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Sunday, April 4, 2021

इन तिथियों का लाभ अवश्य लें

 


२१ अप्रैल        : श्रीराम नवमी

२३ अप्रैल       : कामदा एकादशी (व्रत से ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश )

२७ अप्रैल से २६ मई : वैशाख मास व्रत ( वैशाख मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, प्रात: पुण्यस्नान आदि शुभ कर्मों का अक्षय तथा १०० करोड़ गुना अधिक पुण्य )

२ मई               : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस, रविवारी सप्तमी ( दोपहर २:५१ से ३ मई सूर्योदय तक )

७ मई               : वरूथिनी एकादशी (सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक व्रत; १०,००० वर्षों की तपस्या के समान फल | माहात्म्य पढ़ने-सुनने से १००० गोदान का फल )

१४ मई            : अक्षय तृतिया ( पूरा दिन शुभ मुहूर्त ), त्रेता युगादि तिथि ( स्नान, दान, जप, तप, हवन आदि का अनंत फल ), विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर १२:३५ से सूर्यास्त ) ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल )

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से   

   

पाँच महाव्रत

 

जिसके जीवन में पाँच महाव्रत आ जायें उसको तो न चाहने पर भी भगवान मिल जायेंगे | भगवान की इच्छा न हो तब भी भगवत्साक्षात्कार हो जायेगा |

१] अहिंसा                   : किसीको मारें नहीं |

२] सत्य                      : झूठ न बोलें |

३] अस्तेय                   : चोरी न करें |

४] ब्रह्मचर्य

५] अपरिग्रह                : (अनावश्यक ) संग्रह न करें |

ये पाँच महाव्रत हैं | इनको धारण करनेवाला व्यक्ति न चाहे तब भी महान आत्मा हो जायेगा, सुप्रसिद्ध आत्मा हो जायेगा और उसके होनेमात्र से जो होना चाहिए वह होने लगेगा, जो नहीं होना चाहिए उसको वह तुरंत रोक सकता है |

मनुष्यै: क्रियते यत्तु तन्न शक्यं सुरासुरै : | ( ब्रह्मपुराण : २७.७० )

मनुष्य इन पाँच महाव्रतों के आधार पर जो कर सकता है वह देवता भी नहीं कर सकते हैं और दैत्य भी नहीं कर सकते हैं |

और एक केवल ब्रह्मचर्य-व्रत पाले तो भी चार वेद पढ़ने का जो फल होता है या तप करनेवाला उस फल से स्वत: सम्पन्न हो जाता है |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

अक्षय फलदायी अक्षय तृतीया

 

(अक्षय तृतीया : १४ मई )

अक्षय तृतीया त्रेतायुग का प्रारम्भ दिवस, नर-नारायण का प्राकट्य दिवस, परशुरामजी का प्राकट्य दिवस, भगवान हयग्रीव का अवतार दिवस, किसानों के कृषि-कार्य का आरम्भ दिवस, नूतन वर्ष का प्रारम्भ दिवस है | किसान इस दिन को वर्ष के प्रारम्भ का शुभ दिन मानकर खेत-खलियान में प्रवेश करे तो उसे बरकत आने के शकुन मानते हैं |

अक्षय तृतीया भगवान बद्रीनाथ के पट खुलने का दिवस है तो आपके दिल के दिलबर के पट खुलने का दिवस भी है | हरि हमारे ह्रदय के पट खोलें | ‘हरि ॐ शांति...’ जितना प्रीतिपूर्वक होठों में जपते जाओगे, जप के अर्थ में शांत होए जाओंगे, उतना ही जो ह्रदय में छुपा बद्रीनाथ भगवान है उसके पट भी खुलने के दिन निकट आ जायेंगे |

इस दिन छाता, मटकी और भी चीज-वस्तुओं का दान करने का अक्षय फल तो होता है किंतु भगवान का ध्यान, जप करके अपना अहंकार दान करना तो महाराज ! उसका असीम फल होता है | अक्षय तृतीया को जो - जो करो उसका फल अनंत गुना होता है |

बच्चे-बच्चियाँ ! ध्यान देना बेटे ! अक्षय तृतीया के दिन किसी भी इच्छा से तुम जप करोगे तो वह अनंत गुना फल देगा | चाहे भगवान की प्रीति के लिए करो, चाहे भगवान के ज्ञान के लिए करो, चाहे भगवदरस के लिए करो, चाहे ब्रह्मचर्य पालने के लिए करो, चाहे कुटुम्ब में सुख-शांति के लिए करो.... जिसके लिए भी जप करोगे वह फलेगा |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ

 


