यह पाक युवतियों, गर्भिणी, नवप्रसूता माताएँ तथा महिलाएँ – सभीके लिए लाभदायी है |
लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महीने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आटा है |
धातु की दुर्बलता में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते है |
सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक २५० ग्राम, खजूर १०० ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद १०० ग्राम, पिसी मिश्री ५०० ग्राम |
विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भुन लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सेंके | जब मंद सुगंध आने लगे तब पिसा हुआ खजूर व मिश्री मिला दे | पाक बनने पर थाली में फैलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर रखें |
सेवन-विधि : २ टुकड़े ( लगभग २० ग्राम ) सुबह-श्याम खायें | ऊपर से दूध पी सकते हैं |
सावधानी : खट्टे, मिर्च-मसालेदार व टेल हुए तथा ब्रेड-बिस्कुट आदि बासी पदार्थ न खाये |
लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महीने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आटा है |
धातु की दुर्बलता में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते है |
सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक २५० ग्राम, खजूर १०० ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद १०० ग्राम, पिसी मिश्री ५०० ग्राम |
विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भुन लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सेंके | जब मंद सुगंध आने लगे तब पिसा हुआ खजूर व मिश्री मिला दे | पाक बनने पर थाली में फैलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर रखें |
सेवन-विधि : २ टुकड़े ( लगभग २० ग्राम ) सुबह-श्याम खायें | ऊपर से दूध पी सकते हैं |
सावधानी : खट्टे, मिर्च-मसालेदार व टेल हुए तथा ब्रेड-बिस्कुट आदि बासी पदार्थ न खाये |
A paaka for women
This paaka is very good for all women
especially young women, pregnant women, and lactating mothers.
Benefits: It makes the body strong and increases
blood formation. It strengthens the reproductive organs, nourishes and stabilities
focus in the womb, removes tiredness. It is an excellent pacifier of Pitta.
Taking it for a couple of months gives relief in leucorrhoea, excessive
menstruation and its consequences like backache, anemia, debility, dullness,
etc. and gives strength and energy. It is especially useful for women, who have
frequent miscarriages. Taking the concoction from the sixth months of gestation
nourishes the foctus and increases lactation.
Men too can take it in case of seminal
weakness.
Ingredients: Water chestnut flour, wheat flour and ghee 250 grams each; soft
dates 100 grams; babool (Aacia-Arabica) gum powder 100 grams, and powdered
sugar candy 500 grams.
Method of preparation: Fry the gum in ghee. Add water chestnut flour and wheat flour to
it and let it simmer on low flame. Add ground dates and sugar candy, when it
starts giving a flavor. When the paaka is fully cooked spread it on a plate and
cut it into small pieces. Take two pieces (about 20 grams) in the morning and
in the evening. One can take milk after it.
Caution: Don’t take sour, spicy, fried and stale foods like bread,
biscuits.
- Rishi Prasad Nov' 2012
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