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Saturday, December 5, 2020

पुण्यदायी तिथियाँ

 


२५ दिसम्बर : श्रीमदभगवदगीता जयंती, मोक्षदा एकादशी ( पापहारी तथा कामनापूरक व्रत | इसके पुण्यदान से नीच योनि में पड़े पितरों को सदगति – प्राप्ति | माहात्म्य पढने-सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल |),  तुलसी पूजन दिवस ( इस अवसर पर तुलसी का पूजन, परिक्रमा आदि करें तथा उसके समीप जप, पाठ, कीर्तन, सत्संग-श्रवण करके भगवद-विश्रांति पाये | विस्तृत जानकारी हेतु पढ़ें आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘तुलसी रहस्य’ |)


३१ दिसम्बर : गुरुपुष्यामृत योग ( रात्रि ७: ४९ से १ जनवरी सूर्योदय तक )


६ जनवरी : बुधवारी अष्टमी ( सूर्योदय से रात्रि २:०७ तक )


९ जनवरी : सफल एकादशी (सर्व कार्य सफल करनेवाला एवं सुख, भोग व मोक्ष प्रदायक व्रत )


१४ जनवरी : मकर संक्रांति ( पुण्यकाल : सुबह ८:१६ से शाम ४:१६ तक )


२० जनवरी : बुधवारी अष्टमी ( दोपहर १:१६ से २१ जनवरी सूर्योदय तक )


२४ जनवरी : पुत्रदा एकादशी ( पुत्र की इच्छा से इसका व्रत करनेवाला पुत्र पाकर स्वर्ग का अधिकारी भी हो जाता है |)


ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

 

कलह-क्लेश, रोग व दुर्बलता मिटाने का उपाय

 

जिसको घर में कलह-क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटाना हो वह इस चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे :

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार|

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

दरिद्रा देवी कहाँ निवास करती है ?

 


समुद्र-मंथन करने पर लक्ष्मीजी की बड़ी बहन दरिद्रा देवी प्रकट हुई | वे लाल वस्त्र पहने हुए थी | उन्होंने देवताओं से पूछा : “मेरे लिए क्या आज्ञा हैं ?”

तब देवताओं ने कहा : “जिनके घर में प्रतिदिन कलह होता हो उन्हीं के यहाँ हम तुम्हें रहने के लिए स्थान देते हैं | तुम अमंगल को साथ लेकर उन्हीं घरों में जा बसों | जहाँ कठोर भाषण किया जाता हो, जहाँ के रहनेवाले सदा झूठ बोलते हों तथा जो मलिन अंत:करणवाले पापी संध्या के समय सोते हों, उन्हींके घर में दुःख और दरिद्रता प्रदान करती हुई तुम नित्य निवास करो | महादेवी ! जो खोटी बुद्धिवाला मनुष्य पैर धोये बिना ही आचमन करता है, उस पापपरायण मानव की ही तुम सेवा करो ( अर्थात उसे दुःख-दरिद्रता प्रदान करो )|” ( पुद्मपुराण, उत्तर खंड, अध्याय २३२)

(हमारा आचार -व्यवहार व रहन-सहन कैसा हो यह जानने हेतु पढ़ें आश्रम से प्रकाशित सत्साहित्य ‘मधुर व्यवहार व ‘क्या करें , क्या न करे ?”)

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

स्नान के साथ पायें अन्य लाभ

 

गोमय से ( देशी गौ-गोबर के र्स को पानी में मिलाकर उससे ) स्नान करने पर लक्ष्मीप्राप्ति होती है तथा गोमूत्र से स्नान करने पर पाप-नाश होता है | गोदुग्ध से स्नान करने पर बलवृद्धि एवं दही से स्नान करने पर लक्ष्मी की वृद्धि होती है | ( अग्निपुराण : २६७.४-५)

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२०से

प्यास व भूख लगने पर

 

प्यास लगे तो जल पिये, भूख भोजन खाये |

भ्रमण करे नित भोर में, ता घर वैद्य न जायें ||

जो सदा प्यास लगने पर ही पानी पीता है, भूख लगने पर ही भोजन करता है और नियमितरुप से प्रात:काल में भ्रमण करता है, उसके घर वैद्य नहीं जाते अर्थात वह स्वस्थ्य रहता है |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

 

नींद में खर्राटे आयें तो सावधान !

