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Monday, April 22, 2019

बद्धपद्मासन


इसमें पूरा शरीर हाथों व पाँवों द्वारा बँध जाने से यह ‘बद्धपद्मासन’ तथा गरिष्ठ भोजन जल्दी पचाने में सक्षम होने से ‘भस्मासन’ भी कहलाता है |

लाभ : पद्मासन से होनेवाले अनेक लाभ इस आसन से भी मिलते हैं | इसके नियमित अभ्यास से –
१] ह्रदय, फेफड़े, जठर, यकृत व मेरुदंड की दुर्बलता दूर होती है एवं हाथ, पैरों के तलवे, घुटने मजबूत होते हैं |
२] पेट की बीमारियों से सुरक्षा होती है | पेट के अधिकांश रोग जैसे अजीर्ण, अफरा, पेटदर्द तथा प्लीहा व यकृत के विकार दूर होते हैं |
३] हड्डियों का बुखार भी चला जाता है |
४] हर्निया में बहुत लाभ होता है |
५] स्रियों की गर्भाशय की बहुत-सी बीमारियाँ दूर होती है | संतानोत्पत्ति के बाद पेट पर जो निशान पड़ने लगते हैं वे दूर होते हैं |
६] जिन्हें शरीर के किसी अंग में पसीना न आता हो, जिसके कारण बीमारी का भय हो, उन्हें यह आसन जरुर करना चाहिए |

विधि : बायें पैर को उठाकर दायीं जंघा पर तथा दायें पैर को बायीं जंघा पर इस प्रकार लाये कि दोनों पैरों की एड़ियाँ नाभि के नीचे आपस में मिल जायें | फिर बायें हाथ को पीछे से ले जाकर बायें पैर के अँगूठे को पकड़ें तथा दायें हाथ को पीछे से ले जा के दायें पैर के अँगूठे को पकड़ें | मेरुदंडसहित सम्पूर्ण शरीर को सीधा रखते हुए स्थित रहें | श्वास दीर्घ, दृष्टी नासाग्र (नासिका के अग्र भाग पर ) व ध्यान भी वही हो (देखें चित्र – १ )| 

इस आसन को दूसरी विधि से भी किया जाता है, जिसमे उपरोक्त स्थिति के बाद सिर को जमीन से लगाकर यथासाध्य रोके रखना होता है  (देखें चित्र -२ ) |






इस आसन को पैर बदलकर भी करना चाहिए |

समय : सामान्यत: १ मिनट; कमश: बढ़ाकर १० मिनट तक कर सकते हैं |

लोककल्याणसेतु – एप्रिल २०१९ से   

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