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Thursday, August 16, 2018

पौष्टिक व खनिज पदार्थों से भरपूर गोदुग्ध


हमारे भोजन को २ श्रेणियों में बाँटा जा सकता है :
    १)    वह जो शक्ति उत्पन्न करता है |
   २)    वह जो पोषक या आरोग्य का रक्षक है |

इन दोनों श्रेणियों के पदार्थों की सूचि में देशी गाय का दूध और इससे बनी चीजें सबसे पहले आती हैं | दूध में १०१ से अधिक तत्त्व पाये जाते हैं पर उन सभीको लेकर कृतिमरूप से दूध का निर्माण नही किया जा सकता | इसी कारण प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से अन्य कोई वस्तु दूध का स्थान नहीं ले सकती |

निम्न सभी पोषक तत्त्व देशी गाय के मात्र १ गिलास (लगभग २५० मि.ली.) दूध से मिलते हैं :
१] मध्यम आकार के डेढ़ अंडों जितना प्रोटीन
२] ३०० ग्राम कच्चे पालक जितना कैल्शियम
३] १ छोटे केले से मिले उतना पोटैशियम
४] ४५ ग्राम बादाम जितना विटामिन बी -२
५] १२० ग्राम पत्तागोभी के समान विटामिन ए
६] १२० ग्राम मांस के समान विटामिन बी-१२

गोदुग्ध में विद्यमान तत्त्वों की विशेषताएँ
·    दूध के प्रोटीन बहुत ऊँचे दर्जे के होते हैं तथा ये अत्यंत सुगमता से पच जाते हैं | इसके पूर्ण प्रोटीन मांसपेशियों का निर्माण करते हैं, सामर्थ्य को बनाये रखते हैं और खोयी हुई शक्ति को पुन: प्राप्त करने में सहायक होते हैं | अत: ये युवाओं के शारीरिक, बौद्धिक विकास व सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक हैं |
·    इसमें पाया जानेवाला स्ट्रॉन्शियम रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है व हानिकारक विकिरणों से रक्षा करता है | सेरिब्रोसाइड्स मस्तिष्क एवं ज्ञानतंतुओं को पोषित करते हैं | ओमेगा -३ नाड़ियों में जमे कोलेस्ट्रॉल की सफाई करता है |
·    इसका वसा अत्यंत पाचक और ग्राह्य होता है |
·  इसके क्षार हड्डियों और दाँतों का निर्माण करते हैं व उन्हें मजबूत बनाये रखते हैं | ये अम्लपित्त निवारक व मूत्रकारक होते हैं | इसमें पाये जानेवाले चूने के क्षार विशेष सुगम शोषणीय हैं |
·    इसमें पाये जानेवाले एन्जाइम्स विषों, रोगोत्पादक विषों तथा सडन से उत्पन्न विषों का प्रतिरोध करते हैं | ये शरीर के ग्रंथिमंडलों (जिनके ऊपर मनुष्य की शक्ति, उत्साह और वर्ण अवलम्बित होते हैं ) के लिए सहायक हैं |

ब्रिटिश मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने घोषित किया है कि ‘गाय का शुद्ध और ताजा दूध अन्य सभी आहारों की अपेक्षा हितकर और विश्वस्त पोषक तत्त्वों से भरा होता है और इसमें लाभदायक जीवाणु तथा स्वास्थ्यप्रद तत्त्व होते हैं |’

भावप्रकाश निघंटु के अनुसार बाल्यावस्था में दुग्धपान शरीर की वृद्धि करनेवाला, क्षीणता की अवस्था में क्षीणता का निवारण करनेवाला तथा वृद्धावस्था में शुक्र की रक्षा करनेवाला होता है |

दूध की उपयोगिता के बारे में जो कुछ कहा जाय वह कम ही होगा | कोई भी विज्ञान, कोई भी राष्ट्र अब तक ऐसा दूसरा नया आहार-तत्व नहीं तैयार कर पाया जो गोदुग्ध का स्थान ले सके | उत्तम स्वास्थ्य के इच्छुक हर व्यक्ति को देशी गाय के दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए तथा गौ रक्षण-संवर्धन हेतु अपना कर्तव्य अवश्य निभाना चाहिए |

ध्यान दें : होल्सटीन, जर्सी आदि विदेशी पशुओं के दूध को गोदुग्ध मान के भूलकर भी न पियें | भैंस का दूध हानि नहीं करता पर यह हानि भी करता है |          

ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१८ से

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