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Thursday, August 22, 2013

साधना रक्षा मंत्र -

कृपा मातेश्वरी ! देवेश्वरी ! हे करुणामई ! तुम हमारे ह्रदय में सदा रहना.. कलयुग के दोषों से हमारी मधुमय साधना छूट न जाए | अगर साधना को विघ्न आता है तो "ॐ नमो: सर्वार्थ साधिनी स्वाहा: |" बस! विघ्न गए और प्रभु  का आनंद और प्रभु के दीवाने रहे |

Mantra for protection of spiritual practice
I pray for your blessings , Oh Mateshwari! Deveshwari! Oh The Compassionate! May you reside always in my heart.... May you protect my spiritual practice from the pangs of Kaliyuga.

If you are still troubled by interruptions in your practice, then recite

"AUM NAMOH SARVARTHA SADHINI SWAHAH |"
Thats it! All obstacles are gone and with Lord's divine grace and happiness, you remain His benevolent devotee.

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- Pujya Bapuji CD Pi Le Dhyan Ki Bhang (Dhyan)

पेट भारी है तो –

बरसात ऋतू है तो खाना खाया तो पेट भारी-भारी है | तो १ – २ हरड रसायन गोली चूस लो खाना हजम हो जायेगा अथवा सौंफ और एक इलायची चबा ले तो खाना हजम हो जायेगा |

Heavy stomach
Sometime stomach feels heavy, especially during this rainy season. Then suck a couple of Harad tablets to aid digestion. You may also take a little fennel seeds and whole cardamom chewed together to help digest the food in stomach.


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- Pujya Bapuji Raipur 7th July' 2013

बुढ़ापे में झुरियाँ से बचने हेतु –

 बड़ी उम्रवालों को सुखा नारियल चबाके खाना चाहिये तो झुरियाँ नहीं पड़ेगी | नारंगी खाना चाहिये तो झुरियाँ नहीं पड़ेगी |

To avoid wrinkles in old age
Aged people should take dry coconut by chewing properly to avoid wrinkles. Also, eating oranges helps prevent formation of wrinkles.

-   Pujya Bapuji Bhopal 8th July 2013

आयु अनुसार विशेष आहार –




शरीर को स्वस्थ व मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन्स, विटामिन्स व खनिज (minerals) युक्त पोषक पदार्थो की आवश्यकता जीवनभर होती है | विभिन्न आयुवर्गो हेतु विभिन्न पोषक तत्त्व जरुर्री होते है, किस उम्र में कौन-सा तत्त्व सर्वाधिक आवश्यक है यह दिया जा रहा है :

१) जन्म से लेकर ५ वर्ष की आयु तक : इस उम्र में बच्चों के स्वस्थ शरीर तथा मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन ‘डी’ जो कैल्शियम ग्रहण करने में मदद करता है व लोह तत्त्व अत्यावश्यक होता है | विटामिन ‘डी’ की पूर्ति में दूध, घी, मक्खन, गेंहूँ, मक्का जैसे पोषक पदार्थ तथा प्रात:कालीन सूर्य की किरणें दोनों अत्यंत मददरूप होते है | किसी एक की भी कमी होने से बच्चों को हड्डियाँ कमजोर व पतली रह जाती है, वे सुखा रोग से ग्रस्त हो जाते है, अत: स्तनपान छुड़ाने के बाद बच्चों के आहार में लोह व विटामिन ‘डी’ युक्त पदार्थ जरुर शामिल करने चाहिए |

२) ६ से १९ वर्ष की आयु तक : ६ से १२ वर्ष की आयु बाल्यावस्था और १३ से १९ वर्ष की आयु किशोरवस्था है | इस आयु में शरीर तथा हड्डियों का तेजी से विकास होता है इसलिए कैल्शियम की परम आवश्यकता होती है | बड़ी उम्र में हड्डियों की मजबूती इस आयु में लिए गये कैल्शियम की मात्रा पर निर्भर रहती है | दूध, दही, छाछ, मक्खन, तिल, मूंगफली, अरहर, मुंग, पत्तागोभी, गाजर, गन्ना. संतरा, शलजम, सूखे मेवों व अश्वगंधा में कैल्शियम खूब होता है | आहार – विशेषज्ञों के अनुसार इस आयुवर्ग को कैल्शियम की आपूर्ति के लिए प्रतिदिन एक गिलास दूध अवश्य पीना चाहिए |
इस उम्र में लौह की कमी से बौद्धिक व शारीरिक विकास में रुकावट आती है | राजगिरा, पालक,मेथी, पुदीना, चौलाई, आदि हरी सब्जियों एवं खजूर, किशमिश, मनुक्का, अंजीर, काजू, खुरमानी आदि सूखे मेवों तथा करेले, गाजर, टमाटर, नारियल, अंगूर, अनार, अरहर, चना, उड़द, सोयाबीन आदि पदार्थो के उपयोग से लौह तत्त्व की आपूर्ति सहजता से की जा सकती है |
किशोरावस्था में प्रजनन क्षमता के विकास हेतु जस्ता (zinc) एक महत्त्वपूर्ण खनिज है | सभी अनाजों में यह पाया जाता है | इस आयु में खनिज की कमी से बालकों का स्वभाव हिंसक व क्रोधी हो जाता है तथा बालिकाओं में भूख की कमी एवं मानसिक तनाव पैदा होता है | अनाज, दालों, सब्जियों व कन्दमुलों (गाजर, शकरकंद, मुली, चुकंदर आदि) में खनिज विपुल माता में होते है |

