यज्ञ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
१] याजक को यज्ञ करते समय सिले हुए चुस्त कपड़े नहीं
पहनने चाहिए, खुले कपड़े पहनने चाहिए ताकि यज्ञ का जो वातावरण या सात्त्विक धुआँ है
वह रोमकूपों पर सीधा असर करे |
२] अग्नि की ज्वाला सीधी आकाश की तरफ जाती है अत:
यज्ञमंडप के ऊपर छप्पर होना चाहिए ताकि यज्ञ की सामग्री का जो प्रभाव है वह सीधा
ऊपर न जाय, आसपास में फैले |
३] यज्ञ में जो वस्तुएँ डाली जाती हैं उनके लाभकारी
रासायनिक प्रभाव को उत्पन्न करने में जो लकड़ी मदद करती है वैसी ही लकड़ी होनी चाहिए
| इसलिए कहा गया है : ‘अमुक यज्ञ में पीपल की लकड़ी हो.... अमुक यज्ञ में आम की
लकड़ी हो....’ ताकि लकड़ियों का एवं यज्ञ की वस्तुओं का रासायनिक प्रभाव वातावरण पर
पड़े |... किंतु आज ऐसे यज्ञ आप कहाँ ढूँढटे फिरेंगे ? मैं एक सरल युक्ति बताता हूँ
|”
लोककल्याण सेतु – दिसम्बर २०१९ से
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