अभी सर्दियों का मौसम चल रहा है | जैसे रिजर्व फंड
(आरक्षित निधि) बैंक में पड़ा होता है तो कभी भी काम आता है ऐसे ही इस समय किया हुआ
च्यवनप्राश का सेवन वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति को मजबूत बनाये रखता है | आचार्य
चरकजी ने च्यवनप्राश को ‘रसायन’ कहा है | रसायन शरीर की पाचन-प्रक्रिया को सुधारकर
शरीर के कोशों को नवीन करता है | यह यौवन और दीर्घायु प्रदायक व सप्तधातुओं को
पुष्ट करनेवाला है |
ऐसा सर्वगुणसंपन्न ‘च्यवनप्राश’ आश्रम के पवित्र एवं
आध्यात्मिक वातावरण में सेवाभावी साधकों द्वारा तैयार किया जाता है | इसकी मुख्य
विशेषता यह है कि इसमें शरद पूनम की चाँदनी में पुष्ट हुए ताजे, वीर्यवान आँवलों व
५६ से भी अधिक बहुमूल्य वनौषधियों का समावेश होता है | यह बल-वीर्य, स्मरणशक्ति और
बुद्धिशक्ति बढानेवाला तथा शरीर को कांतिमान बनानेवाला है | यह वीर्य-विकार और
स्वप्नदोष दूर करता है | यह फेफड़ों को मजबूत करता है, ह्रदय को ताकत देता है,
पुरानी खाँसी और दमे में बहुत फायदा करता है | इसका सेवन बालक, वृद्ध सभी वर्षभर
कर सकते हैं |
सेवन-मात्रा : सुबह खाली पेट बच्चे ५ से १० ग्राम तथा
बड़े १० से २० ग्राम सेवन करें |
विशेष : उपरोक्त च्यवनप्राश के साथ केसरयुक्त स्पेशल
च्यवनप्राश भी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों व समितियों से प्राप्त हो
सकता है | स्पेशल च्यवनप्राश में ५६ बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के साथ हिमालय से लायी
गयी दिव्य औषधि वज्रबला तथा चाँदी, लौह, बंग व अभ्रक भस्म, केसर आदि भी मिलाये
जाते हैं, जिससे यह विशेष गुणवान और प्रभावशाली हो जाता है |
दमे कि समस्या में ख़ास प्रयोग सुबह १० से २० ग्राम
च्यवनप्राश गुनगुने पानी में घोलकर लें | इससे श्वसन-संस्थान व प्राणों को बल
मिलता है | वज्र रसायन टेबलेट कि एक गोली सुबह शहद के साथ लेना भी हितकर हैं |
ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२१ से
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