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Sunday, April 4, 2021

सर्वरोगहारी निम्ब (नीम ) सप्तमी

 


(निम्ब सप्तमी : १९ मई ) भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतुजी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी ( वैशाख शुक्ल सप्तमी ) की महिमा बताते हुए कहते हैं : “इस दिन निम्ब-पत्र का सेवन किया जाता है | यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरनेवाली है | इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए | सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुडोद्क (गुड़-मिश्रित जल ) समर्पित करे फिर निम्न-मंत्र द्वारा निम्ब की प्रार्थना करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके १०-१५ कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करें |

त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा |

सर्वरोगहर: शान्तो भव में प्राशनं सदा ||

‘हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो | तुम कटु स्वभाववाले हो | तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ |’

इस मंत्र से निम्ब का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठे के सुर्यमंत्र का जप करे | भगवान सूर्य का मूल मंत्र है : ‘ॐ खखोल्काय नम: |’ सूर्य का गायत्री मंत्र है : ‘ ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि | तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् |’

इसके बाद मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करें |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०२१ से

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