 


४० प्रतिशत लोगों को खर्राटे थकान के कारण आते हैं और ६० प्रतिशत लोगों को जो खर्राटे आते हैं वे संकेत देते हैं कि शरीर में रोग जमा हो रहा है | इसका जल्दी इलाज करो, नहीं तो ह्रदयघात (heart attack), उच्च रक्तचाप ( hypertension), निम्न रक्तचाप (low B.P.) की समस्या पैदा हो सकती है | किसी भी थोड़ी-सी बीमारी में ज्यादा धक्का लग सकता है |    

खर्राटे आते हैं तो उनको नियंत्रित करने का उपाय बताता हूँ | ५ ग्राम गुड़, १० मि.ली. अदरक का रस व संतकृपा चूर्ण मिला के थोडा-थोडा लो | खर्राटे बंद हो जायेंगे, कफ और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित हो जायेगा | २१ दिन करो |   फिर ५-१० दिन छोडो, फिर करो | नाड़ियाँ साफ़ हो जायेंगी | केला, फलों का र्स, मिठाई- इनका सेवन नहीं करना |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

मानसिक रोगों में एवं बौद्धिक विकास हेतु

 

पीपल के पत्ते पर गाय का घी लगाकर उसमें पके हुए गर्म-गर्म चावल रखें | दुसरे पीपल के पत्ते पर घी लगा के उससे चावल को १०-१५ मिनट तक थाली या कटोरी से दबा के ढक  दें | बाद में पत्ता हटाकर यह चावल खिलाने से मानसिक रोग, जैसे – उन्माद,मिर्गी आदि में लाभ होता है | अनेक उपायों से जो रोगी ठिक नहीं हो सके वे भी इसके नियमित प्रयोग से ठीक होते देखे गये हैं | यह प्रयोग बुद्धिवर्धक  होने से विद्यार्थी भी इसका लाभ ले सकते हैं |


ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

सरल व अक्सीर स्वास्थ्य-प्रयोग

 


मुँह के छाँले : मिश्री – आँवले का चूर्ण मुँह में छालेवाली जगह पर रख लें | जितनी देर रख सकें, रखें और मजे से चूँसे | मिश्री- आँवला चूर्ण न हो तो आँवला मुरब्बा चबाकर जीभ की सहायता से छालेवाले स्थान पर रखें |

सिरदर्द : सर्दी से सिरदर्द हो तो दालचीनी को घिसकर लेप करें | सोंठ का लेप लगाने से भी सिरदर्द दूर होता है | लेप को गर्म करके लगाने पर विशेष लाभ होता है |

पीलिया : एक चुटकी साबुत चावल खाली पेट फाँकने से पीलिया में लाभ होता है | यकृत और पीलिया ठीक करनेवाला आशीर्वाद मंत्र, जो पूज्य बापूजी द्वारा गुरुदीक्षा के समय दिया जाता है, वह तो जादुई प्रभाव दिखाता है | एरंड ( अरंडी) के पत्तों का १० मि.ली. रस मिश्री के साथ लेने से भी पीलिया में लाभ होता है |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

कब्जियत हो तो क्या करें ?

 


आपको कब्जियत की शिकायत हो गयी है क्या ? कब्जियत हो गयी हो तो रात को त्रिफला चूर्ण अथवा इसबगोल ले लेना चाहिए और सुबह थोडा गर्म पानी पीकर जरा कूदना चाहिए | 

नाश्ते में पपीता खाना चाहिए | भोजन में गेहूँ का दलिया लें | भोजन के बाद १-२ हरड रसायन गोली चूसनी  चाहिए | भोजन में दूध लिया हो तो हरड न लें |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

 

बल एवं पुष्टि वर्धक तिल

 


तिल स्निग्ध, उष्ण, उत्तम वायुशामक, कफ-पित्तवर्धक, पचने में भारी, बल-बुद्धि व जठराग्नि वर्धक, त्वचा, बाल तथा दाँतों के लिए हितकारी है | (अष्टांगह्रदय, सुश्रुत संहिता)

