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Monday, December 30, 2019

शास्त्रों का प्रसाद



v  मल-मूत्र से अशुद्ध हो जानेवाले मिट्टी, ताँबा और सुवर्ण के पात्र पुन: आग में पकाने से शुद्ध होते हैं |
v उपरोक्त से अन्य किसी प्रकार से अशुद्ध हो जानेवाले ताँबे के पात्र अम्ल (खट्टे पदार्थ ) मिश्रित जल से शुद्ध होते हैं |
v  काँसे और लोहे के बर्तन क्षार (राख आदि) से मलने पर पवित्र होते हैं |
v मोती आदि की शुद्धि केवल जल से धोने पर ही हो जाती है | जल से उत्पन्न शंख आदि के बने बर्तनों, सब प्रकार के पत्थर के बने हुए पात्रों तथा साग, रस्सी, फल, मूल और दालों की शुद्धि भी इसी प्रकार जल से धोनेमात्र से हो जाती है |[वर्तमान में फलों को पकाने, अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने आदि हेतु रसायनों (केमिकल्स) का उपयोग किया जाता है, अत: उन्हें उपयोग से पूर्व अच्छी तरह धोना चाहिए | सेव आदि फलों पर मोम, केमिकल की पर्त चढ़ी रहती है, जिसे चाक़ू से खुरच के निकलना चाहिए |]

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०१९ से

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