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Sunday, September 5, 2021

कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा

 

अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:...... शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें | जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है | 

इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा | अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||’ जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें | ऐसा १० बार करें | कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा |


ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२१ से

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