३) २० से ३० वर्ष की आयु तक : इस युवावस्था में सर्वाधिक आवश्यकता होती है लौह तत्त्व, एंटी-ऑक्सीडेटस, फ़ॉलिक एसिड तथा विटामिन ‘ई’ व ‘सी’ की |
(क) लौह तत्त्व : मासिक धर्म के कारण पुरुषो की अपेक्षा स्त्रियों को लौह तत्त्व की दोगुनी जरूरत होती है |
(ख) एंटी-ऑक्सीडेटस : कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाने हेतु तथा स्त्री-पुरुषों के प्रजनन-संस्थान को स्वस्थ बनाये रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेटस आवश्यक होते है | आँवला, मुनक्का, अंगूर, अनार, सेवफल, जामुन, बेर, नारंगी, आलूबुखारा, स्ट्रोबेरी, रसभरी, पालक, टमाटर में एंटी-ऑक्सीडेटस अधिक मात्रा में पाये जाते है | फलों के छिलके व बिना पकाये पदार्थ जैसे सलाद, चटनी आदि में भी ये विपुल मात्रा में होते है | अन्न को अधिक पकाने से वे घट जाते है |
(ग) फ़ॉलिक एसिड : महिलाओं में युवावस्था व प्रारम्भिक गर्भावस्था में फ़ॉलिक एसिड की भी आवश्यकता होती है | यह फूलगोभी, केला, संतरा, सेम, पत्तेदार हरी सब्जियों, खट्टे-रसदार फलों, आडू, मटर, पालक, फलियों व शतावरी आदि में पाया जाता है |
(घ) विटामिन ‘ई’ : पुरुषों में पुंसत्वशक्ति व स्त्रियों में गर्भधारण क्षमता बनाये रखने के लिए इसकी आवश्यकता होती है | यह ह्रदय व रक्तवाहिनियों को स्वस्थ रखकर रक्तदाब नियंत्रित रखता है | इससे गम्भीर ह्रदयरोगों में रक्षा होती है | अंकुरित अनाज, वनस्पतिजन्य तेल (तिल, मूंगफली, सोयाबीन, नारियल तेल आदि) व सुकहे मेवे विटामिन ‘ई’ के अच्छे स्त्रोत है | एक चुटकी तुलसी के बीज रात का भिगोकर सुबह सेवन करने से भी विटामिन ‘ई’ प्राप्त होता है |
(ड) विटामिन ‘सी’ :  रक्त को शुद्ध व रक्तवाहिनियों को लचीला बनाये रखने तथा हड्डियों की मजबूती के लिए यह आवश्यक है | संतरा, आँवला, नींबू, अनन्नास आदि खट्टे व रसदार फल, टमाटर, मुली, पपीता, केला, अमरुद, चुकंदर आदि में यह अच्छी मात्रा में पाया जाता है |

(४) ३१ से ५० वर्ष की आयु तक :  इस प्रोढ़ावस्था के दौरान कैल्शियम, विटामिन ‘ई’ और फ़ॉलिक एसिड की आवश्यकता अधिक होती है | फ़ॉलिक एसिड व विटामिन ‘ई’ ह्रदयरोगों की संभावनाओं को कम करते है |
महिलाओ में रजोनिवृत्ति के बाद इस्ट्रोजन हार्मोन स्त्रावित होना बंद हो जाता है, जिसके आभाव में कैल्शियम का अवशोषण मंद पड जाता है, अत: रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों को कमजोर होने से बचाने के लिए कैल्शियमयुक्त पदार्थों की जरूरत अधिक होती है |

(५) ५१ से ७० वर्ष या इससे ऊपर की आयु :  इस उम्र के दौरान कोशिकाओं में होनेवाले वार्धक्यजन्य परिवर्तनों को रोकने के लिए एंटी-ऑक्सीडेटस सहायक तत्त्व है | इनके अभाव में लकबा, ह्रदयरोग तथा ज्ञानतंतु व ज्ञानेंद्रियों की दुर्बलता (neurodegenerative changes) एवं कैंसर होने की सम्भावना अधिक होती है | वृद्धावस्था में रक्तचाप को सामान्य रखने में पोटेशियमयुक्त पदार्थ लाभदायी हैं | फलों और सब्जियों, खुरमानी, आलूबुखारा, आडू, मुनक्का, खजूर, सूखे नारियल आदि में पोटेशियम समुचित मात्रा में मौजूद होता है | इस आयु में दूध, फल और सब्जियों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए |
इस प्रकार आयु अनुसार आहार लेने से व्यक्ति स्वस्थ व रोगमुक्त रहता है |
-ऋषिप्रसाद अगस्त २०१३ से          

     

Nutritional requirements by life Stage Group
Nutritious diet rich in proteins, vitamins & minerals is essential to keep the body strong and healthy all throughout the life. Nutrient needs vary throughout the life cycle. Various age groups need different nutrients. The requirement of nutrients during different life stage groups is given below:

1) Life stage group: 1 through 5 years :  Children of this age group need, particularly vitamin D which helps in mineralization of bones for development of bones, and iron for optimum growth of the body, Adequate exposure to ultraviolet light of morning sun and foods like milk, ghee, butter, wheat, maize are very helpful in providing vitamin D. deficiency of vitamin D can result in insufficient mineralization of the growing bones and they tend to develop rickets in children characterized by imperfect calcification, softening and distortion of the bones. Deficiency of iron may have an effect on mental development and may result in cognitive and behavioral problems. So after weaning the baby must be given substances rich in vitamin D and iron in their diet.

