पेट का शूलः सिकी हुई 3 ग्राम अजवाइन में फालसा का रस 25 से 30 ग्राम डालकर थोड़ा सा गर्म कर पीने पेट का शूल मिटता है।
पित्तविकारः गर्मी के दोष, नेत्रदाह, मूत्रदाह, छाती या पेट में दाह, खट्टी डकार आदि की तकलीफ में फालसा के रस का शर्बत बनाकर पीना तथा अन्य सब खुराक बन्द कर केवल सात्त्विक खुराक लेने से पित्तविकार मिटते हैं और अधिक तृषा में भी राहत होती है।
हृदय की कमजोरीः फालसा का रस 50 मि.ली, नींबू का रस 5 मि.ली., सेंधा नमक एक चुटकी, काली मिर्च एक चुटकी लेकर उसमें स्वाद के अनुसार मिश्री या शक्कर मिलाकर पीने से हृदय की कमजोरी में लाभ होता है।
पेट की कमजोरीः पके फालसे के रस में गुलाबजल तथा शक्कर मिलाकर रोज पीने से पेट की कमजोरी दूर होती है और उलटी, उदरशूल, उबकाई आना आदि तकलीफें दूर होती हैं व रक्तदोष भी मिटता है।
दिमाग की कमजोरीः कुछ दिनों तक नाश्ता के स्थान पर फालसा का रस 50 मि.ली. पीने से दिमाग की कमजोरी तथा सुस्ती दूर होती है, फुर्ती और शक्ति प्राप्त होती है।
मूढ़ या मृत गर्भ में- कई बार गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में स्थित गर्भ मूढ़ या मृत हो जाता है। ऐसी अवस्था में गर्म को जल्दी निकालना तथा माता का प्राण बचाना आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में अन्य कोई उपाय न हो तो फालसा के मूल को पानी में घिसकर उसका लेप गर्भवती महिला की नाभि के नीचे पेड़ू, योनि और कमर पर करने से पिण्ड जल्दी बाहर आ जायेगा।
श्वास, हिचकी, कफः कफदोष से होने वाले श्वास, सर्दी तथ हिचकी में फालसा का रस थोड़ा गर्म करके उसमें थोड़ा अदरक का रस और सेंधा नमक डालकर पीने से कफ बाहर निकल जाता है तथा सर्दी, श्वास की तकलीफ और हिचकी मिट जाती है।
मूत्रदाहः पके फालसे 25 ग्राम, आँवले का चूर्ण 5 ग्राम, काली द्राक्ष 10 ग्राम, खजूर 10 ग्राम ले। फिर खजूर, द्राक्ष और फालसा को आधा कूट लें। रात्रि में इन सबको पानी में भिगो दें। सुबह उसमें 20 ग्राम शक्कर डालकर अच्छी तरह से मिश्रित करके छान लें। उसके दो भाग करके सुबह-शाम दो बार पियें। खाने में दूध, घी, रोटी, मक्खन, फल और शक्कर की चीजें लें। तमाम गर्म खुराक खाना बन्द कर दें। इस प्रयोग से मूत्र की, गुदा की, आँख की, योनि की या अन्य किसी भी प्रकार की जलन मिटती है। महिलाओं को रक्त गिरना, अति मासिकस्राव होना तथा पुरुषों का प्रमेह आदि मिटता है। दिमाग की अनावश्यक गर्मी दूर करता है।
Nutritious fruit - Phalsa
Stomach ache: Baked seeds of carom seeds (ajwain) around 3 grams mixed with 25 to 30 grams of Phalsa juice and taking it luke warm helps alleviate stomach ache.
Hyper acidity: During summer, burning sensations in eyes, urine, chest or stomach, acidic belching, etc.. can be easily alleviated by taking juice of phalsa and abstaining from all foods except pious Sattvic foods. This helps overcome all abnormalities from excess bile and also provides relief from excess thirst.
Weakness of Heart: Taking concoction of water mixed with 50 ml of phalsa juice, 5 ml of lemon extract, pinch of rock salt, black pepper and with proportionate quantity of rock sugar or plain sugar for taste provides great relief to a weak heart.
Weakness of Stomach: Ripe phalsa extract when taken daily with rose water and sugar alleviates any weakness in the stomach and tendencies for vomit, aches, acid belch, etc. are cured. It also cures abnormalities of blood.
Weakness of intellect: If one can take 50 ml of phalsa fruit extract for a few days instead of breakfast, he shall gain intellectual strength, will be able to drive away laziness and gain agility and strength.
Numb or dead womb: In certain unfortunate circumstances, pregnant women at times are faced with a numb or dead womb. In such situations, it becomes imperative to remove the womb at earliest and save the life of the expectant mother. If all else fails, then grinding the roots of phalsa in water and applying the paste at the lower regions of her stomach, genital areas and hip regions, allows for quick ejection of the womb.
Interrupted breath, hiccups, cough: In the event of adverse cough attack, taking a little warmed up phalsa extract mixed with ginger extract and rock salt in water helps weed out the cough in the body and helps cure any difficulty in breath, cough and hiccups.
Burning sensation in urine: Get 25 grams of ripe phalsa with 5 grams of amla powder, black kismiss 10 grams, dates 10 grams. Then, mash the dates, kismiss and phalsa. Soak them in water overnight. In the morning, add 20 grams of sugar to it uniformly and sieve this concoction thoroughly. Make two parts and drink it once in morning and evening. In meals, take milk, ghee, roti, butter, fruits and sugar related products. Abstain from all types of spicy foods. Through this practice, any burning sensations in urine, genitals, eyes or any other areas will get relief using this technique. All menstrual cycle related problems faced by women can also be cured in this way. Excessive heat in the head can be alleviated by this means too.
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, अप्रैल मई 2003
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