८४ लाख योनियों के प्राणियों में गाय ही एक ऐसा
प्राणी है जिसका गोबर (पुरीष) मल नहीं है बल्कि उत्कृष्ट कोटि का मलशोधक,
रोगाणु-विषाणुनाशक तथा लाभकारी जीवाणुओं का पोषक है |
१] गोबर व गोमूत्र से पृथ्वी की उत्पादन शक्ति बढती
है |
२] गोबर सभी प्रकार के चर्मरोगों की श्रेष्ठ औषधि है
|
३] जले हुए भाग पर स्वस्थ गाय के गोबर का रस लगाना
लाभकारी है |
४] गोबर में परमाणु विकिरण व आकाशीय विद्युत् को
रोकने की क्षमता है |
५] दीवारों, आँगन, चूल्हे पर इसका लेप करने से सभी
प्रकार के कीटाणुओं व रेडिओधर्मिता के प्रभाव से बचा जा सकता है |
६] गोबर में ऐसी क्षमता है कि यदि कूड़े-कचरे के ढेर
में इसका घोल डाला जाय तो ३-४ महीने में उसकी उपयोगी खाद बन जाती है |
७] इसके कंडो को ईंधन के रूप में जलाने के बाद बची
हुई राख एक उत्तम कीटनाशक व खाद है | खेतों में राख पड़ने से दीमक आदि कीड़े नहीं पनपते तथा फसल अच्छी होती है |
८] गोबर के कंडों की राख बर्तनों की सफाई में उपयोगी
है | क्लीनिंग पाउडर से बर्तन साफ़ करने पर हाथों में चर्मरोग होने का खतरा रहेगा
और यदि ठोड़ी भी मात्रा में पाउडर बर्तनों में लगा रह जाता है तो शरीर को हानि
पहुंचेगी | गोबर के कंडे की राख से बर्तनों को जो पवित्रता मिलती है वह क्लीनिंग
पाउडर आदि से नहीं मिलती है |
लोककल्याण सेतु – अक्टूबर २०१९ से
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