अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:...... शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें | जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है |
इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को
भगाने में बड़ी मदद देगा | अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से
श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||’
जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें | ऐसा १० बार करें | कैसा भी रोगी, कैसा
भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा |
ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२१ से
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