“आलू रद्दी - से - रद्दी
कंद है | इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए
हितकारी नहीं है | तले हुए आलू का सेवन तो बिल्कुल ही न करें | आलू का तेल व नमक
के साथ संयोग विशेष हानिकारक है | जब अकाल पड़े, आपातकाल हो
और खाने का कुछ न मिले तो आलू को आग में भूनकर केवल प्राण बचाने के लिए खायें |” – पूज्य बापूजी
आचार्य चरक ने सभी
कंदों में आलू को सबसे अधिक अहितकर बताया है | आलू को तेल में तलने से वह विषतुल्य
काम करता है | आधुनिक अनुसंधानो के अनुसार उच्च तापमान पर या अधिक समय तक आलू को
तेल में तलने से उसमें स्वाभाविक ही एक्रिलामाइड का स्तर बढ़ता है, जो
कैंसर-उत्पादक तत्त्व सिद्ध हुआ है | कुछ शोधकर्ताओं ने तले हुए आलू के अधिक सेवन
से मृत्यु-दर में वृद्धि होती पायी | इसका सेवन मोटापा व मधुमेह का भी कारण बन
सकता है |
आलू का भूलकर भी
सेवन न करें | पहले के खाये हुए आलू का शरीर पर कुप्रभाव पड़ा हो तो उसे निकालने के
लिए रात को ३-४ ग्राम त्रिफला चूर्ण या ३-४ त्रिफला टेबलेट पानी से लेना हितकारी
रहेगा |
ऋषिप्रसाद
– जुलाई २०२१ से
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