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Saturday, December 5, 2020

बल एवं पुष्टि वर्धक तिल

 


तिल स्निग्ध, उष्ण, उत्तम वायुशामक, कफ-पित्तवर्धक, पचने में भारी, बल-बुद्धि व जठराग्नि वर्धक, त्वचा, बाल तथा दाँतों के लिए हितकारी है | (अष्टांगह्रदय, सुश्रुत संहिता)

तिल लाल, सफेद व काले – तीन प्रकार के होते है, जिनमें काले तिल गुणों में श्रेष्ठ हैं | तिल में प्रोटीन, लौह, मैग्नेशियम, ताँबा एवं    विटामिन इ, बी-१, बी-६, ई तथा दूध से ३ गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है | यह कैन्सररोधी है तथा उच्च रक्तचाप (hypertension) से रक्षा करता है | तिल हड्डियों को मजबूत बनाता है | यह मोटे व्यक्तियों में चरबी को घटाता है एवं दुबले-पतले लोगों में चरबी बढाता है अर्थात शरीर को सुडौल बनाता है |

* तिलों को पीसकर बनाये गये उबटन से स्नान करने से वायु का शमन होता है |

तिल के पुष्टिकर व् स्वादिष्ट व्यंजन

१] तिलकुट :


लाभ : इसके सेवन से वीर्य तथा रस-रक्तादि की वृद्धि व वात का शमन होता है | जिन व्यक्तियों को, विशेषत: वृद्धजनों को शीतकाल में बार-बार पेशाब आता है, उनके लिए भी यह लाभदायी है |

विधि : एक कटोरी तिलों को धीमी आँच पर ३-४ मिनट तक भून लें | ठंडा होने पर उन्हें मोटा पीस लें | उसमें आधा कटोरी पीसी मिश्री या गुड़ मिलाये | थोडा-सा इलायची का चूर्ण भी डाल सकते हैं |

सेवन विधि : २० ग्राम तिलकुट सुबह चबा-चबाकर खायें |

२] तिल की चटनी : एक कटोरी सफेद अथवा काले तिलों को धीमी आँच पर ३-४ मिनट तक भून लें | ठंडा होने पर इनमें २०-२५ सूखे कढ़ी पत्ते, २-३ सुखी लाल मिर्च व स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर मोटा पीस लें | इसका भोजन के साथ सेवन करने से पाचन-तंत्र मजबूत होता है |

ध्यान दें : तिल का सेवन सर्दियों में करना हितकारी हैं | इन्हें रात में न खायें | पचने में भारी होने से तिल कम मात्रा में खायें | इनकी अधिक मात्रा आमाशय को शिथिल करती है | त्वचारोग, सूजन, अधिक मासिक स्राव व पित्त-विकारों में तथा गर्भिणी स्त्रियाँ तिल का सेवन न करें | उष्ण प्रकृति के व्यक्ति अल्प मात्रा में मिश्री के साथ सेवन करें |

 

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से

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