2) Life stage group: 6 through 19 years: The life-stage between 6-12 years is called childhood; and between 13-19 years is called adolescence. During this stage of life, the body and bones develop rapidly. Hence they need abundant quantity of calcium. The strength of bones during old age depends upon the intake of calcium taken during this stage of life Milk, buttermilk, curds, butter, sesame-seed, moong (green gram), cabbage, carrot, sugarcane, orange, turnip, dry fruits and ashwagandha (Withania somnifera) are rich dietary sources of calcium. According to dieticians the people of this age group must take a glass of milk everyday as a calcium supplement.
Deficiency of iron in the body during this stage of life retards physical and mental development. If we take these rich sources of iron in our diet we can easily get the needed amount of iron. They are : green leafy vegetables such as Rajgira (amaranthus paniculatus), spinach, fenugreek, mint, chaulai (amaranthus polygrmus), dry fruits like dates, currants, raisins, figs, cashew nut, apricots, etc. and certain other sources as bitter gourd, carrot, tomato, coconut, grapes, pomegranate, pigeon-pea (Cajanus Indicus), grams, urad (black gram) soya beans etc.
Zinc is an important mineral required for sexual maturation during adolescence which is easily obtained from all grains. Deficiency of zinc can cause aggressive and violent behavior in adolescent boys, and poor appetite and stress in adolescent girls. Food grains, pulses, vegetables and tuber roots (carrot, sugar potato, radish, beet root etc.) are rich sources of minerals.

3) Life stage group: 20 through 30 years : Iron, anti-oxidants, folic acid, vitamin E and vitamin C are required in abundant amounts during youth. (a)Iron: On account of excessive losses of iron from menstruation, women need double the amount of iron than men. (b) Anti-Oxidants: Anti-oxidants are required to prevent cell damage and maintain the male and female reproductive systems in perfect health. Amla (the emblic myrobalan), currants, pomegranate, black plums, berries, oranges, plums, strawberry, raspberry, spinach and tomatoes are rich sources of anti-oxidants. The skins of fruits & uncooked foods such as salads, chutneys etc. Are also rich in anti-oxidants. They are lost significantly when the food is overcooked. (c) Folic Acid :  Women need folic acid during youth and in the early stages of pregnancy. Important sources of folic acid are cauliflower, banana, orange, beans, dark green leafy vegetables, citrus fruits, peach, peas, spinach, pods, asparagus etc. (d) Vitamin ‘E’ : It is required for virility in men and fertility in women. It also reduces the risk of cardiovascular diseases. Sprouted grains, vegetable oils (sesame, groundnut, soya bean, coconut oils etc.) and dry fruits are rich sources of vitamin E. Soak a pinch of tulsi seeds at night. Take it in the morning to get vitamin ‘E’. (e) Vitamin ‘C’ : It purifies blood, keeps blood vessels resilient, and strengthens the bones. Orange, amla, lemon, pineapple, citrus fruits, tomato, radish, papaya, banana, guava, beet-root etc. are good sources of vitamin ‘C’.

(4) Life stage group: 31 through 50 years:  During this mature stage of life calcium, vitamin E and folic acid are much required. Folic acid & vitamin E reduce the risk of developing heart diseases. After menopause there is less secretion of estrogen in females. It reduces the absorption of calcium. So they need foods rich in calcium to prevent osteoporosis.
(5) Life stage group: 51 through 70 years and above: Anti oxidants are much needed to prevent degenerative changes in the cells of the body associated with senility. Their deficiency can increase the chances of developing paralysis, heart disease, neuro-degenerative changes and cancer.  In order to maintain the blood-pressure of the body, a diet rich in potassium is quite beneficial in old age. Fruits and vegetables, apricot, plums, peach, currents, dates, dry coconut are rich sources of potassium. During this age one should specifically take milk, vegetable & fruits.
Diet plan according to the life-stage group helps in maintaining the body hale & hearty and also in prevention of many diseases. 

-      Rishiprasad – August 2013  /Pujya Bapuji Bhopal 8th July' 2013

चंदन तीलक का महिमा –

चंदनस्य  महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम |
आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ||

चंदन का तीलक महापुण्यदायी है | आपदा हर देता है |

Glory of Chandan Tilak 

CHANDANASYA MAHATPUNYAM PAVITRAM PAPA NAASHANAM |
AAPADAM HARATI NITYAM LAKSHMI TISHTHATI SARVADA ||
Apply Chandan Tilak (Tilak to Moon) is considered highly virtuous. It drives away untoward occasions one's life.

-   Pujya Bapuji Jodhpur 10th August' 2013

छौंक कैसे लगाये –

माताओं घर में छौंक लगाती है तो १०० – १५० – २५० डिग्री तक तेल, घी गरम करती है, उसमे डालेगी मिर्च-मसाला कि छौंक लगायेगी | तो तेल- घी Poison हो जायेगा और जो छौंक लगाती है, मिर्च-मसाला उसका भी विटामिन का नाश हो गया |
छौंक लगाना है तो जितना घी-तेल डालते है उससे दुगना पानी डालें और जरागरम हो डाल दो  | जलना नहीं चाहिये मिर्च-मसाला, नहीं तो उसकी गंध,विटामिन उड़ जाती है |

Right use of kitchen spices

All women apply chaunk in the kitchen by putting spices in oil or ghee heated upto 100-150-250 degrees. That turns the oil-ghee poisonous and the used spices become useless as they have all lost their vitamins.
For correct use, put twice the quantity of water as the amount of oil or ghee in pan and then put in the spices once the mixture is warm. One must never burn the spices, else its flavour and vitamins all vapourise away.

-    Pujya Bapuji Jaipur 2nd August' 2013

स्वप्ने ज्यादा आते हो तो –

रात को स्वप्ना ज्यादा आता हो तो ‘ॐकार’ गुंजन करके १० -१५ मिनट के बाद में सोयें |

Troubled by excessive dreams
If troubled by too many dreams at night, then recite "AUM" mantra for 10-15 minutes before going to bed each night.

