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Monday, January 8, 2018

ह्रदय सुधा (सिरप)

यह ह्रदय की तरफ जानेवाली तमाम रक्तवाहिनियों को खोलने में मदद करता है | 

यदि आप ह्रदयरोग से पीड़ित हैं और डॉक्टर ने बायपास सर्जरी अथवा एंजियोग्राफी करवाने के लिए कहा है तो उससे पहले इस सिरप का प्रयोग अवश्य करें |




लोककल्याण सेतु – जनवरी २०१८से 

Sunday, January 7, 2018

शक्ति, पुष्टि का भंडार व प्रकृति का एक विशेष उपहार – गाजर

शक्ति का भंडार, पौष्टिकता से भरपूर और सुपाच्य गाजर प्रकृति का एक विशेष उपहार है | इसमें रोगों के आक्रमण से व्यक्ति को सुरक्षित रखने का विशेष गुण है | बवासीर, क्षयरोग (टी.बी.), कफ एवं वायु संबंधित रोगों में गाजर का सेवन अत्यंत हितकारी है |

आधुनिक अनुसंधानो के अनुसार गाजर एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ‘ए’,’सी’ एवं ‘के’ तथा पोटैशियम, कैल्शियम, लौह व ताम्र तत्त्व एवं मैंगनीज का अच्छा स्त्रोत है |

कैसे रखती है स्वास्थ्य का खयाल ?
v मधुमेह में : इसमें ऐसे तत्त्व पाये जाते हैं जो मानव-शरीर में निर्मित इंसुलिन से मिलते-जुलते हैं और मधुमेह में बहुत ही उपयोगी साबित हुए हैं |
v कोलेस्ट्रोल में : अमेरिका के कृषि विभाग के शोध वैज्ञानिक डॉ.फैकर और पीटर हागलैंड के अनुसार गाजर को रोज थोड़ी मात्रा में लेने से उसमें पाये जानेवाले रेशे कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करते हैं |
v शारीरिक वृद्धि हेतु : इसके सेवन से रक्त व वजन बढ़ता है और शरीर ह्रष्ट-पुष्ट होता है |
v आँखों के लिए : आँखों को स्वस्थ बनाने रखने के लिए यह एक अनूठा आहार है | विटामिन ‘ए’ की कमी से उत्पन्न रोग जैसे रात्रि की दिखाई न देना आदि में यह लाभदायी है |
v ह्रदय व फेफड़ों के लिए : इसके सेवन से ह्रदय की बीमारी, धडकन का अनियमित होना, ह्रदयाघात (heart attack)और फेफड़ों के कैंसर से बचाव होता है |
v पेट व आँतो के लिए : यह पाचन-संस्थान के सभी अंगों को बल प्रदान करती है और आँतों की कमजोरी दूर करती है |
v छोटे बच्चों के लिए लाभदायी : इसका रस छोटे बच्चों को पिलाने से उनके दाँत सरलता से निकलते हैं और दूध भी ठीक से हजम होता है |

गाजर के कुछ औषधीय प्रयोग
ह्रदय व मस्तिष्क का बल बढ़ाने के लिए : प्रतिदिन सुबह खाली पेट गाजर के १०० मि.ली. रस में जरा-सा सेंधा नमक मिला के पीने से मस्तिष्क और ह्रदय को बल मिलता है |

धडकन बढ़ने व घबराहट में : इसके ३० मि.ली.रस में थोड़ी-सी मिश्री मिला के नित्य पीने से ह्रदय की धडकन बढ़ना एवं घबराहट में शीघ्र राहत मिलती है |

कब्ज में : इसके एक कप रस में एक नींबू का रस और दो चम्मच शुद्ध शहद मिला के सुबह पीने से कब्ज में लाभ होता है |

बार-बार पेशाब आने पर : १ कप गाजर के रस में आधा चम्मच जीरा व १ चम्मच धनिया मिला के सुबह खाली पेट और शाम को लेने से लाभ होता है |

सावधानियाँ : १] गाजर के भीतर का पीला भाग निकालकर ही गाजर का सेवन करना चाहिए |
२] सर्दियों में गाजर का हलवा लाभदायी है परंतु उसे बनाते समय दूध अथवा मावे का उपयोग नहीं करना चाहिए |

