क्या करें ?
१] गर्मी के कारण जिनको सिरदर्द व कमजोरी होती
है वे लोग सूखा धनिया पानी में भिगा दें और घिस के माथे पर लगायें | इससे सिरदर्द
और कमजोरी दूर होगी |
२] नाक से खून गिरता हो तो हरे धनिये अथवा
ताजी कोमल दूब (दूर्वा) का २ – २ बूँद रस नाक में डालें | इससे नकसीर फूटना बंद हो
जायेगा |
३] सत्तू में शीतल जल, मिश्री और थोडा घी
मिलाकर घोल बना के पियें | यह बड़ा पुश्तिदायी प्रयोग है | भोजन थोडा कम करें |
४] भोजन के बीच में २५ – ३५ मि. ली. आँवले का
रस पियें | ऐसा २१ दिन करें तो ह्रदय व मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी | (
शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है | )
५] २० मि. ली. आँवला रस, १० ग्राम शहद, ५
ग्राम घी – सबका मिश्रण करके पियें तो बल, बुद्धि, ओज व आयु बढ़ाने में मदद मिलती
है |
६] मुँह में छाले पड गये हों तो त्रिफला चूर्ण
को पानी में डाल के कुल्ले करें तथा
मिश्री चूसें | इससे छाले शांत हो जायेंगे |
क्या न करें ?
१] अति परिश्रम, अति कसरत, अति रात्रि-जागरण,
अति भोजन व भारी भोजन नहीं करें | भोजन में लाल मिर्च व गर्म मसालों का प्रयोग न
करें |
२] गर्मियों में दही भूल के भी नहीं खाना
चाहिए | इससे आगे चल के नस-नाड़ियों में अवरोध उत्पन्न होता है और कई बीमारियाँ
होती हैं | दही खाना हो तो सीधा नहीं खायें, पहले उसे मथ के मक्खन निकाल लें और
बचे हुए भाग को लस्सी या छाछ बना के मिश्री मिला के या छौंक लगा के सेवन करें |
ध्यान रहे, दही खट्टा न हो |
३] बाजारू शीतल पेयों से बचें | फ्रिज का पानी
न पियें | धूप में से आकर तुरंत पानी न पियें |
४ ] अति मैथुन से बुढापा जल्दी आयेगा, कमजोरी
जल्दी आयेगी | अत: इससे दूर रहें | ग्रीष्म ऋतू में विशेषरूप से संयम रखें |
ऋषिप्रसाद
– अप्रैल २०१९ से
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