हम हर रोज भगवन की गोद में ही सोते है ...और भगवन की सृष्टि में ही रह रहे हैं ...ऐसा चिंतन करने से आप निर्भीक भी रहेगे और भगवन की प्रीति को भी प्राप्त करोगे । भगवान की प्रीति नहीं आवे तो " हे भगवान ! आपकी प्रीति नहीं आती ...आपकी भक्ति...हे भगवान ...हे भगवान...." करके भगवान के लिए रोने से भी बहुत लाभ होता है.. हंसने से भी लाभ होता है ...स्मृरण करने से भी लाभ होता है ।
- पूज्य बापूजी नासिक 20th Feb'2012
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