यह त्रिदोषशामक व शरीर को शुद्ध करनेवाला उत्तम रसायन योग है | इसको चूसकर
खाने से भूख खुलती है |
इसके सेवन से अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहणी, पेटदर्द, अफरा,
कब्ज आदि पेट के विकार दूर होते हैं | छाती व पेट में संचित कफ नष्ट होता है, अत:
दमा, खाँसी व गले के विविध रोगों में भी लाभ होता है |
इसके नियमित सेवन से
बवासीर, आमवात, वातरक्त ( Gout ), कमरदर्द, जीर्णज्वर, गुर्दे के रोग, पीलिया,
रक्त की कमी व यकृत (लीवर ) के विकारों में लाभ होता है | यह ह्रदय के लिए बलदायक
व श्रमहर है |
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स्त्रोत
– लोककल्याण सेतु – जुलाई – २०१६ से
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