१० जुलाई : रविवारी
सप्तमी ( दोपहर ३ – ०९ से ११ जुलाई सूर्योदय तक )
१५ जुलाई : चतुर्मास
व्रतारम्भ
१९ जुलाई : गुरुपूर्णिमा,
संन्यासी चतुर्मासारम्भ, ऋषिप्रसाद जयंती
२७ जुलाई : बुधवारी
अष्टमी ( सूर्योदय से दोपहर ३ – ३३ तक )
३० जुलाई : कामिका
एकादशी ( व्रत व रात्रि – जागरण करनेवाला मनुष्य न तो कभी भयंकर यमराज का दर्शन
करता है और न कभी दुर्गति में ही पड़ता है | व्रत से सम्पूर्ण पृथ्वी के दान के
समान फल मिलता है | यह एकादशी सब पातकों को हरनेवाली है तथा इसके स्मरणमात्र से
वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है | )
१० अगस्त : बुधवारी
अष्टमी ( सुबह १० – ३९ से ११ अगस्त सूर्योदय तक )
१४ अगस्त : पुत्रदा
एकादशी ( व्रत से मनोवांछित फल प्राप्त होता है | इसका माहात्म्य सुनने से मनुष्य
पाप से मुक्त हो जाता है तथा इहलोक में सुख पाकर परलोक में स्वर्ग की गति को
प्राप्त होता है | )
१६ अगस्त :
विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : दोपहर १२ -१५ से शाम ६ – ४१ तक ) इस दिन किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल
लाख गुना होता है | - पद्मपुराण
१८ अगस्त : नारियली
पूर्णिमा, रक्षाबंधन ( श्रावणी पूर्णिमा पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र
सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है | इसे वर्ष में एक बार धारण करने से
मनुष्य वर्षभर रक्षित हो जाता है | - भविष्य पुराण )
स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१६ से
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