संक्रांति का स्नान रोग, पाप और निर्धनता को हर लेता
है | जो उत्तरायण पर्व के दिन स्नान नहीं कर पाता वह ७ जन्म तक रोगी और दरिद्र
रहता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है |
संक्रांति के दिन देवों को दिया गया हव्य
(यज्ञ, हवन आदि में दी जानेवाली आहुति के द्रव्य ) और पितरों को दिया गया कव्य
(पिंडदान आदि में दिया जानेवाला द्रव्य ) सूर्यदेव की करुणा-कृपा के द्वारा भविष्य
के जन्मों में कई गुना करके तुम्हें लौटाया जाता है |
संक्रांति के दिन किये हुए
शुभ कर्म करोड़ों गुना फलदायी होते हैं | सुर्यापासना और सूर्यकिरणों का सेवन,
सूर्यदेव का ध्यान विशेष लाभकारी है |
इस दिन तो सूर्यदेव के मूलमंत्र का जप करना बहुत
हितकारी रहेगा, और दिन भी करें तो अच्छा है | आप जीभ तालू में लगाकर इसे पक्का
करिये | अश्रद्धालु, नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता | यह तो भारतीय
संस्कृति के सपूतों के लिए है | बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की
महत्ता बताओ, उनकी ललक जगाओ, बाद में उनको मंत्र बताओ | मंत्र है :
ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: |
(पद्म पुराण)
यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है | इससे तुम्हारा
सुर्यकेन्द्र सक्रिय होगा | और यदि भगवान् सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो
तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी | बुद्धि में ब्रह्मसुख,
ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा | अगर नाभि में सूर्यदेव का ध्यान करोगे तो
आरोग्य-केंद्र सक्षम रहेगा, आप बिना दवाइयों के निरोग रहोगे |
लोककल्याण सेतु – दिसम्बर २०१९ से
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