सुमिरी पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम ।
हे हनुमानजी, आपने रामनाम का ऐसा तो सुमिरण किया कि रामजी को ही आपने अपने वश में कर लिया ।
आप भी कभी जाओ तो ये बोलना क्योंकि हनुमानजी को जप बहुत अच्छा लगता है । हनुमानजी के आगे कोई
सिंदुर और चोला न चढ़ाये, नारियल न रखे तो हनुमानजी नाराज नहीं होंगे पर ये बोल दे कि हनुमानजी आपको भगवान का नाम कितना प्यारा लगता है । सुमिरी पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम । हनुमानजी राजी होंगे ।
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- श्री सुरेशानंदजी Mumbai 3rd March'2012
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