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Wednesday, May 5, 2021

ग्रीष्मकालीन समस्याओं व गर्मी से बचने हेतु विशेष

 

(ग्रीष्म ऋतू : १९ अप्रैल से २० जून तक )

१] ग्रीष्म ऋतू में खान-पान सुपाच्य हो, थोडा कम हो, पानी पीना अधिक हो और रात्रि को जल्दी शयन करें | भोर (प्रात:काल ) में नहा – धो लें ताकि गर्मी निकल जाय | नहाने में मुलतानी मिटटी का उपयोग कर सकते हैं |



सप्तधान्य उबटन पापनाशक व सात्त्विकतादायक है | ग्रीष्म ऋतू में इसका भी उपयोग करना लाभदायी है | इस ऋतू में शैम्पू, रासायनिक साबुनों से परहेज आवश्यक है | मुलतानी मिटटी व सप्तधान्य उबटन तन-मन की सात्त्विकता व प्रसन्नता की खान हैं |



२] बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें | ऐसा ३ से ५ बार करें | इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिडचिडा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हों उनमें आराम हो जायेगा |



रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें अथवा ३ त्रिफला टेबलेट गुनगुने पानी से लें |

३] गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं | बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पिने की अपेक्षा नींबू की शिंकजी बहुत अच्छी है | दही सीधा खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं है, उसमे पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है |

४] जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखें जलती हों उसको दायीं करवट लेकर थोडा सोना चाहिए , इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी | और जिसका शरीर ठंडा पड़ जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे स्फूर्ति आ जायेगी |

५] पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें ) |


दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस मिलाकर बना पेय पियें | इससे पित्त-शमन होता है |





६] वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पाउडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष
दूर होते हैं |

७] इस मौसम में तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए | लाल मिर्च, अदरक, खट्टी लस्सी या दही बहुत नुकसान करते हैं | इस मौसम में तो खीर खाओ |

८] जिसको भी गगर्मी हो, आँखें जलती हो वह मुलतानी मिटटी लगा के थोड़ी देर बैठे और फिर स्नान कर ले तो शरीर की गर्मी निकल जायेगी, सिरदर्द दूर होगा |

९] जिसको गर्मी लगे वह तरबूज अच्छी तरह से खाये | फोड़े – फुंसी हो गये हों तो पालक, गाजर ( भीतर का पीला भाग हटाकर), ककड़ी का रस और नारियल पानी को उपयोग में लाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं |

१०] जो नंगे सर धूप में घूमते हैं उनकी आँखे कमजोर हो जाती हैं, बुढापा और बहरापन जल्दी आ जाता है | धूप में नंगे पैर और नंगे सिर कभी नहीं घूमना चाहिए | जो तीर्थयात्रा करने जाते हैं उन्हें भी नंगे पैर रिया नहीं घूमना चाहिए |

११] पलाश के पुष्पों के ५० ग्राम काढ़े में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी भाग जाती हैं |

 

ऋषिप्रसाद – मई २०२१ से

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