नेत्र दान करों, रक्त दान करो.. रामसुखजी बोलते है शास्त्रों में मना किया है कि, प्रकृति के दिये हुये अंग आप ज्यों को त्यों प्रकृति को सोंपे | नेत्र दान करके जायेंगे, किडनी दान करेंगे | उसी नेत्रों से वो दुराचार करेंगा तो क्या पता क्या होगा | ईश्वर को और प्रकृति को अपना मैं दान कर दो | नेत्र दान करोगे तो दुसरे जनम में नेत्रहीन बनोगे तब तौबा होजायेगी | रामसुखदासजी शास्त्रों का उदाहरण दिया कि, अपने अंगो का दान
नहीं करना |
नहीं करना |
Never donate organs
Saint Ramsukhji
has forbidden from donating organs like eyes or blood... The organs
that have been given by nature and must be returned to it as is. There
is no guarantee if the donated eyes will not be used for watching unholy
sights or not. If you want to donate, submit your ego to Lord and
nature. If you donate eyes, then in next life, you shall be born blind
which will be a disaster. As forbidden by scriptures, Ramsukhdasji has forewarned us from donating any organs.
- Pujya Bapuji Ahmedabad 23rd July' 2013
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