-    Pujya Bapuji Delhi 20th July 2013

माँगलिक है तो –

छोकरी माँगलिक है, शादी नहीं होती | छोकरा माँगलिक है शादी हो के टूट जाती है | मंत्र है वो थोडा जप करें और हनुमानजी को थोडा सिंदूर और तेल का चोला चढ़ावे सात मंगलवार अथवा शनिवार, तो माँगलिक ग्रह भाग जायेगा |

For Mangliks
If a boy or girl is Manglik and having trouble getting married or troubled with broken marriage, they should recite Gurumantra and offer vermilion to Lord Hanuman along with oil dips for seven Tuesdays or Saturdays. Then, Manglik fate will vanquish.

-    Pujya Bapuji Ahmedabad 24th July 2013

अंग दान नहीं करना –

नेत्र दान करों, रक्त दान करो.. रामसुखजी बोलते है शास्त्रों में मना किया है कि, प्रकृति के दिये हुये अंग आप ज्यों को त्यों प्रकृति को सोंपे | नेत्र दान करके जायेंगे, किडनी दान करेंगे | उसी नेत्रों से वो दुराचार करेंगा तो क्या पता क्या होगा | ईश्वर को और प्रकृति को अपना मैं दान कर दो | नेत्र दान करोगे तो दुसरे जनम में नेत्रहीन बनोगे तब तौबा होजायेगी | रामसुखदासजी शास्त्रों का  उदाहरण दिया कि, अपने अंगो का दान
नहीं करना |

Never donate organs
Saint Ramsukhji has forbidden from donating organs like eyes or blood... The organs that have been given by nature and must be returned to it as is. There is no guarantee if the donated eyes will not be used for watching unholy sights or not. If you want to donate, submit your ego to Lord and nature. If you donate eyes, then in next life, you shall be born blind which will be a disaster. As forbidden by scriptures, Ramsukhdasji has forewarned us from donating any organs.

-   Pujya Bapuji Ahmedabad 23rd July' 2013

प्लावली प्राणायाम -


पेट में कोई भी खराबी हो, नाडी तंत्र में कहीं भी गड़बड़ी हो, वो ठीक होजाये, ध्यान-भजन में फायदा रहें | इसको बोलते है ‘प्लावली कुम्भक’|
रीत  : पहले अपने दाहें-बाहें श्वास ले लिया | फिर दोनों नथुनों से आँत में श्वास भरा और श्वास भरा तो इतना भरा – इतना भरा की मानो पूरा पेट श्वास से भर गया | पूरे शरीर की वायु शरीरमें स्टोरेज हो गयी और पेट वायु से भर गया, दोनों नथुनों से लें| पेट को गोले की तरह (जैसे पृथ्वी गोल घुमती है ) ऐसे पेट को थोडा घुमाने की

कोशिश करोगे तो थोडा जरा घुमता है | फुला दिया दोनों नथुने से श्वास भर दिया फिर पेट को घड़ी के काँटे घूमते है वैसे उल्टा घुमाया | फिर घडी के काँटे घूमते है ऐसा घुमाया | इससे पेट के रोग सब भाग जायेगे, कबज्यात भाग जायेगी, अपानवायु कम हो जायेगा, जठराग्नि प्रदीप हो जायेगी, वीर्य और रक्त शुद्ध हुआ तो बाकि अशुद्ध क्या बनेगा| ऐसे वीर्य और रक्त शुद्ध हो जायेगा | वीर्य और रक्त अशुद्धि से सारे उपद्रव होते है |

Plavali Pranayam
If one is suffering from stomach disorders, weakness in the nerve system and disturbance during meditation or prayers, one can receive benefit from Plavali Pranayam.
Procedure: First, take a few regular breaths from both nostrils. Then from both nostrils, take a deep breath... so deep that you feel as it your stomach is getting full with air. Now the entire air in your body is concentrated near your stomach and filled with air. Now churn your stomach slowly. Even on a full stomach filled with air, you can churn it slowly  clockwise .. then repeat that anti-clockwise.

This practice will drive away all diseases of stomach, constipation, reduce farting, improve digestive power, cleanse semen and blood. Then, what is left to be impure in the body! All diseases in body eventually come from impurities in semen and blood.

-   Pujya Bapuji Ahmedabad 22nd July 2013

तुलसी को क्या न करें –


कोई तुलसी को लाल चुनरी उड़ा देते है | वो शास्त्र ना कहते है | तुलसी पर लाल कपड़ा कभी नहीं पहनना चाहिये | सूर्य उदय के पहले और सूर्यास्त के बाद तुलसी को छूना नहीं चाहिये |

Things not to do around Basil
Some people wrap a red cloth around Basil. This is forbidden as per scriptures. Also, one must not touch Basil plant before sunrise and after sunset.

-    -   Shri Sureshanandji Ahmedabad 21st July 2013

मासा अनुसार देवपूजन –


•       माघ मास में सूर्य पूजन का विशेष विधान है | भविष्य पुराण आदि में वर्णन आता है | आरोग्यप्राप्ति हेतु बोले, माघ मास आया तो सूर्य उपासना करों |
•       फाल्गुन मास आया तो होली का पूजन किया जाता है.. बच्चों की सुरक्षा हेतु |

