दीया जलाना आँखों के लिए हितकारी है |

२] गोमूत्र पानी की बाल्टी में डालकर स्नान किया जाय तो गंगोदक-स्नान करने का फल होता है और रोमकूपों को लाभ पहुँचता है |

३] गौ-गोबर और गोमूत्र का मिश्रण लगा के नहाना पुण्यदायी और वायु व कफ शामक है |
गुरुगीता का पाठ करने से शत्रुओं का मुँह बंद हो जाता है, दोष-पाप नष्ट हो जाते हैं – ऐसे शिवजी के वचन हैं |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१९ से

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