तिल लाल, सफेद व काले – तीन प्रकार के होते है, जिनमें काले तिल गुणों में श्रेष्ठ हैं | तिल में प्रोटीन, लौह, मैग्नेशियम, ताँबा एवं    विटामिन इ, बी-१, बी-६, ई तथा दूध से ३ गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है | यह कैन्सररोधी है तथा उच्च रक्तचाप (hypertension) से रक्षा करता है | तिल हड्डियों को मजबूत बनाता है | यह मोटे व्यक्तियों में चरबी को घटाता है एवं दुबले-पतले लोगों में चरबी बढाता है अर्थात शरीर को सुडौल बनाता है |

* तिलों को पीसकर बनाये गये उबटन से स्नान करने से वायु का शमन होता है |

तिल के पुष्टिकर व् स्वादिष्ट व्यंजन

१] तिलकुट :


लाभ : इसके सेवन से वीर्य तथा रस-रक्तादि की वृद्धि व वात का शमन होता है | जिन व्यक्तियों को, विशेषत: वृद्धजनों को शीतकाल में बार-बार पेशाब आता है, उनके लिए भी यह लाभदायी है |

विधि : एक कटोरी तिलों को धीमी आँच पर ३-४ मिनट तक भून लें | ठंडा होने पर उन्हें मोटा पीस लें | उसमें आधा कटोरी पीसी मिश्री या गुड़ मिलाये | थोडा-सा इलायची का चूर्ण भी डाल सकते हैं |

सेवन विधि : २० ग्राम तिलकुट सुबह चबा-चबाकर खायें |

२] तिल की चटनी : एक कटोरी सफेद अथवा काले तिलों को धीमी आँच पर ३-४ मिनट तक भून लें | ठंडा होने पर इनमें २०-२५ सूखे कढ़ी पत्ते, २-३ सुखी लाल मिर्च व स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर मोटा पीस लें | इसका भोजन के साथ सेवन करने से पाचन-तंत्र मजबूत होता है |

ध्यान दें : तिल का सेवन सर्दियों में करना हितकारी हैं | इन्हें रात में न खायें | पचने में भारी होने से तिल कम मात्रा में खायें | इनकी अधिक मात्रा आमाशय को शिथिल करती है | त्वचारोग, सूजन, अधिक मासिक स्राव व पित्त-विकारों में तथा गर्भिणी स्त्रियाँ तिल का सेवन न करें | उष्ण प्रकृति के व्यक्ति अल्प मात्रा में मिश्री के साथ सेवन करें |

 

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

आचमन तीन बार क्यों ?

 


प्राय: प्रत्येक धर्मानुष्ठान के आरम्भ में और विशेषरूप से संध्योपासना में ३ आचमन करने का शास्त्रीय विधान है | धर्मग्रंथों में कहा गया है कि ३ बार जल का आचमन करने से तीनों वेद अर्थात ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं | मनु महाराज ने भी कहा है : त्रिराचमेद्प: पूर्वम | (मनुस्मृति :२.६०)

अर्थात सबसे पहले ३ बार जल से आचमन करना चाहिए | इससे जहाँ कायिक, मानसिक एवं वाचिक – त्रिविध पापों की निवृत्ति होती है वहीँ कंठशोष ( कंठ की शुष्कता) दूर होने और कफ-निवृत्ति  होने से श्वास-प्रश्वास क्रिया में मंत्रादि के शुद्ध उच्चारण में भी मदद मिलती है | प्राणायाम करते समय प्राणनिरोध से स्वभावतः शरीर में ऊष्मा बढ़ जाती है , कभी-कभी तो ऋतू के तारतम्य से तालू सूख जाने से हिचकी तक आने लग जाती है | आचमन करते ही यह सब ठीक हो जाता है |

बोधायन सूत्र के अनुसार आचमन-विधि :

(दायें ) हाथ की हथेली को गाय के कान की तरह आकृति प्रदान कर उससे ३ बार जल पीना चाहिए |

