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Sunday, August 18, 2013

वैदिक रक्षाबंधन

प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन  का त्यौहार होता है, इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है ।

वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :

इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -
(१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने ।

इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।

इन पांच वस्तुओं का महत्त्व -

(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।
(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।
(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।

महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी । जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं ।

रक्षा सूत्र बांधते समय ये श्लोक बोलें -

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल: ।

Celebrating Rakshabandhan in Vedic manner :-

Every year, Sharavani Purnima is celebrated as the Rakshabandhan (2nd August 2012) festival. On this day, sisters tie the Raksha-Sutra (Raksha thread) on their brothers. Our scriptures have laid great significance on preparing this raksha thread in the vedic manner.
Vedic method of preparing the Raksha Sutra:

There are five items needed -
1. Durva (Grass)
2. Akshat (Rice)
3. Kesar
4. Chandan
5. Mustard grains

Significance of these five items
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1. Durva - Just as on sowing even one seed of Durva, it spreads rapidly and grows out in numbers above thousands, in the same way, I pray that My brother's lineage and his good qualities keep growing steadily. Good character and mental purity should develop progressively. Durva is Lord Ganesha's favourite which implies that all obstacles get eradicated from the life of those who are tied with a rakhi.
2.Akshat - Our devotion towards Gurudev must never give away, should always remain unbroken.
3.Kesar - The natural property of Kesar is heat i.e. may the one who is tied with a rakhi have a illustrious life. May the qualities of spirituality and devotion always flourish forth.
4. Chandan - The natural property of Chandan is cool and it emanates fragrance. Pray that he leads a composed life free of any mental tensions. Also, his life should be fragrant with selfless service to others, good character and self control.
5. Mustard seeds - The property of mustard is sharply acidic which conveys the meaning that we should be sharp in overcoming and eradicating the social ills around us.

In this way, offer a rakhi made of these 5 items firstly to Gurudev's image. Thereafter, sisters can tie them to their brothers, mothers to their children, grandmothers to their grandson after making holy resolutions. In Mahabharata, Mother Kunti had tied this raksha-sutra to her grandson Abhimanyu. As long as the thread stayed put on his hand, he stayed protected. Abhimanyu was killed only after the thread snapped.

In this way, the holy thread composed of these 5 items is to be tied in the vedic manner.
While tying the raksha- sutra, recite this shloka:

YENA BADHHO BALI RAJA, DANAVENDRO MAHBALAH
TENA TVAAM RAKSHA BANDHAMI, RAKSHE MAACHAL MAACHALAH.


सुरेशानंदजी

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