वासना ने रावण को
कही का नहीं रखा और निर्वासनिक शबरी, राजा जनक आदि ने पूर्णता पा ली | निर्वासनिक
होने के लिए श्वास अंदर जाय तो प्रभु का नाम बाहर आये तो गिनती | मुलबंध करके इस
प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करो तो वासनाओं की विदाई और प्रभु की प्राप्ति !
ऋषिप्रसाद
– अप्रैल २०२१ से
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