•       चैत्र मास आता है चैत्र मास में ब्रम्हा, दिक्पाल आदि का पूजन कियाजाता है ताकि वर्षभर हमारे घर में सुख-शांति रहें |
•       वैशाख मास भगवान माधव का पूजन किया जाता है ताकि, मरने के बाद वैकुंठलोक की प्राप्ति हो | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय... |
•       जेष्ठ मास में यमराज की पूजा की जाती है ताकि, वटसावित्री का व्रत सुहागन देवियाँ करती है | यमराज की पूजा की जाती है ताकि, सौभाग्य की प्राप्ति हो, दुर्भाग्य दूर हो |
•       श्रावण मास में दीर्घायु की प्राप्ति हो, श्रावण मास में शिवजी की पूजाकी जाती है | अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् |
•       भाद्रपद मास में गणपति की पूजा करते है की, निर्विध्नता की प्राप्ति हेतु | 
•       आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में फिर पितृ पूजन करते है की, वंश वृद्धि हेतु | और अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में माँ दुर्गा की पूजा होती है की, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु नवरात्रियों में |
•       कार्तिक मास में लक्ष्मी पूजा की जाती है, सम्पति बढ़ाने हेतु |
•       मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता है कि जो गुजर गये उनके आत्मा शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले | जीवनकाल में तो बिचारेशांति न लें पाये और चीजों में उनकी शांति दिखती रही पर मिली नहीं | तो मार्गशीर्ष मास में विश्व देवताओं के पूजन करते है भटकते जीवों के सद्गति हेतु |
•       आषाढ़ मास में गुरुदेव का पूजन करते है अपने कल्याण हेतु और गुरुदेव कापूजन करते है तो फिर बाकी सब देवी-देवताओं की पूजा से जो फल मिलता है वोफल सद्गुरु की पूजा से भी प्राप्त ही सकता है, शिष्य की भावना पक्की हो की – सर्वदेवो मयो गुरु | सभी देवों का वास मेरे गुरुदेव में हैं | तोअन्य देवताओं की पूजा से अलग-अलग मास में अलग-अलग देव की पूजा से अलग-अलग फल मिलता है पर उसमें द्वैत बना रहता है और फल जो मिलता है वो छुपने वाला होता है | पर गुरुदेव की पूजा-उपासना से ये फल भी मिल जाते है और
धीरे-धीरे द्वैत मिटता जाता है | अद्वैत में स्थिति होती जाती है |

Worship of God as per month
- There is special significance of worship of Sun in the month of Magh. It has been extolled in Bhavishya Puranas well. It aids in improving longevity.
- For safety of children, Holi must be worshipped during Phalgun month.
- For everlasting peace-prosperity at home, one should worship Brahma or Dikalp in Chaitra month.
- Lord Madhava is worshiped in month of Baisaakh so that one gets abode in Vaikuntha Loka after death. AUM NAMO BHAGAVATE VAASUDEVAYA ... |
- Lord Yama is worshiped in Jyestha month in line with Vat Savitri vow observed by married women. This is for long life of husbands and avert any ill fate.
- Lord Shiva is worshiped in Shravana month for long life and avert accidental deaths. AKAALA MRUTYU HARANAM SARVA VYAADHI VINAASHAM |
- Lord Ganesha is worshiped in Bhadrapada month for removal of obstacles in life.
- All ancestors are worshiped in Ashwin month's waning period of moon to ensure longevity of family lineage. Also, during its waxing phase, Mother Durga is worshiped to attain victory over enemies, hence the celebration of Navaratri.
- Goddess Lakshmi is worshiped in Karthika month for wealth in life.
- Universal Souls are worshiped in Margshirsh month for peace of departed souls. As they were plagued by intense animate desires during their life, offering prayers to them offers peace and grants them higher life ahead.
- Gurudeva is worshiped in Ashaad month. All the fruits obtained by worshiping other Gods can be fulfilled just by offering prayers to Gurudeva. The only requirement is that the devotee must have firm resolve that  - SARVA DEVOMAYA GURU | My Gurdev resides in all Gods. Then by this virtue, the benefits obtained by performing the rites of other Gods, although beneficial , but donot help overcome the notion of duality. Whereas praying to Gurudev offers worldly benefits and gradual upliftment from the notion of duality. Eventually, you obtain repose in the Non-duality principle.

-   Shri Sureshanandji Ahmedabad 21st July 2013

माला-अनुष्ठान के नियम –


•       शाम को जब माला पूरी हो जाये और अपने आसन से खड़े हो उसके पहले जो जप किया २५० – ३०० माला, जितनी भी की हो वो माला का फल गुरुचरणों में अर्पणकर देना चाहिये कि तेरा तुझको सौंप दें |

•       और अपने आसन से खड़े हो उसके पहले एक चम्मच शुद्ध जल वो अपने आसन के नीचे बैठे हुये ही आसन के नीचे डाल दें और फिर हाथ से लेकर अपने ललाट पर उसका तीलक कर लें, या छाँट दे इसका पूरा पूरा फल जप करने वाले को मिलता है | तो जो अनुष्ठान करते हैं ना उनको ये ख़ास ध्यान में रखना चाहिये, उनको ये फायदा होगा |
•       जप करते-करते कई बार क्या होता है कि अनुष्ठान में माला खूब करनी होती है ना तो कभी – कभी किसी को थोडा बीच में माला करते-करते झोंका आया.. माला छुट गई हाथ से तो फिर एक बार भगवान नाम बोलकर आचमन करके फिर माला शुरू करनी चाहिये |
•       समझो ५० माला की और ५१ वी माला चल रही है और उसमें माला हाथ से छुट गई  तो फिर ५१वी माला फिर से गिनना (५० नहीं ५० तो हो गई) जो माला छुट गई उससे गिनती करें आचमन करके या जैसा भी कुल्ला करके | तो उससे जप करने वाले को पूरा-पूरा फल प्राप्त होता है |
•       अनुष्ठान वालों को खास जब शाम को, रात को जब माला पूरी हो तब ऐसा कर  सके तो अच्छा हैं और जप का फल देवार्पण कर देने से विशेष लाभ होता है क्योंकि वो सोचेंगे की इसने अच्छा किया और वो फल मुझे अर्पण किया तो फिर हमारे जीवन में जो कुछ अशुभ का हिस्सा रह गया ना वो भी खींच लेगें अपनी
तरफ और फायदा हमको हो जायेगा, उनकी तरफ से |