लोककल्याण सेतु – जनवरी २०१८से 

शरीर को पुष्ट व शक्ति – सम्पन्न कैसे बनाये (भाग -१)

दोष तथा व्याधि के अनुसार औषध-द्रव्यों के साथ पकाया हुआ दूध बहुत ही लाभकारी होता हैं | इसे क्षीरपाक कहा जाता है | यह शरीर को पुष्ट व शक्ति-सम्पन्न बनाकर नवजीवन प्रदान करता है | क्षीरपाक बनाने हेतु जितनी औषधि लेते हैं उसमें उससे कम-से-कम १५-१५ गुना दूध व पानी मिलाकर मंद अग्नि पर पानी के बाष्पीभूत होने तक उबालते हैं |

अश्वगंधा क्षीरपाक
लाभ : १] यह शक्ति, बुद्धि व वीर्य वर्धक तथा मांसपेशियों को ताकत देनेवाला है |
२] शारीरिक-मानसिक दौर्बल्य, बुढ़ापे की कमजोरी, थकान, रोगों के बाद आनेवाली कृशता आदि के लिए यह रामबाण औषधि है |
३] बालकों में होनेवाले सूखारोग में अत्यंत लाभदायी है |
४] स्त्रियों के कमरदर्द एवं श्वेत प्रदररोग में लाभप्रद है |
५] यह अच्छी नींद लाता है |

विधि : ५ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में १००-१०० मि.ली. दूध व पानी मिलाकर धीमी आँच पर उबालें | पानी जलकर मात्र दूध शेष रहने पर पाक को सिद्ध हुआ समझें | फिर उसमें मिश्री मिला के पियें |

सेवन-मात्रा : १०० मि.ली. क्षीरपाक दिन में १-२ बार ले सकते हैं | बच्चों को ५० मि.ली. दें |

सावधानी : सेवन के बाद एक से डेढ़ घंटे तक कुछ भी न खायें |

(अश्वगंधा चूर्ण संत श्री आशारामजी आश्रमों व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |)


-ऋषिप्रसाद – जनवरी-२०१८ से 

सायटिका और कैसे पायें इससे राहत ?

सायटिका या गृध्रसी नसों में होनेवाला ऐसा दर्द है जिसमें मरीज को सबसे पहले कूल्हे में दर्द होता हैं और फिर धीरे-धीरे यह दर्द नसों से होते हुए दोनों पैरों में बढ़ता है | इससे उठने – बैठने व चलने – फिरने में दिक्कत होती है | यह कोई रोग नहीं है बल्कि रीढ़ से संबंधित कुछ रोगों का लक्षण हो सकता है | कभी-कभी सगर्भावस्था के कारण भी दर्द शुरू हो सकता है |

अधिक मेहनत करने या भारी वजन उठाने, अनुचित जीवनशैली व खान-पान, उठने-बैठने की गलत मुद्रा एवं रुखा, शीतल व आवश्यकता से कम मात्रा में आहार, अति संसार-व्यवहार, अधिक व्यायाम, चिंतित रहना, मल-मूत्र आदि के वेगों को रोकना, शरीर में कच्चा रस बनना आदि कारणों से भी यह दर्द हो सकता है |

कैसे पायें सायटिका से राहत ?
अधिकांश मामलों में कमर की गद्दी के अपने स्थान से खिसकने के कारण सायटिका का दर्द होना पाया जाता है | इसमें चिकित्सक की सलाह के अनुसार १५ दिनों से २ महीनों तक सिर्फ थोडा विश्राम करने और हलकी कसरत एवं योगासन जैसे की मकरासन, भुजंगासन, वज्रासन आदि का सहारा लेने से काफी लोगों को फायदा मिल जाता है |

