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Wednesday, June 23, 2021

पूज्य बापूजी द्वारा निर्देशित दिनचर्या

 

समय एवं जीवनीशक्ति की विशेष सक्रियता

करणीय व अकरणीय कार्य

प्रात: ३ से ५  - फेफड़ो में

थोडा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना | इससे शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है | ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है |

सुबह ५ से ७ – बड़ी आँत में

प्रात: जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बिच मल-त्याग व स्नान कर लें | सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती है |

सुबह ७ से ९ – आमाशय या जठर  में

दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते  हैं | ( भोजन के २ घंटे पूर्व )

सुबह ९ से ११ – अग्न्याशय व प्लीहा में

यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है | भोजन जे बीच – बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट – घूँट पियें |

दोपहर ११ से १ – ह्रदय में

दोपहर १२ बजे के आसपास मध्यान्ह -संध्या करने का विधान है | ध्यान, जप करे | भोजन वर्जित है |

दोपहर १ से ३ – छोटी आँत में

भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए |

दोपहर ३ से ५ – मूत्राशय में

२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी |

शाम ५ से ७ – गुर्दों में

इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए |सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में ) भोजन न करें अपितु संध्या करें |

रात्रि ७ से ९ – मस्तिष्क में

इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है | अत: प्रात:काल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है |

रात्रि ९ से ११ – मेरुरज्जु में

इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है |

रात्रि ११ से १ – पित्ताशय में

इस काल में जागरण पित्त बढाता है | इस समय नयी कोशिकाएँ बनती हैं  |

राती १ से ३ – यकृत में

इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता हैं |

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