शास्त्र-रीति के अनुसार आचमन में चुल्लू जितना जल नहीं पिया जाता बल्कि उतने ही प्रमाण में जल ग्रहण करने की विधि है जितना कि कंठ व तालू को स्पर्श करता हुआ ह्रदयचक्र की सीमा तक ही समाप्त हो जाय |

पूज्य बापूजी के सत्संग -अमृत में आता है : “संध्या में आचमन किया जाता है | इस आचमन से कफ-संबंधी दोषों का शमन होता है, नाड़ियों के शोधन में व ध्यान-भजन में कुछ मदद मिलती है |

ध्यान-भजन में बैठे तो पहले तीन आचमन कर लेने चाहिए, नहीं तो सिर में वायु चढ़ जाती है, ध्यान नहीं लगता, आलस्य आता है, मनोराज चलता है, कल्पना चलती है | आचमन से प्राणवायु का संतुलन हो जाता है |

आचमन से मिले शान्ति व पुण्याई

‘ॐ केशवाय नम: | ॐ नारायणाय नम: | ॐ माधवाय नम: |” कहकर जल के ३ आचमन लेते हैं तो जल में जो यह भगवदभाव, आदरभाव है इससे शांति, पुण्याई होती है |”

इससे भी हो जाती है शुद्धि

जप करने के लिए आसन पर बैठकर सबसे पहले शुद्धि की भावना के साथ हाथ धो के पानी के ३ आचमन ले लो | जप करते हुए छींक, जम्हाई या खाँसी आ जाय, अपानवायु छूटे तो यह अशुद्धि है | वह माला नियत संख्या में नहीं गिन्नी चाहिए | आचमन करके शुद्ध होने के बाद वह माला फिर से करनी चाहिए | आचमन के बदले ‘ॐ सम्पुट के साथ गुरुमंत्र ७ बार दुहरा दिया जाय तो भी शुद्धि हो जायेगी | जैसे, मन्त्र है ‘नम: शिवाय तो ७ बार ‘ॐ नम:शिवाय ॐ दुहरा देने सेपडा हुआ विघ्न निवृत्त हो जायेगा |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से    

  

तुलसी बीज टेबलेट

 


कोरोना वायरस की वैश्चिक महामारी के चलते इन संकटमयी परिस्थियों में रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने के लिए तुलसी एक दिव्य औषधि का काम कर रही है | पूज्य बापूजी ने संदेशा भिजवाया कि ‘तुलसी के बीज से बनी तुलसी बीज टेबलेट ( आश्रम में व समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध गोलियाँ ) – बच्चों के लिए १ व बड़ों के लिए २ गोली हफ्ते में ४-५ दिन लें  (रविवार को न लें ) |’ 

इस बात को जिन्होंने महत्त्व दिया उन न्यूयार्क, न्यूजर्सी और अमेरिका के अन्य क्षेत्रों में फैले सभी साधकों से शुभ खबर आयी कि एक भी साधक कोरोना पॉजिटिव नहीं हुआ |’ कनाडा, यूरोप और भारत के लाखों – करोड़ों साधकों को तुलसी बीजों से बनी आश्रम द्वारा उपलब्ध तुलसी बीज टेबलेट ने व्यर्थ के खर्चों से, पीडाओं से और भय से बचा रखा है |

तुलसी के १ चुटकी बीज रात को भिगा के रखें, सुबह ले लें | रविवार को नहीं लें | तुलसी के बिच्ज बहुत सारे औषधीय गुणों से भरपूर हैं | दूध के साथ तुलसी के बीजों का सेवन हानिकारक है |

विभिन्न आधुनिक के बाद वैज्ञानिकों ने भी स्वीकारा है कि ‘तुलसी में जीवाणुरोधी, फफूंदरोधी, कैंसररोधी एवं विकिरणरोधी गुण हैं और यह प्राकृतिक हैंड सैनेटाइझर के रूप में भी उपयोगी हो सकती है | यह तनाव कम करती है तथा याददाश्त बढ़ाती है |

                                                                                                            

                                                                                                            ऋषिप्रसाद – दिसम्बर  २०२० से