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Monday, April 19, 2010

गंगा स्नान

दूसरी जगह रात्रि स्नान वर्जित है, लेकिन गंगाजी में रात्रि स्नान में भी दोष नहीं लगता है । गंगा जल घर में लाकर उसमे धीरे-धीरे दूसरे पानी की धार डालकर पूरी बाल्टी गंगा जल की बना ली। गंगे, यमुने गोदावरी, सरस्वती नर्मदा, सिन्धु, कावेरी जलेस्मि सिन्धि कुरु ........करके पहला लोटा सिर पे डाला। ऐसा करने पर अश्वमेघ यज्ञ करने का फल होता है । स्नान करते हो तो जहाँ से धारा आ रही है (नदी का प्रवाह), उसकी तरफ सिर करके गोता मारना चाहिए। पहले सिर भीगे.... फिर पैर भीगे । अगर पहले पैर भीगते हैं तो पैरों की गर्मी सिर में चदती है। पहले सिर भीगता है तो सिर की गर्मी उतर जाती है । लेकिन तालाब, बावड़ी में तो सूर्याभिमुख होकर गोता मारना चाहिए



Haridwar 14th April 2010

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