Rules during Mala-Anusthaan
- During evening time, when you finish chanting your mala and get up from your mat, after say 250-300 rounds, whatever be the count, surrender all of it at Gurudev's feet, stating all that belongs to you if offered back to you.
- Before standing up on your mat, take a spoon of clear water and put it under your mat and then apply tilak on your forehead using the same water or sprinkle the water around so that the person doing chanting receives the entire benefits of it. Those performing anusthaan should remind themselves of this practice for best benefit.
- For those who have to chant a large number of rounds, it is possible that you may feel sleepy or drowsy... your mala may slip off from your hand... then recite Lord's name once and restart the round of mala after taking a sip of water.
- So, if you have completed say 50 rounds, and the mala slipped on your 51 round. Then after taking a sip or clearing your mouth with water, restart the 51st round. In this way, you shall get the full benefit of the anusthaan.
- Those performing anusthaan should benefit from the above by practicing submission of fruits of recitation to the Lord whenever they finish their daily rounds at evening or night time. In this way, pleased by our submission, the Gods will pull away our sins.

-   Shri Sureshanandji Ahmedabad 21st July' 2013

कर्ज से मुक्ति हेतु –

शुक्ल पक्ष हो किसी भी मास का, शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को शिवलिंग पर दूध व जल के बाद मसूर की दाल अर्पण करते हुये ये मंत्र बोले –

ॐ ऋणमुक्तेश्वर महादेवाय नम: |

तो इसे ऋण, कर्जे से मुक्ति मिलती है |

For riddance from loans
On the first Tuesday of waxing phase of moon in any month, if one offers milk, water and then little Masoor lentils on Shivlinga while reciting the following mantra -
AUM RYUNMUKTESHWAR MAHADEVAYA NAMAH |
He/she will surely be freed from past debts or loans.

-    Shri Sureshanandji Ahmedabad 21st July'2013

गुरूवार के पूजन से स्थायी लक्ष्मी –

हर गुरुवार को  तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोडा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है
| तुलसी की पूजा करने वाले के घर में लक्ष्मी स्थायी हो जायेगी |

Maintaining perpetual wealth through Thursday prayers
Offer a little amount of pure, raw milk every Thursday to Basil plant. This will ensure the permanency of wealth at home. Also, those who observe fasts or maintain vows on Thursday for pleasing Gurudev ensure that their devotion for Gurudev becomes perpetual.
Also, praying to Basil plant ensures everlasting wealth at home.

-   Shri Sureshanandji Ahmedabad 21st July' 2013

घर में सुख-शांति के लिए –

घर के मुख्य दरवाजा की जो दहलिज होती है | उस दहलिज को रोज सुबह-शाम साफ़ पानी से धो दिया जाय तो उस घर में अंदर आने वाले व बाहर जाने वाले को सुख-शांति और सफलता की प्राप्ति होती है |

For peace prosperity at home
The front porch in front of main door of your home should be cleaned in the morning and evening. One who enters or leaves such home feels himself at peace and is becomes worthy of success in later life.

-    श्री सुरेशानंदजी  – Ahmedabad 21st July'2013

Sunday, August 18, 2013

वैदिक रक्षाबंधन

प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन  का त्यौहार होता है, इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है ।

वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :

इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -
(१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने ।

इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।

इन पांच वस्तुओं का महत्त्व -

(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।
(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।
(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।

महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी । जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं ।

रक्षा सूत्र बांधते समय ये श्लोक बोलें -

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल: ।

Celebrating Rakshabandhan in Vedic manner :-

Every year, Sharavani Purnima is celebrated as the Rakshabandhan (2nd August 2012) festival. On this day, sisters tie the Raksha-Sutra (Raksha thread) on their brothers. Our scriptures have laid great significance on preparing this raksha thread in the vedic manner.
Vedic method of preparing the Raksha Sutra:

There are five items needed -
1. Durva (Grass)
2. Akshat (Rice)
3. Kesar
4. Chandan
5. Mustard grains

Significance of these five items
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1. Durva - Just as on sowing even one seed of Durva, it spreads rapidly and grows out in numbers above thousands, in the same way, I pray that My brother's lineage and his good qualities keep growing steadily. Good character and mental purity should develop progressively. Durva is Lord Ganesha's favourite which implies that all obstacles get eradicated from the life of those who are tied with a rakhi.
2.Akshat - Our devotion towards Gurudev must never give away, should always remain unbroken.
3.Kesar - The natural property of Kesar is heat i.e. may the one who is tied with a rakhi have a illustrious life. May the qualities of spirituality and devotion always flourish forth.
4. Chandan - The natural property of Chandan is cool and it emanates fragrance. Pray that he leads a composed life free of any mental tensions. Also, his life should be fragrant with selfless service to others, good character and self control.
5. Mustard seeds - The property of mustard is sharply acidic which conveys the meaning that we should be sharp in overcoming and eradicating the social ills around us.

In this way, offer a rakhi made of these 5 items firstly to Gurudev's image. Thereafter, sisters can tie them to their brothers, mothers to their children, grandmothers to their grandson after making holy resolutions. In Mahabharata, Mother Kunti had tied this raksha-sutra to her grandson Abhimanyu. As long as the thread stayed put on his hand, he stayed protected. Abhimanyu was killed only after the thread snapped.

