सूर्य मंत्र
गर्मी से
उत्पन्न शारीरिक रोग, बुद्धि की विकलता ( उन्माद, पागलपन) अथवा दुर्वलता,
दृष्टी-रोग, अग्नि-तत्त्व की विषमता, शरीर में जलन आदि हो तो इनके निवारण के लिए
सूर्य मंत्र है | किसी भी अमावस्या को ४० बार जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता
है :
ॐ नमोऽस्तु दिवाकराय अग्नितत्त्वप्रवर्धकाय
शमय शमय शोषय शोषय
अग्नितत्त्वं समतां कुरु कुरु ॐ ||
चन्द्र
मंत्र
शीत से
उत्पन्न वायु-प्रधान रोगों में चन्द्र मंत्र से लाभ होता है | मंत्र है :
ॐ चन्द्रो में चान्द्रमसान् रोगानपहरतु |
औषधिनाथाय वै नम: |
ॐ स्वात्मसम्बन्धिन: सर्वत: सर्वरोगान् शमय शमय तत्रैव पातय पातय |
शक्तिं चोद्भावयोद्भावय ||
किसी पर्व
अथवा पुण्य दिवस पर चन्द्र मंत्र का २०० बाद ( दो माला ) जप करने से मंत्र सदा के
लिए सिद्ध हो जाता है | और अगर चन्द्रग्रहण के समय जप कर लिया जाय तो केवल २०-२५
बार जप करनेमात्र से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है |
मंत्रसिद्धि
के बाद इनमें से जिस मंत्र की आवश्यकता हो उसका पानी में देखते हुए ५, ७ या ११ बार
जप करें | यह अभिमंत्रित जल रोगी को स्पर्श कराने , लगाने, पिलाने और उससे स्नान कराने से भी बहुत लाभ
होगा |
इन मंत्रों का उपयोग अपने परिचितों, हितैषियों के लिए भी कर सकते हैं, अपने
लिए भी कर सकते हैं |
ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०१९ से
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