(निम्ब सप्तमी :
१९ मई ) भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतुजी राजा शतानीक को निम्ब
सप्तमी ( वैशाख शुक्ल सप्तमी ) की महिमा बताते हुए कहते हैं : “इस दिन निम्ब-पत्र
का सेवन किया जाता है | यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरनेवाली है | इस दिन
भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए | सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए
नैवेद्य के रूप में गुडोद्क (गुड़-मिश्रित जल ) समर्पित करे फिर निम्न-मंत्र द्वारा
निम्ब की प्रार्थना करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके १०-१५ कोमल पत्ते प्राशन
(ग्रहण) करें |
त्वं निम्ब कटुकात्मासि
आदित्यनिलयस्तथा |
सर्वरोगहर: शान्तो
भव में प्राशनं सदा ||
‘हे निम्ब ! तुम
भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो | तुम कटु स्वभाववाले हो | तुम्हारे भक्षण करने से
मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ |’
इस मंत्र से निम्ब
का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठे के सुर्यमंत्र का
जप करे | भगवान सूर्य का मूल मंत्र है : ‘ॐ खखोल्काय नम: |’ सूर्य का गायत्री
मंत्र है : ‘ ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि | तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् |’
इसके बाद मौन रहकर
बिना नमक का मधुर भोजन करें |
ऋषिप्रसाद
– अप्रैल २०२१ से
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