अक्षय तृतीया को पीपल-परिक्रमा का फल

जो व्यक्ति अक्षय तृतीया ( १४ मई २०२१ ) के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर पीपल को जल अर्पित करके उसकी १०८ परिक्रमाएँ करता है  वह एक वर्ष तक अनेक अनिष्टों से रक्षित रहता है , उसकी संतानें सुखी होती है, उसके कार्य निर्बाध गति से होते है तथा उसे धन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है |


ऋषिप्रसाद- अप्रैल २०२१ से

भय दूर करने हेतु

 


आनंद रामायण में आता है कि सोते समय या प्रात: अथवा यात्रा के आरम्भ के समय कोई भयभीत व्यक्ति हनुमानजी के ये १२ नाम लेता है तो उसका भय दूर हो जाता है |

१] हनुमान

२] अंजनीसुत (अंजनीपुत्र)

३] वायुपुत्र

४] महाबली

५] रामेष्ट अर्थात रामजी के प्रिय

६] फाल्गुनसख ( अर्जुन के मित्र)

७] पिंगाक्ष (भूरे नेत्रवाले)

८] अमिताविक्रम ( अनंत बलशाली)

९] उदधिक्रमण (समुद्र लाँघनेवाले )

१०] सीताशोकविनाशन

११] लक्ष्मणप्राणदाता

१२] दशग्रीवदर्पहा अर्थात रावण के घमंड को दूर करनेवाले |

षिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

वासनाओं की विदाई और प्रभु की प्राप्ति !

 

वासना ने रावण को कही का नहीं रखा और निर्वासनिक शबरी, राजा जनक आदि ने पूर्णता पा ली | निर्वासनिक होने के लिए श्वास अंदर जाय तो प्रभु का नाम बाहर आये तो गिनती | मुलबंध करके इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करो तो वासनाओं की विदाई और प्रभु की प्राप्ति !

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

सर्वरोगहारी निम्ब (नीम ) सप्तमी

 


(निम्ब सप्तमी : १९ मई ) भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतुजी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी ( वैशाख शुक्ल सप्तमी ) की महिमा बताते हुए कहते हैं : “इस दिन निम्ब-पत्र का सेवन किया जाता है | यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरनेवाली है | इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए | सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुडोद्क (गुड़-मिश्रित जल ) समर्पित करे फिर निम्न-मंत्र द्वारा निम्ब की प्रार्थना करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके १०-१५ कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करें |

त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा |

सर्वरोगहर: शान्तो भव में प्राशनं सदा ||

‘हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो | तुम कटु स्वभाववाले हो | तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ |’

इस मंत्र से निम्ब का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठे के सुर्यमंत्र का जप करे | भगवान सूर्य का मूल मंत्र है : ‘ॐ खखोल्काय नम: |’ सूर्य का गायत्री मंत्र है : ‘ ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि | तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् |’

इसके बाद मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करें |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

घमौरियों हों तो

 

·      नीम के १० ग्राम फूल व थोड़ी मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें | इससे घमौरियाँ  शीघ्र गायब हो जायेंगी |

·      नारियल तेल में नींबू-रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ गायब हो जाती हैं |

·      मुलतानी मिट्टी लगा के कुछ मिनट बाद स्नान करने से गर्मी और घमौरियों का शमन होता है |


ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

ग्रीष्म ऋतू में ( १९ अप्रैल से २० जून )

 

क्या करें

१] ग्रीष्म ऋतू में मधुर रस-प्रधान, शीतल, द्रवरूप (शरबत, पना आदि तरल पदार्थ ) और स्निग्ध (घी, तेल आदि से युक्त ) अन्न-पानों का सेवन करना चाहिए |  (चरक संहिता )

२] पुराने चावल, मूँग दाल,परवल, लौकी, पेठा, पका हुआ लाल कुम्हड़ा, तोरई, बथुआ, चौलाई, अनार, तरबूज, खरबूजा, मीठे अंगूर, किशमिश, ककड़ी, आम, संतरा, नारियल-पानी, नींबू, सत्तू, हरा धनिया, मिश्री, देशी गाय का दूध, घी आदि पदार्थों का सेवन हितकारी है |

३] सादा अथवा मटके का पानी स्वास्थ्यप्रद है | थोड़ी-सी देशी खस (गाँडर घास ) अथवा चंदन की लकड़ी का टुकड़ा मटके में डाल दें | इसका पानी पीने से बार-बार लगनेवाली प्यास व गर्मी कम होती है |

४] ब्राह्ममुहूर्त में उठकर शीतल हवा में घूमना, सूती व सफेद या हलके रंग के वस्त्र पहनना, चाँदनी में खुली हवा में सोना हितकारी है |

५] जलन होती हो तो रोज खाली पेट गोदुग्ध में २ चम्मच देशी गोघृत मिलाकर पीना चाहिए | शहद खाकर ऊपर से पानी पीने से भी जलन कम होती है |

