ग्वारपाठा, जिसे घृतकुमारी भी कहते हैं, स्वास्थ्य के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। आयुर्वेद की दृष्टि से इसका रस कडुआ, शीतल, जठराग्निवर्धक, पाचक, विरेचक (मलनिस्सारक), बलवर्धक, सूजन दूर करने वाला और दाहशामक है। यकृत (लीवर) के लिए तो यह मानो अमृत ही है।
ज्वर-दाह को शांत करने के लिए इसके गूदे में मिश्री मिलाकर रोगी को दी जाती है। इसका ताजा रस गर्भाशय की शिथिलता को दूर करता है, अतः महिलाओं के लिए भी बहुत उपयोगी है। यदि आँख आ गयी हो (केटरल कंजक्टीवाइटिस) तो इसके रस में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर पलकों पर लेप करने से जलन शांत होती है तथा पककर दूषित रक्त निकल जाता है। इसके पत्तों का नमकीन अचार भी बनाया जाता है, जिससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन सुधरता है। वैसे तो इसके बहुत उपयोग हैं पर यहाँ एक रूचिकर स्वास्थ्यवर्धक प्रयोग दिया जा रहा है।
ग्वारपाठा और मेथी की लौंजी।
सामग्रीः 100 ग्राम ग्वारपाठा, 25 ग्राम मेथी, 20 ग्राम नग किशमिश, 2 नग तेजपत्ता, 1 चुटकी हींग, आधा चम्मच जीरा, 1 चम्मच पिसी हुई राई, 2 चम्मच पिसा धनिया, डेढ़ चम्मच अमचूर, 1 बड़ा चम्मच शक्कर, चार बड़े चम्मच तेल एवं स्वादानुसार नमक।
विधिः सर्वप्रथम ग्वारपाठे के काँटे छील लें और उसके छोटे-छोटे चौकौर टुकड़े काटकर पानी में उबालें। फिर मेथीदाना धो लें और उबालें। कड़ाही में तेल डालकर तेजपत्ता, हींग व जीरे का बधार तैयार करें। अमचूर छोड़ शेष सामग्री डालकर अच्छी तरह हिलायें। शक्कर गल जाने पर अमचूर भी मिला दें। दो मिनट बाद उतार लें। लौंजी तैयार है। यह स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद भी है। इसे बनाकर 4-5 दिन तक रखा जा सकता है।
स्रोतः लोक कल्याण सेतु, जनवरी फरवरी 2009
No comments:
Post a Comment