In this way, the holy thread composed of these 5 items is to be tied in the vedic manner.
While tying the raksha- sutra, recite this shloka:

YENA BADHHO BALI RAJA, DANAVENDRO MAHBALAH
TENA TVAAM RAKSHA BANDHAMI, RAKSHE MAACHAL MAACHALAH.


सुरेशानंदजी

Monday, August 5, 2013

रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार का स्नान -

कल के दिन श्रावण महीने की रक्षाबंधन के पोर्णिमा वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है |

Ø भस्म स्नान – उसके लिए यज्ञ की भस्म थोडीसी लेकर वो ललाटपर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है | थोडा पानी लेटा दिया थोड़ी भस्म लेके लगा दिई | यज्ञ की भस्म अपने यहाँ तो है आश्रम में, पर समजो आप अपने घर पर किसीको बताना चाहें की यज्ञ की भस्म थोड़ी लगाकर श्रावणी पोर्णिमा को दसविद स्नान में पहिला ये बताया है | तो वहाँ यज्ञ की भस्म कहाँसे आयेगी तो गौचंदन धूपबत्ती घरों में जलाते है साधक | श्याम को गौचंदन धूपबत्ती जलाकर जप करें अपने इस्टमंत्र, गुरुमंत्र का तो वो जलते जलते उसकी भस्म तो बचेगी ना | तो जप भी एक यज्ञ है | तो गौचंदन की भस्म होगी यज्ञ की भस्म पवित्र मानी जाती है | वैसे गौचंदन है वो, देशी गाय के गोबर, जडीबुटी और देशी घी से बनती है | तो पहिला भस्म स्नान बताया है |

Ø मृत्तिका स्नान – 
Ø गोमय स्नान – गोमय स्नान माना गौ गा गोबर उसमे थोडा गोझरण ये मिक्स हो उसका स्नान (उसका मतलब थोडा ले लिया और शरीर को लगा दिया ) क्यों वेद ने कहाँ, इसलिए गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास माना गया है | गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला | स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय || तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढती जाय, बढती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोडा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढती जाय | गीता में जो दैवी लक्षणों के २६ लक्षण बतायें है वो मेरे भीतर बढ़ते जायें | ये तीसरा गोमय स्नान |

Ø पंचगव्य स्नान – गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य | कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते है | तो पंचगव्य स्नान थोडासा ही बन जाये तो बहोत बढियाँ नहीं बने तो गौ का गोबरवाला तो है | माने पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है वो स्वस्थ रहें, पुष्ट रहें, बलवान रहें ताकि सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें |

Ø गोरज स्नान – गायों के पैरों की मिट्टी थोड़ी ले लिई और वो लगा लिई | गवां ख़ुरेंम ये वेद में आता है इसका नाम है दशविद स्नान | रक्षाबंधन के दिन किया जाता है | गवां ख़ुरेंम निर्धुतं यद रेनू गग्नेगतं | सिरसा तेल सम्येते महापातक नाशनं || अपने सिर पर वो गाय की खुर की मिट्टी लगा दी तो महापातक नाशनं | ये वेद भगवान कहते है |

Ø धान्यस्नान – जो हमारे गुरुदेव सप्तधान्य स्नान की बात बताते है | वो सब आश्रमों में मिलता है | गेंहूँ, चावल, जौ, चना, तील, उड़द और मुंग ये सात चीजे | ये धान्यस्नान बताया | धान्योषौधि मनुष्याणां जीवनं परमं स्मरतं तेन स्नानेन देवेश मम पापं व्यपोहतु | सप्तधान स्नान ये भी पूनम के दिन लगाने का विधान है |

Ø फल स्नान – वेद भगवान कहता है फल स्नान मतलब कोई भी फल का थोडा रस लगा दिया | और कोई नहीं तो आँवला बढियाँ फल है | आँवला हरा तो मिलेगा नहीं तो थोडा आँवले की पावडर ले लिया और लगा दिया हो गया फल स्नान | मतलब हमारे जीवन में अनंत फल की प्राप्ति हो और संसारिक फल की आसक्ति छुट जाय | इसलिए आज पोर्णिमा को हे भगवान फल से रस से थोडा स्नान कर रहें है | किसीको और फल मिल जाये और थोडा लगा दिये जाय तो कोई घाटा नहीं है |

Ø सर्वोषौधि स्नान – सर्वोषौधि माना आयुर्वेदिक औषधि खाना नहीं | इस स्नान में कई जडीबुटी आती है | उसमे दूर्वा, सरसों, हल्दी, बेलपत्र ये सब डालते है उसमें वो थोडासा पावडर लेके शरीरपर रगड के स्नान किया जाता है | मेरे सब इन्द्रियाँ आँख, कान, नाक, जीभ,त्वचा ये सब पवित्र हो | इसमें सर्वोषौधि स्नान, और मेरा मन पवित्र रहें| मेरे मन में किसी बुरे विचार न आये |

Ø कुशोधक स्नान – कुश होता है वो थोडा पानी में मिला दिया और थोडा पानी हिला दिया | क्योंकि जो अपने घरमें कुश रखते है ना तो उनके पास कोई मलिन आत्माएँ नहीं आ सकती | भुत, प्रेत आदि का जोर नहीं चलता | कुश क्या है ? जब भगवान का धरती पर वराह अवतार हुआ था | तो उनके शरीर से वो उखरकर जमीन पर गिरे, लगे वही आज कुश के रूप में पाये जाते है, वो परम पवित्र है | वो कुश जहाँ पर हो वहाँ पर मलिन आत्मा नहीं आती हो तो भाग जाती है | तो कुश में पानी में थोडा हिला दिया और प्रार्थना कर दी की, मेरे मन जो मलिन विचार है, गंधे विचार है या कभी कभी आ जाते है वो सब भाग जाये | हरि ॐ ... हरि ॐ ... ॐ ,... करके उसे पानी में नहा दिया |

