पूज्य बापूजी के
सत्संग में आता है कि “ आँवले का बड़ा भारी महत्त्व है | आँवला सर्वश्रेष्ठ रसायन
हैं | इसके सेवन से शक्ति, स्फूर्ति और शीतलता का संचार होता है | यह शरीर की
पुष्ट बनाता है, नेत्रज्योति बढाता है | पित्त-प्रकोप से होनेवाली आँखों की जलन,
पेशाब में जलन, बवासीर आदि को यह दूर करता है | गर्मियों (ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल
से २० जून) में तो यह वरदानस्वरूप है |” पूज्य बापूजी ने आँवले की उपयोगिता के साथ-साथ
इसके वृक्षों को लगाने का भी प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर करके समाज को लाभान्वित
किया है |
वर्तमान समय में
पेट की उष्णता एक बड़ी समस्या बना गयी है | ग्रीन हाउस गैसों के कारण वातावरण
गर्मीवर्धक हो गया है | इससे तथा रात्रि-जागरण व मोबाइल, कम्प्यूटर, टी. वी. आदि
के बढ़ते उपयोग से भी लोगों के शरीर में आंतरिक गर्मी बढ़ रही है | फास्ट फूड,
चाय-कॉफ़ी व अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन तथा असमय खाने से पाचन-संबंधी
समस्याएँ होती हैं एवं शारीरिक गर्मी बढती है | इस बिगड़ी हुई जीवनशैली का एक
गम्भीर दुष्परिणाम है – पुरुषों में शुक्र धातु दौर्बल्य व स्वप्नदोष एवं महिलाओं
में पानी पड़ने की बीमारी (श्वेतप्रदर ) |
पुरुषों व महिलाओं
की इन गम्भीर समस्याओं में आँवले का सेवन अत्यंत लाभदायी है | आँवला चूर्ण में
मिश्री मिलाकर लें | इसका सेवन बढ़ी हुई उष्णता को मल के साथ बाहर निकालता है | यह
गर्मी के दिनों में अत्यंत लाभदायी है | शीतल व वीर्यपोषक गुण से यह वीर्य को
पुष्ट करके शीतलता, ताजगी, स्फूर्ति व बल प्रदान करता है तथा महिलाओं की पानी पड़ने
की बीमारी में भी लाभदायी है |
ताजे आँवलों से
बना ‘च्यवनप्राश’ भी शक्ति, स्फृति, ताजगी तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने हेतु
श्रेष्ठ औषधि है | च्यवनप्राश व मिश्रीयुक्त ‘आँवला चूर्ण’ के साथ ही आँवला रस,
आँवला कैंडी, आँवला आचार, आँवला पाउडर आदि आँवले से बने उत्पाद संत श्री आशारामजी
आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त हो सकते हैं | इनका उपयोग करके
आँवले के विभिन्न गुणों का लाभ ले सकते हैं |
सावधानी : रविवार
को आँवले का सेवन वर्जित है, शुक्रवार को कम लें |
ऋषिप्रसाद
– अप्रैल २०२१ से
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