जो व्यक्ति अक्षय तृतीया
( १४ मई २०२१ ) के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर पीपल को जल अर्पित करके
उसकी १०८ परिक्रमाएँ करता है वह एक वर्ष
तक अनेक अनिष्टों से रक्षित रहता है , उसकी संतानें सुखी होती है, उसके कार्य
निर्बाध गति से होते है तथा उसे धन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है |
ऋषिप्रसाद-
अप्रैल २०२१ से
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