नीम की पत्तियों का धूप करना, उसकी पत्तियों का स्टीमबाथ लेना, नासिका से नीम की पत्तियों की भाप लेना।
सोंठ, कालमिर्च, पीपर, हल्दी, अजवायन जैसी वनस्पतियों के चूर्ण का धूप देने में तथा स्टीमबाथ में उपयोग करना चाहिए।
जहाँ तक संभव हो अच्छी से अच्छी गुणवत्तावाली हल्दी का चूर्ण 2-2 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेना चाहिए।
20-25 ग्राम अदरक को कूटकर उसका रस निकाल लें तथा उसमें 5 ग्राम गुड़ मिलाकर खाली पेट लें अथवा अच्छी गुणवत्तावाली 2 से 3 ग्राम सोंठ गुड़ के साथ मिलाकर लें।
यदि बुखार न हो तो दोपहर में भोजन करने से पहले देशी गाय का चम्मच शुद्ध घी हलके गरम पानी के साथ लें।
किसी भी प्रकार की बीमारी में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पानी को उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए और संभव हो सोना, चाँदी के टुकड़े पानी में डालने चाहिए।
सभी प्रकार के संक्रामक रोगों में मांसाहार तथा कत्लखाने बंद करने चाहिए।
सामान्य रूप से विषाणु (वायरस) गर्मी नहीं सह सकते, इसलिए संक्रामक रोगों में गर्मीवाले वातावरण में अधिक रहना चाहिए तथा एयरकंडीशन, कूलर, पंखे का यथासंभव कम से कम उपयोग करना चाहिए।
तुलसी, पुदीना के रस या अर्क का प्रयोग करें। तुलसी के गमले लगायें, तुलसी के पत्ते की माला पहनें। सुबह तुलसी के 5-7 पत्ते चबाकर पानी पी लें यह विशेष गुणकारी है।
त्रिकटु चूर्ण या छोटी पीपर का 1 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लें। इनकी तासीर गर्म है इसलिए अधिक मात्रा न लें।
लोक कल्याण सेतु, जून 2003
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