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Tuesday, July 26, 2016

जायफल

जायफल रूचि उत्पन्न करनेवाला, जठराग्नि – प्रदीपक तथा कफ और वायु का शमन करनेवाला है | जायफल जितना वयस्कों के लिए हितकर है, उतना ही बालकों के लिए भी हितकर है | यह ह्रदयरोग, दस्त, खाँसी, उलटी, जुकाम आदि में लाभदायी है |

यूनानी मतानुसार जायफल पेशाब लानेवाले, दुग्धवर्धक, नींद लानेवाले, पाचक व पौष्टिक होते हैं | वजन में हलके, पोले और रूखे जायफल कनिष्ठ और बड़े, चिकने व भारी जायफल श्रेष्ठ माने जाते हैं |
औषधीय प्रयोग

वात – रोग : १ भाग जायफल चूर्ण तथा २ भाग अश्वगंधा चूर्ण को मिलाकर रख लें | ३ ग्राम मिश्रण प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वात – रोगों में लाभ होता है एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |

बच्चों के दस्त : जायफल व सौंठ को गाय के दूध में घिस के बच्चों को चटाने से जुकाम से होनेवाले दस्त बंद होते है |

अनिद्रा : जायफल चूर्ण को पानी के साथ लेने से अच्छी नींद आती है |

मंदाग्नि : जायफल चूर्ण शहद के साथ लेने से मंदाग्नि दूर होती है व ह्रदय को बल मिलता है |

मूँह की दुर्गंध : जायफल के टुकड़े को चूसने से दुर्गंध दूर होती है |

मात्रा : आधा से २ ग्राम जायफल चूर्ण |

सावधानी : जायफल बार – बार अधिक मात्रा में लेने से वीर्य पतला हो जाता है, फलत: पौरुषहीनता आती है | जायफल का प्रयोग बुखार, दाह व उच्च रक्तचाप में न करें |


-          स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – जुलाई – २०१६ से 

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