सुवर्ण प्रज्ञा, स्मृति,
वीर्य, कान्ति तथा ओजवर्धक एवं ह्रदय, मस्तिष्क व यकृत को बल देनेवाला और मन को
प्रसन्न करनेवाला है | चाँदी शीत, पुष्टिकारक, वातशामक, वृद्धावस्था को दूर
रखनेवाली व बलवर्धक है | लौह रक्तवर्धक, रक्तशुद्धिकर, धातु-दौर्बल्य दूर करनेवाला
व पुष्टिदायक है | पीतल विष व कृमि नाशक है | ये सभी धातुएँ रसायन अर्थात शरीरस्थ
सप्तधातुओं की वृद्धि करनेवाली व शरीर को बलवान बनानेवाली हैं |
इन धातुओं के २५ से ५० ग्राम
जे टुकड़े अथवा इनसे बनी कोई भी वस्तुएँ लें | इस बात का ध्यान रखें कि धातुएँ
शुद्ध हों, उनमें अन्य धातुओं की मिलावट न हो | बिना टाँकेवाली चीजें इस्तेमाल
करना ज्यादा सुरक्षित है |
सामान्यत: चारों धातुओं
के टुकड़े या दो-तीन जितनी भी उपलब्ध हों उतनी धातुओं के टुकड़े १ लीटर पानी में डाल
के धीमी आँच पर उबालें | आधा पानी शेष रहने पर बर्तन उतार लें | यह पानी सुबह खाली
पेट पीने से बहुत सारे रोग नष्ट हो जाते हैं व रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है | इस
प्रयोग से शारीरिक बल में चमत्कारिक वृद्धि होती है | पानी जितना अधिक उबलेगा,
धातुओं के गुण उतनी अधिक मात्रा में पानी में उतरेंगे व वह उतना ही अधिक बलप्रद
होगा |
ऋषिप्रसाद – मई २०१८ से
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