पेट में कोई भी खराबी हो, नाडी तंत्र में कहीं भी गड़बड़ी हो, वो ठीक होजाये, ध्यान-भजन में फायदा रहें | इसको बोलते है ‘प्लावली कुम्भक’|
रीत : पहले अपने दाहें-बाहें श्वास ले लिया | फिर दोनों नथुनों से आँत में श्वास भरा और श्वास भरा तो इतना भरा – इतना भरा की मानो पूरा पेट श्वास से भर गया | पूरे शरीर की वायु शरीरमें स्टोरेज हो गयी और पेट वायु से भर गया, दोनों नथुनों से लें| पेट को गोले की तरह (जैसे पृथ्वी गोल घुमती है ) ऐसे पेट को थोडा घुमाने की
कोशिश करोगे तो थोडा जरा घुमता है | फुला दिया दोनों नथुने से श्वास भर दिया फिर पेट को घड़ी के काँटे घूमते है वैसे उल्टा घुमाया | फिर घडी के काँटे घूमते है ऐसा घुमाया | इससे पेट के रोग सब भाग जायेगे, कबज्यात भाग जायेगी, अपानवायु कम हो जायेगा, जठराग्नि प्रदीप हो जायेगी, वीर्य और रक्त शुद्ध हुआ तो बाकि अशुद्ध क्या बनेगा| ऐसे वीर्य और रक्त शुद्ध हो जायेगा | वीर्य और रक्त अशुद्धि से सारे उपद्रव होते है |
Plavali Pranayam
If one is
suffering from stomach disorders, weakness in the nerve system and
disturbance during meditation or prayers, one can receive benefit from
Plavali Pranayam.This practice will drive away all diseases of stomach, constipation, reduce farting, improve digestive power, cleanse semen and blood. Then, what is left to be impure in the body! All diseases in body eventually come from impurities in semen and blood.
- Pujya Bapuji Ahmedabad 22nd July 2013
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