‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्रागे वद वद ॐ ऐं ह्रीं
श्रीं क्लीं नम: स्वाहा |’
यह मंत्र २६ जून २०२१ को प्रात: ४:२६ से रात्रि ११:४५ बजे के बीच अथवा २३
जुलाई २०२१ को दोपहर २:२६ से रात्रि ११:४५ बजे के बीच १०८ बार जप लें और फिर
मंत्रजप के बाद जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें | जिसकी जीभ पर यह मंत्र
इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अदभुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
(ध्यान दें : गुजरात व महाराष्ट्र में यह योग केवल २३ जुलाई को हैं )
ऋषिप्रसाद – जून २०२१
से
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