कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं
बह्राशिनं निष्ठुरवाक्यभाषिणीम् |
सूर्योदये
ह्यस्तमयेऽपि शायिनं विमुत्र्चति श्रीरपि चक्रपाणिम् ||
‘जो मलिन वस्त्र धारण
करता है, दाँतों को स्वच्छ नहीं रखता, अधिक भोजन करनेवाला है, कठोर वचन बोलता है,
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय भी सोता है, वह यदि साक्षात् चक्रपाणि विष्णु हों
तो उन्हें भी लक्ष्मी छोड़ देती हैं |’ (गरुड़ पुराण : ११४.३५)
ऋषिप्रसाद – मई २०१८ से
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