Search This Blog

Monday, October 14, 2019

ब्रह्ममुद्रा


लाभ : ब्रह्ममुद्रा योग की लुप्त हुई क्रियाओं में से एक महत्त्वपूर्ण मुद्रा है | इसके नियमित अभ्यास से –
१] ध्यान,साधना, सत्संग व अध्ययन में मन लगने लगता है |
२] चक्कर आने बंद होते हैं |
३] अनिद्रा और अतिनिद्रा पर स्थायी प्रभाव पड़ता है |
४] नींद से अधिक सपने आने कम हो जाते हैं |
५] मानसिक अवसाद व तनाव कम होते हैं |
६] एकाग्रता बढती है |
७] कम्प्यूटर या लैपटॉप पर कार्य करनेवालों के लिए यह अत्यंत उपयोगी है | इससे गर्दन की मांसपेशियाँ लचीली व मजबूत होती हैं तथा यह सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस में लाभदायी है |
८] मस्तिष्क में रक्तसंचार तेज होता है |
९] थकान एवं आँखों की कमजोरी दूर होती है | इससे यह अध्ययन करनेवाले छात्रों के लिए विशेष लाभप्रद है |

विधि : वज्रासन या पद्मासन में कमर सीधी रखते हुए बैठे | हाथों को घुटनों पर रखें | कंधों को ढीला रख के गर्दन को सिर के साथ ऊपर-नीचे करें | सिर को ऊपर ले जाते समय आरामपूर्वक जितना अधिक पीछे ले जा सकें, ले जायें | श्वास की गति स्वाभाविक रहे | फिर गर्दन को सीधा रखते हुए दायी तरफ इतना घुमायें की ठोड़ी और कंधा एक ही सीध में आ जायें | इस स्थिति में कुछ सेकंड रुकें | फिर इसी प्रकार गर्दन को बायीं तरफ ले जाकर सेकंड रुकें | अंत में गर्दन ढीली छोड़ के गोलाई में चारों तरफ, फिर विपरीत दिशा से चारों तरफ गोल घुमायें | इस कर्म में कानों को कंधों से छुआयें |प्रत्येक क्रिया ५-१० बार खूब धीरे-धीरे करें |

सावधानियाँ : अ] गर्दन को ऊपर-नीचे करते समय झटका न दें |
ब] परी क्रिया के दौरान आँखें खुली रखें |        
क] गर्दन या गले में कोई गम्भीर रोग हो तो चिकित्सक की सलाह से ही करें |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१९ से

No comments: