दोष तथा व्याधि के अनुसार औषध-द्रव्यों के साथ पकाया हुआ
दूध बहुत ही लाभकारी होता हैं | इसे ‘क्षीरपाक’ कहा जाता है | यह शरीर को
पुष्ट व शक्ति-सम्पन्न बनाकर नवजीवन प्रदान करता है | क्षीरपाक बनाने हेतु जितनी
औषधि लेते हैं उसमें उससे कम-से-कम १५-१५ गुना दूध व पानी मिलाकर मंद अग्नि पर
पानी के बाष्पीभूत होने तक उबालते हैं |
अश्वगंधा क्षीरपाक
लाभ : १] यह
शक्ति, बुद्धि व वीर्य वर्धक तथा मांसपेशियों को ताकत देनेवाला है |
२] शारीरिक-मानसिक दौर्बल्य, बुढ़ापे की कमजोरी, थकान, रोगों
के बाद आनेवाली कृशता आदि के लिए यह रामबाण औषधि है |
३] बालकों में होनेवाले सूखारोग में अत्यंत लाभदायी है |
४] स्त्रियों के कमरदर्द एवं श्वेत प्रदररोग में लाभप्रद है
|
५] यह अच्छी नींद लाता है |
विधि : ५
ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में १००-१०० मि.ली. दूध व पानी मिलाकर धीमी आँच पर उबालें |
पानी जलकर मात्र दूध शेष रहने पर पाक को सिद्ध हुआ समझें | फिर उसमें मिश्री मिला
के पियें |
सेवन-मात्रा : १०० मि.ली. क्षीरपाक दिन में १-२ बार ले सकते हैं | बच्चों को ५० मि.ली. दें
|
सावधानी : सेवन
के बाद एक से डेढ़ घंटे तक कुछ भी न खायें |
(अश्वगंधा चूर्ण संत श्री आशारामजी आश्रमों व समिति के
सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |)
-ऋषिप्रसाद
– जनवरी-२०१८ से
No comments:
Post a Comment