६] ठंडे पानी में जौ अथवा चने का सत्तू मिश्री व घी मिलाकर पियें | इससे सम्पूर्ण ग्रीष्मकाल में शक्ति बनी रहेगी |

क्या न करें

१] गरिष्ठ या देर से पचनेवाले, बासी, खट्टे, तले हुए, मिर्च –मसालेवाले तथा उष्ण प्रकृति के पदार्थ, बर्फ या बर्फ से बनी चीजें, उड़द की दाल, लहसुन, खट्टा दही, बैगन आदि के सेवन में परहेज रखें |

२] दूध और फलों के संयोग से बना मिल्कशेक, कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रिज में रखी तथा बेकरी की वस्तुओं आदि का सेवन न करें | गन्ने के रस में बर्फ या नमक डाल के नहीं पीना चाहिए | ( धातु से बनी घानियों से निकाला हुआ गन्ने का रस पित्त और रक्त को दूषित करनेवाला होता है | अत: गन्ने का रस पीने की अपेक्षा गन्ना चुसकर खाना अधिक लाभकारी होता है |)

३] अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम एवं मैथुन त्याज्य हैं |

४] ए. सी. या कूलर की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |

५] एकदम ठंडे वातावरण से निकलकर धुप में न जायें | धुप से आकर एकदम पानी न पियें | थोडा रुक के पसीना सुख जाने के बाद और शरीर का तापमान सामान्य होने पर ही जल आदि पीना चाहिए |

६] घमौरियों के लिए पाउडर का उपयोग नहीं करना चाहिए | इससे रोमकूप बंद हो जाते हैं और पसीना नहीं निकल पाता | पसीना नहीं निकलने से चर्मरोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

बिगड़ी हुई जीवनशैली की समस्याओं में लाभदायी : आँवला


 

पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है कि “ आँवले का बड़ा भारी महत्त्व है | आँवला सर्वश्रेष्ठ रसायन हैं | इसके सेवन से शक्ति, स्फूर्ति और शीतलता का संचार होता है | यह शरीर की पुष्ट बनाता है, नेत्रज्योति बढाता है | पित्त-प्रकोप से होनेवाली आँखों की जलन, पेशाब में जलन, बवासीर आदि को यह दूर करता है | गर्मियों (ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल से २० जून) में तो यह वरदानस्वरूप है |” पूज्य बापूजी ने आँवले की उपयोगिता के साथ-साथ इसके वृक्षों को लगाने का भी प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर करके समाज को लाभान्वित किया है |

वर्तमान समय में पेट की उष्णता एक बड़ी समस्या बना गयी है | ग्रीन हाउस गैसों के कारण वातावरण गर्मीवर्धक हो गया है | इससे तथा रात्रि-जागरण व मोबाइल, कम्प्यूटर, टी. वी. आदि के बढ़ते उपयोग से भी लोगों के शरीर में आंतरिक गर्मी बढ़ रही है | फास्ट फूड, चाय-कॉफ़ी व अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन तथा असमय खाने से पाचन-संबंधी समस्याएँ होती हैं एवं शारीरिक गर्मी बढती है | इस बिगड़ी हुई जीवनशैली का एक गम्भीर दुष्परिणाम है – पुरुषों में शुक्र धातु दौर्बल्य व स्वप्नदोष एवं महिलाओं में पानी पड़ने की बीमारी (श्वेतप्रदर ) |

पुरुषों व महिलाओं की इन गम्भीर समस्याओं में आँवले का सेवन अत्यंत लाभदायी है | आँवला चूर्ण में मिश्री मिलाकर लें | इसका सेवन बढ़ी हुई उष्णता को मल के साथ बाहर निकालता है | यह गर्मी के दिनों में अत्यंत लाभदायी है | शीतल व वीर्यपोषक गुण से यह वीर्य को पुष्ट करके शीतलता, ताजगी, स्फूर्ति व बल प्रदान करता है तथा महिलाओं की पानी पड़ने की बीमारी में भी लाभदायी है |

ताजे आँवलों से बना ‘च्यवनप्राश’ भी शक्ति, स्फृति, ताजगी तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने हेतु श्रेष्ठ औषधि है | च्यवनप्राश व मिश्रीयुक्त ‘आँवला चूर्ण’ के साथ ही आँवला रस, आँवला कैंडी, आँवला आचार, आँवला पाउडर आदि आँवले से बने उत्पाद संत श्री आशारामजी आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकते हैं | इनका उपयोग करके आँवले के विभिन्न गुणों का लाभ ले सकते हैं |

सावधानी : रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है, शुक्रवार को कम लें |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से