गोमूत्र सभी रोगों, विशेषकर गुर्दे, यकृत, पेट के
रोग, कुष्ठरोग, ह्रदयरोग, दमा, पीलिया, प्रेमह, मधुमेह, अजीर्ण तथा जलोदर के लिए
रामबाण औषधि है | इसमें २४ प्रकार के रसायन जैसे – पोटैशियम, कैल्शियम,
मैग्नेशियम, फ्लोराइड, यूरिया, अमोनिया, लौह तत्त्व, ताम्र तत्त्व, सल्फर, लैक्टोज
आदि पाये जाते हैं | २५ जून २००२ को भारत लप गोमूत्र का पेटंट मिला | आज सम्पूर्ण
विश्व में एंटी-कैंसर ड्रग तथा सर्वोत्तम एंटीबायोटिक एवं हानिरहित सर्वोत्तम
कीटकनाशक गोमूत्र है | यह महौषधि है |
भावप्रकाश के अनुसार ‘गोमूत्र तीखा, तेज, उष्ण, क्षार
(खारा), कड़वा, कसैला, लघु (पचने में हलका), जठराग्नि-प्रदीपक, मेधा के लिए हितकर,
पित्तकारक तथा कफ-वातशामक है | यह शूल (दर्द), गुल्म (उदरस्थ गाँठ), उदररोग, कब्ज,
खुजली, कृमि, अतिसार, अफरा, नेत्ररोग, वस्ति संबंधी रोग, मुख के रोग, कुष्ठ,
वातरोग, आम, मूत्र-संबंधी रोग, त्वचा-विकार, खाँसी, श्वास (दमा), सूजन, पीलिया तथा
पांडूरोग (अनामिया) को नष्ट करता हैं |’
गोमूत्र विषनाशक है | यह विषाक्त भोजन या औषधि के विष
को अथवा मानसिक विषादजन्य विष को समाप्त करता है, घाव में पैदा होनेवाले मवाद को
सुखाता है | यह सडनरोधी (एन्टीसेफ्टिक) व रोगाणुरोधक (एन्टीबायोटिक) तथा
रोगप्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है | गोमूत्र में विटामिन ‘बी’ तथा कार्बोलिक एसिड
होता है जो रोगाणुओं का नाश करता है | ताजा गोमूत्र सर्वोत्तम है | इसे रखना हो तो
काँच के बर्तन में ८ पर्तवाले सूती कपड़े से छानकर रखना चाहिए | यदि गोमूत्र नहीं
मिले तो गोमूत्र अर्क का सेवन करें |
गोमूत्र से आँखों को धोने से उनकी ज्योति वृद्धावस्था
तक बनी रहती है | इसके सेवन से पेट के कीड़े
मर जाते हैं | इसलिए प्रसूता स्त्री के लिए इसका सेवन महत्त्वपूर्ण बताया
गया है | गोमूत्र को गुनगुना करके कान में डालने से कान का बहना बंद हो जाता है |
काली गाय के मूत्र को १५ दिन तक पीने से गले में सुंदर स्वर उत्पन्न होता है |
अमेरिकन डॉ, क्रॉफोर्ड हैमिल्टन का कहना है कि, ‘कुछ
दिनों तक गोमूत्र के सेवन से धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य होने से ह्रदयरोग
दूर होता है | इसके सेवन से भूख बढती है तथा पेशाब खुलकर होता है | यह गुर्दे की
विफलता की उत्तम औषधि है |’
ध्यान दें : गोमूत्र देशी गाय का ही होना चाहिए, बैल
आदि या जर्सी, होल्सटीन आदि विदेशी पशुओं का नहीं.
लोककल्याण सेतु – अक्टूबर २०१९ से
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