इसमें पूरा शरीर
हाथों व पाँवों द्वारा बँध जाने से यह ‘बद्धपद्मासन’ तथा गरिष्ठ भोजन जल्दी पचाने
में सक्षम होने से ‘भस्मासन’ भी कहलाता है |
लाभ : पद्मासन से
होनेवाले अनेक लाभ इस आसन से भी मिलते हैं | इसके नियमित अभ्यास से –
१] ह्रदय, फेफड़े,
जठर, यकृत व मेरुदंड की दुर्बलता दूर होती है एवं हाथ, पैरों के तलवे, घुटने मजबूत
होते हैं |
२] पेट की बीमारियों
से सुरक्षा होती है | पेट के अधिकांश रोग जैसे अजीर्ण, अफरा, पेटदर्द तथा प्लीहा व
यकृत के विकार दूर होते हैं |
३] हड्डियों का बुखार
भी चला जाता है |
४] हर्निया में बहुत
लाभ होता है |
५] स्रियों की
गर्भाशय की बहुत-सी बीमारियाँ दूर होती है | संतानोत्पत्ति के बाद पेट पर जो निशान
पड़ने लगते हैं वे दूर होते हैं |
६] जिन्हें शरीर के
किसी अंग में पसीना न आता हो, जिसके कारण बीमारी का भय हो, उन्हें यह आसन जरुर करना
चाहिए |
विधि : बायें पैर को
उठाकर दायीं जंघा पर तथा दायें पैर को बायीं जंघा पर इस प्रकार लाये कि दोनों
पैरों की एड़ियाँ नाभि के नीचे आपस में मिल जायें | फिर बायें हाथ को पीछे से ले
जाकर बायें पैर के अँगूठे को पकड़ें तथा दायें हाथ को पीछे से ले जा के दायें पैर
के अँगूठे को पकड़ें | मेरुदंडसहित सम्पूर्ण शरीर को सीधा रखते हुए स्थित रहें |
श्वास दीर्घ, दृष्टी नासाग्र (नासिका के अग्र भाग पर ) व ध्यान भी वही हो (देखें
चित्र – १ )|
इस आसन को दूसरी विधि से भी किया जाता है, जिसमे उपरोक्त स्थिति के
बाद सिर को जमीन से लगाकर यथासाध्य रोके रखना होता है (देखें चित्र -२ ) |
इस आसन को पैर बदलकर
भी करना चाहिए |
समय : सामान्यत: १
मिनट; कमश: बढ़ाकर १० मिनट तक कर सकते हैं |
लोककल्याणसेतु
– एप्रिल २०१९ से
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