सायटिका में लाभदायी अन्य प्रयोग
संत श्री आशारामजी आश्रमों व समिति के सेवाकेन्द्रों पर ऐसी कुछ औषधियाँ उपलब्ध हैं जो सायटिका में उत्तम लाभ देनेवाली हैं :
१] अश्वगंधा चूर्ण व टेबलेट : २ से ४ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण या २ – ४ अश्वगंधा टेबलेट सुबह खाली पेट दूध के साथ लें |
२] वज्र रसायन टेबलेट : आधी से एक गोली देशी गाय के दूध, घी अथवा शुद्ध शहद के साथ सुबह खाली पेट लें |
३] स्पेशल मालिश तेल : इससे दिन में १ – २ बार हलके हाथों से मालिश करके गर्म कपड़े से सिंकाई करें |
४] संधिशूलहर योग चूर्ण : २ चम्मच चूर्ण रात को १ गिलास पानी में भिगों दें | सुबह इसे उबालें | आधा पानी शेष रहने पर छान के पियें |

अनुभूत घरेलू प्रयोग : पारिजात के १० – १५ पत्ते ३०० मि.ली. पानी में उबालें | २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छानें और २५ – ५० मि.ग्राम केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें | १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें | १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है | स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है | (वसंत ऋतु में पारिजात के पत्ते गुणहीन होते हैं | अत: यह प्रयोग वसंत ऋतु में लाभ नहीं करता | २०१८ में वसंत ऋतु १८ फरवरी से १९ अप्रैल तक है |)
वैद्कीय सलाहनुसार उचित आहार-विहार, पंचकर्म-चित्किसा, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आदि से संतोषकारक परिणाम मिलते हैं |

सावधानियाँ : १] वायुवर्धक पदार्थ जैसे – आलू, मटर,चना,अरहर की दाल, बासी भोजन, अति ठंडा पानी आदि से तथा अति उपवास से बचें |
२] पेट में कब्ज, गैस आदि न होने दें एवं प्रसन्न रहें |
३] कमोड शौचालय का प्रयोग करें, ऊँची एडी की चप्पल न पहनें, अधिक दर्द होने पर शरीर को आराम दें एवं मुलायम गद्दे पर न सोयें |

- ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१८ से 

परीक्षा में सफलता के लिए



समय-नियोजन : कब क्या करना – इसका नियोजन करने से सब कार्य सुव्यवस्थित होते हैं | अत: हर विद्यार्थी को अपनी समय-सारणी बनानी ही चाहिए |

  • v जप, त्राटक, सत्संग-श्रवण,ध्यान, पढ़ाई, खेल,भोजन, नींद आदि का समय निश्चित करके समय-सारणी बना लें |
    v रात को देर तक न जाग के सुबह जल्दी उठकर पढ़ें |
  • v पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिकता तय करें, जिससे सभी विषयों का अध्ययन हो सके | सुनियोजन सर्व सफलताओं की कुंजी है |


-    ऋषिप्रसाद – जानेवारी २०१८ से
 

अकाल मृत्यु टालने के लिए



वैदिक मंत्रो में इतनी शक्ति है कि जापक अपनी अकाल मृत्यु टाल ही सकता है, साथ के लोगों की भी रक्षा कर सकता है ! गुरुगीता का पाठ करनेवाले की अकाल मृत्यु टल जाती है | 

उसकी महिमा का बखान करते हुए भगवान शंकर ने कहा है : अकालमृत्युहंत्री च सर्वसंकटनाशिनी |  व्यक्ति कितना भी दुखियारा हो, कितना भी चिंतित हो, आधा घंटा बैठ के गुरुप्रदत्त वैदिक मंत्र का जप करें तो उसकी चिंता, दुःख गायब हो जाते हैं |


-    ऋषिप्रसाद – जानेवारी २०१८ से

क्या खाना, क्या नहीं खाना?

पनीर दूध को विकृत करके बनाया जाता है अत: उसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | यह पचने में अति भारी, कब्ज करनेवाला एवं अभिष्यंदी (स्त्रोतों में अवरोध पैदा करनेवाला) हैं | यह चरबी, कफ, पित्त एवं सूजन उत्पन्न करनेवाला होता है |

इसके स्थान पर दूध को विकृत किये बिना दूध-चावल की खीर बना सकते हैं, जो स्वादिष्ट, पोषक एवं सात्त्विक आहार है |
-    ऋषिप्रसाद – जनवरी-२०१८ से