हरड विकृत कफ एवं मल का नाश क्रेक बुद्धि तथा ज्ञानेन्द्रियों व
कर्मेन्द्रियों का जडत्व नष्ट कर उन्हें सबल बनाती है एवं बल, ओज व वर्ण की वृद्धि करती हैं | अत:
आर्युर्वेद ने इसे ‘कायस्था’ तथा ‘मेध्या’ नामों से
गौरवान्वित किया है | सोंठ उत्तम जठराग्निवर्धक, पाचक,
कफ-वात-आमदोष तथा दर्द नाशक, वीर्यवर्धक व ह्रदय के लिए
हितकर है | आयुर्वेद ने सोंठ को ‘विश्वभेषज’ सम्भोधित कर
इसके औषधीय मूल्यों को प्रकाशित किया है |
पथ्यकर पुराने गुड़ के साथ इन दो श्रेष्ठ औषधीय द्रव्यों का संयोग कर ‘उत्तम
रसायन’ बनाया गया है | यह योग रोग के कारणों को जड़
से मिटानेवाला, आरोग्य व दीर्घायुष्य प्रदायक है | ह्रदयरोग, आमवात (गठिया), संधिवात, सूजन तथा कफजन्य विकार,
जैसे – श्वास (asthma), सर्दी, खाँसी,
जुकाम तथा पाचन-संस्थान से सम्बधित विकारों, जैसे – मंदाग्नि,पेटदर्द, वायु, कब्ज आदि में
यह विशेष लाभदायी है | इसके सेवन से भोजन का सम्यक पाचन व उत्तम आहार-रस क निर्माण
होने से शरीर को स्फूर्ति-सम्पन्न, सशक्त व निरोग होने में
सहायता मिलती है |
सेवन विधि : २ – २ गोलियाँ दिन में २ बार भोजन के बाद गुनगुने पानी से लें |
ऋषिप्रसाद – मई २०२१ से
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