(अक्षय तृतीया :
१४ मई )
अक्षय तृतीया
त्रेतायुग का प्रारम्भ दिवस, नर-नारायण का प्राकट्य दिवस, परशुरामजी का प्राकट्य
दिवस, भगवान हयग्रीव का अवतार दिवस, किसानों के कृषि-कार्य का आरम्भ दिवस, नूतन
वर्ष का प्रारम्भ दिवस है | किसान इस दिन को वर्ष के प्रारम्भ का शुभ दिन मानकर
खेत-खलियान में प्रवेश करे तो उसे बरकत आने के शकुन मानते हैं |
अक्षय तृतीया
भगवान बद्रीनाथ के पट खुलने का दिवस है तो आपके दिल के दिलबर के पट खुलने का दिवस
भी है | हरि हमारे ह्रदय के पट खोलें | ‘हरि ॐ शांति...’ जितना प्रीतिपूर्वक होठों
में जपते जाओगे, जप के अर्थ में शांत होए जाओंगे, उतना ही जो ह्रदय में छुपा बद्रीनाथ
भगवान है उसके पट भी खुलने के दिन निकट आ जायेंगे |
इस दिन छाता, मटकी
और भी चीज-वस्तुओं का दान करने का अक्षय फल तो होता है किंतु भगवान का ध्यान, जप
करके अपना अहंकार दान करना तो महाराज ! उसका असीम फल होता है | अक्षय तृतीया को जो
- जो करो उसका फल अनंत गुना होता है |
बच्चे-बच्चियाँ !
ध्यान देना बेटे ! अक्षय तृतीया के दिन किसी भी इच्छा से तुम जप करोगे तो वह अनंत
गुना फल देगा | चाहे भगवान की प्रीति के लिए करो, चाहे भगवान के ज्ञान के लिए करो,
चाहे भगवदरस के लिए करो, चाहे ब्रह्मचर्य पालने के लिए करो, चाहे कुटुम्ब में
सुख-शांति के लिए करो.... जिसके लिए भी जप करोगे वह फलेगा |
ऋषिप्रसाद
– अप्रैल २०२१ से
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