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Wednesday, June 23, 2021

रोगों को भगाने व दीर्घायु हेतु ....

 

इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है |

इन्द्रियाणां मनो नाथो मनोनाथस्तु मारुत: |  (हठयोगप्रदीपिका : ४.२९)

प्रात: ३ से ५ बजे के बीच  त्रिबंधयुक्त प्राणायाम करना अत्यंत हितकारी है | त्रिबंध करके प्राणायाम करने से विकारी जीवन सहज भाव से निर्विकारिता में प्रवेश करने लगता है | मुलबंध से विकारों पर विजय पाने का सामर्थ्य आता है | उड्डियान बंध से व्यक्ति उन्नति में विलक्ष्ण उड़ान ले सकता है | जालंधर बंध से बुद्धि विकसित होती है |



विधि : दोनों नथुनों से खूब श्वास भरो | त्रिबंध करो – गुदाद्वार को अंदर सिकोड़ लो (मुलबंध), पेट को अंदर खींचो (उड्डियान बंध ) और यथासम्भव सिर सीधा रखते हुए ठुड्डी को छाती से लगा लो (जालंधर बंध) | मन में ॐकार, गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करते हुए स्व से पौने दो मिनट श्वास रोके रखो | अब धीरे-धीरे श्वास छोडो | फिर सामान्य गति से २ – ४ श्वासोच्छ्वास के बाद पूरा श्वास बाहर निकालकर ५० सेकंड से स्व मिनट उसे बाहर रोको | फिर धीरे-धीरे श्वास ले लो | श्वास लेते और रोके रखते समय मानसिक जप चालू रखें | बाह्य व आभ्यन्तर कुम्भक मिलाकर यह १ प्राणायाम हुआ | बीमार हो या तन्दुरुस्त हो, लम्बी उम्र के लिए और रोगों को भगाने के लिए ऐसे ३ से ५ प्राणायाम अवश्य करने चाहिए |

 

कुम्भक प्राणायाम बहुत सारी योग्यताओं और शक्तियों का धनी बना देंगे |

इससे प्राणबल, मनोबल, बुद्धिबल व रोगप्रतिकारक बल बढ़ेंगे | शरीर में जो भी आम (कच्चा, अपचित रस ) होगा वह खिंच के जठर में स्वाहा हो जायेगा | वर्तमान की अथवा आनेवाली बीमारियों की जड़े स्वाहा होती जायेंगी | आपका शरीर और मन निरोग तथा बलवान बन के रहेंगे |

मन:शरीर और प्राण-शरीर को स्वस्थ रखने का उपाय

पूर्ण आरोग्यता तो मन: शरीर और प्राण-शरीर दोनों को स्वस्थ रखने से ही मिलती है | इन दोनों शरीरों को स्वस्थ करने के लिए तीर्थस्थल के जलाशय में नहाते समय नाभि तक जल खड़े हो जायें | दायें हाथ की अंजलि में जल लेकर उसे निहारते हुए १०० बार ‘ॐ’ का जप करें, फिर वह जल पी लें | तीर्थस्थल में नहीं है अथवा वहाँ का जल पीने योग्य नहीं है तो घर में ही एक कटोरी में जल लेकर सुबह स्नान के पश्चात यह प्रयोग करें | चाँदी अथवा सोने की कटोरी हो तो अति उत्तम, नहीं तो ताँबे आदि की भी चलेगी | पानी को निहारते हुए ‘ॐ का जप करें | नेत्रों के द्वारा मंत्रशक्ति की तरंगे पानी में जायेंगी और ‘ॐ के जप से मन:शक्ति तथा प्राणशक्ति का विकार होगा |

शारीरिक और मानसिक तनाव दूर करने के लिए

शारीरिक और मानसिक तनाव दूर करने के लिए सुंदर उपाय है  - आजपा गायत्री | शरीर को खूब खींचे फिर ढीला छोड़ दें | मन-ही-मन चिंतन करें कि ‘मैं स्वस्थ हूँ... शरीर की थकान मिट रही है....’ इस प्रकार शारीरिक आराम लेकर फिर श्वासोच्छ्वास की गिनती करें ( श्वास अंदर जाय तो ‘ॐ या भगवान का नाम... बाहर निकले तो ‘१...., श्वास अंदर जाय तो ‘आनंद अथवा ‘शांति’....... बाहर निकले तो ‘२ ....) | इससे शारीरिक एवं मानसिक तनाव मिटेंगे | लम्बी गिनती व ‘शांति....’, ‘आनंद...’ से अधिक लाभ होगा |

भगवत-विश्रांति पाना चाहते है तो रोज सूर्योदय से पहले नहा-धोकर बैठे जायें और भगवन्नाम सहित  श्वासोच्छ्वास की गिनती करें | रात्रि को सब चिंता-तनाव ईश्वरार्पण करके भगवन्नाम के साथ श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सो जायें तो रात भी ईश्वरीय शांति का धन कमाने में बीतेगी | इन सहज युक्तियों से दिन भी सफल और रात भी !

    ऋषिप्रसाद – जून २०२१ से

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