Ø हिरण्य स्नान – हिरण्य स्नान माने अगर अपने पास कोई सोने की चीज है | कोई सोने का गहेना वो बालटी में डाल दिया, हिला दिया और स्नान कर लिया | हिलाने के बाद वो निकाल लेना बालटी पड़ा नहीं रहेना |

तो ये दशविद स्नान वेद में बताया | श्रावण मास के पोर्णिमा का दिन किया जाता है | आप इसमें से आप जितने कर सकते हो उतने कर लेना | १ – २ न कर पाये तो जय सियाराम ... कह दे प्रभु ! हमसे जितना हो सकता था वो किया |

और जब शरीर पर पानी डाल रहे है तो ये श्लोक बोलना –

नमामि गंगे तव पाद पंकजं सुरासुरैः वंदित दिव्यरूपं |

भुक्तिचं मुक्तिचं ददासनित्यं भावानुसारें न सारे न सदा स्मरानाम ||

गंगेच यमुनेच गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी | जलस्म्ये सन्निधिं कुरु ||

ॐ ह्रीं गंगाय ॐ ह्रीं स्वाहा
||

तीर्थों का स्मरण करते हुये स्नान करें | तो ये बड़ा पुण्यदायी स्नान श्रावण पोर्णिमा (रक्षाबंधन) के दिन प्रभात को किया जाना चाहिये ऐसा वेद का आदेश है |

Listen Audio 

- श्री सुरेशानंदजी

सर्वगुणकारी तुलसी –

जहाँ तुलसीदल है वहाँ की हवा शुद्ध और पवित्र रहती है | तुलसी को “विष्णुप्रिया” माना गया है | आप भी ये पूजनीय तुलसी का पौधा लगा कर मानव के शारीरिक-मानसिक आरोग्य व अध्यात्मिक उन्नति के सत्कार्य में सहभागी हो जाये |

Ø तुलसी के पत्ते में एक विशिष्ट तेल रहता है | जो जिवानुयुक्त वायु को शुद्ध करता है | इससे मलेरिया के विषाणु भी नष्ट हो जाते है |

Ø तुलसी के पास बैठकर प्राणायम करने से शरीर में शक्ति, बुद्धि और ओज बढ़ जाते है | सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते का रस या ५ – ७ पत्ते चबाकर खा कर ऊपर से पानी पीने से शक्ति, तेज और स्मरणशक्ति बढ़ जाती है |

Ø तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है | तुलसी सौन्दर्यवर्धक व रक्तशोधक है (रक्त शुद्ध करनेवाली) |

Ø तुलसी किडनी की कार्यक्षमता बढाती है | कोलेस्ट्रोल का प्रमाण नियंत्रित कराती है | ह्रदयरोग में तुलसी का आश्चर्यजनक लाभ दिखता है | आँतो के विकारों में भी रामबाण उपाय है |

Ø तुलसी के नित्य सेवन से एसिडिटी नहीं रहती | स्नायु के रोग, सरदर्द, भारीपन, बच्चों को सर्दी, खाँसी, जुलाब, उलटी, जंत (७०% बच्चे के पेट में जंत रहते है |) आदि में लाभदायक है |

सावधानी – अमावश्या, पोर्णिमा, द्वादशी इन दिनों में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिये | रविवार के दिन भी नहीं तोड़ने चाहिये और खाने भी नहीं चाहिये | तुलसी का सेवन करने के बाद दो घंटे आगे या पीछे दूध नहीं पीना |

Ø गले में तुलसी की माला डालने से जीवनशक्ति बढती है | और बहुत सारे रोगों से मुक्ति मिलती है | तुलसी के माला पर भगवन्नाम जप करने कल्याणकारी है |

Ø मृत्यु के समय मृतक के मुँह में तुलसीदल का पानी डालने से वो सर्व पाप से मुक्त होकर वैकुंठ में जाता है |

(ब्रम्हवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड :२१.४२ )


- लोक कल्याण सेतु – जुलाई २०१३ से

Ever beneficial - Basil

Wherever one can find Basil shrubs, the air around that place becomes pure and holy. Basil is also extolled as Lord Vishnu's favourite. Even you can benefit from the holy service to mankind by planting a Basil shrub to enhance the physical and mental well being of those around you.

- Basil leaves consist of a special oil which can purify air borne ailments. It can even kill away the germs of malaria.

- Doing pranayam in presence of Basil enhances physical strength, intellect and vigour. Taking extracts of 5-7 Basil leaves or chewing them on an empty stomach in the morning daily along with water helps enhance strength, aura and memory retention.

- Basil has supreme medicinal properties. Basil enhances beauty and purifies blood.

- Basil enhances the strength of kidneys, regulates cholesterol. Basil provides miraculous benefits over heart ailments. It is also a sureshot remedy for intestinal ailments.

- Regular consumption of Basil eradicates acidity.  It offers relief from headaches, neural damage, heaviness, children's cough, cold, diarrhoea, vomiting, jant (more than 70% children suffer from jant).

Caution:

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One must never pluck basil leaves on moonless, full moon, twelfth lunar days. One should also never pluck leaves or consume Basil on Sundays. One must never drink milk either two hours before or after taking Basil.

- Wearing Basil necklace enhances life vigour and also offers freedom from numerous ailments. Reciting mantras on Basil rosary is considered very pious.

- During death, putting water from Basil shrubs in the dead person's mouth offers relief from all sins and is established in Vaikuntha, free from sins.

(Brahma Vaivartha Purana, Prakriti Khanda 21.42)

(From Lok Kalyan Setu, July 2013)