अनेक बीमारियों में लाभकारी श्रेष्ठ कंद ‘सूरन’
आयुर्वेद के भावप्रकाश ग्रंथ में आता है : ‘सर्वेषां
कन्द्शाकानां सूरण: श्रेष्ठ उच्यते|’ अर्थात सम्पूर्ण कंदशाकों में सूरन श्रेष्ठ कहलाता है |
सूरन कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि का अच्छा
स्त्रोत है | इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ‘ए’, ‘सी’ व ओमेगा-३ फैटी एसिड भी पाये
जाते हैं | यह पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक, भूखवर्धक, रुचिकारक तथा कफ व वात शामक होता
है |
यह बवासीर में लाभदायी है | इससे यकृत कि कार्यशीलता
बढती है व शौच साफ़ होता है | यह अरुचि आँतों कि कमचोरी, खाँसी, दमा, प्लीहा की
वृद्धि, आमवात, गठिया, कृमि, कब्ज आदि समस्याओं में लाभकारी है |
पुष्टिदायक व पथ्यकर सूरन की सब्जी
सूरन के टुकडो को उबाल लें और देशी गाय के घी अथवा
कच्ची घानी के तेल में जीरा डालकर छौंक लगायें व धनिया, हल्दी, काली मिर्च, सेंधा
नमक आदि डाल के रसेदार सब्जी बनायें | यह सब्जी रुचिकारक, पथ्यकर व पुष्टिदायक
होती है | बवासीर में सूरन की सब्जी में मिर्च नहीं डालें |
बवासीरवालों के लिए ख़ास प्रयोग
अर्श (बवासीर) की समस्यावालो के लिए उत्तम औषधि होने
से सूरन को अर्शोघ्न’ भी कहा जाता है | भोजन में सूरन की सब्जी तथा ताजे दही से
बनाये तक्र ( ताजा मट्ठा) में आधा से १ ग्राम जीरा-चूर्ण व सेंधा नमक मिलाकर लें |
दिन में दोपहर तक थोडा-थोडा मट्ठा पिनालाभ्कारी होता है | इस प्रयोग से सभी प्रकार
की बवासीर में लाभ होता है | यह प्रयोग ३० से ४५ दिन तक करें | इस प्रयोग के पहले
व बीच-बीच में सामान्य रेचन द्वारा कोष्ठशुद्धि (पेट कि सफाई) कर लेनी चाहिए |
रेचन हेतु त्रिफला चूर्ण अथवा त्रिफला टेबलेट का उपयोग कर सकते हैं |
सावधानी :तीक्ष्ण व उष्ण होने से गर्भवती महिलाओं तथा
रक्तपित्त व त्वचा-विकारवालों को सूरन का सेवन नहीं करना चाहिए | इसके अधिक सेवन
से कब्ज होने की सम्भावना होती है | सूरन के उपयोग से यदि गले में जलन या खुजली
जैसा हो तो नीबू अथवा इमली का सेवन करें |
अनेक बीमारियों का जनक निकृष्ट कंद ‘आलू’
आचार्य चरकजी ने चरक संहिता (सूत्रस्थान :२५:३९) में
आलू को सभी कंदों में सर्वाधिक अहितकर बताया है |
आलू शीतल, रुक्ष, पचने में भारी, जठराग्नि को मंद
करनेवाला, मलावरोधक तथा कफ व वायु को बढानेवाला है | आलू को तलने से वह विषतुल्य
बन जाता है | इसके सेवन से मोटापा, मधुमेह, सर्दी, बुखार, दमा, सायटिका, जोड़ों का
दर्द, आमवात, ह्रदय-विकार आदि समस्याएँ उप्तन्न होती हैं |
ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२१ से
No comments:
Post a Comment