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Wednesday, January 26, 2022

औषधीय गुणों से भरपूर – हल्दी


 प्राचीन काल से ही भोजन, घरेलू उपचार व आयुर्वेदिक औषधि के रूप में तथा मांगलिक कार्यो में हल्दी का उपयोग होता आ रहा है | हल्दी रक्तशुद्धिकर होने से शरीर के सभी अंगों पर कार्य करती है | यह यकृत को बलवान बनाती है | रस, रक्त, मेद व शुक्र धातुओं की शुद्धि का कार्य कर असंख्य रोगों से रक्षा करती है एवं शरीर का बल बढाती है | हल्दी में कई प्रकार के जीवाणुओं को नष्ट करने तथा विष का नाश करने का सामर्थ्य पाया जाता है |

 

चरक संहिता में इसे ‘बिषघ्नी’ व ‘कुष्ठघ्नी’ ( त्वचा-रोगनाशक) कहा गया है | यह उत्तम कांतिवर्धक है | उष्ण होने से कफ-वातनाशक और कडवी होने से पित्तशामक भी है | हल्दी का प्रयोग मुख्यत: रक्त व त्वचा विकार, मधुमेह आदि प्रमेह, कृमि, सूजन तथा कफजन्य रोग जैसे – जुकाम, खाँसी, दमा, गला बैठ जाना आदि में किया जाता है | यह रक्त की वृद्धि करती है तथा रक्तस्राव को शीघ्र रोकती है | आमदोष का पाचन करनेवाली होने से यह बुखार, दस्त, पेचिश व संग्रहणी में उपयोगी है | यह शीतपित्त में बहुत गुणकारी है | प्रसूति के पश्च्यात गर्भाशय की शुद्धि व उसे बल देने के लिए हल्दी का सेवन अवश्य करना चाहिए | इसमें माता का दूध भी शुद्ध हो जाता है |

सर्दियों में थोड़ी-सी कच्ची हल्दी नियमितरूप से लेना बहुत लाभदायक है | इससे कई बीमारियों से रक्षा होती है |

बाजारू मिलावटी हल्दी कि अपेक्षा घर कि पीसी हुई शुद्ध हल्दी का उपयोग करें | हल्दी के सूखे कंद पानी में उबालने से नर्म हो जाते है | फिर उन्हें सुखाकर ऊपर का छिलका उतार के पीस लिया जाता है |

प्रमेय कि उत्तम औषधिप्रमेह

प्रमेह ( २० प्रकार के मूत्र-संबंधी विकार, जैसे- मधुमेह, शुक्रमेह आदि) के लिए हल्दी श्रेष्ठ औषधि है |

शुक्रमेह अर्थात मूत्र के साथ शुक्र धातु के जाने कि समस्या में १ ग्राम हल्दी का चूर्ण २० मि.ली. आँवले के रस में अथवा ३ से ५  ग्राम आँवला चूर्ण व १ चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करें | इससे थोड़े ही दिनों में लाभ होता है |

श्वेतप्रदर में हल्दी के काढ़े में १ चम्मच शहद मिलाकर पीने से राहत मिलती है तथा गर्भाशय की शुद्धि व पुष्टि भी होती है |

कुछ औषधीय प्रयोग

१] बवासीर : हल्दी को देशी गाय के घी में घिसकर बवासीर पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है |

२] आँख आना : एक भाग हल्दी को २० भाग पानी में उबाल के काढ़ा बना लें एवं छान के ठंडा कर लें | इसकी २ – २ बूँदे आँख में दिन में दो बार डालें | इस ठंडे काढ़े में भीगे हुए सूती कपड़े से आँखों को ढकें | इससे आँख कि वेदना कम होती है तथा कीचड़ आना भी कम होता है |

३] सुजाक रोग में : इसमें पेशाब गाढ़ा, वेदनायुक्त, बार-बार और थोडा-थोडा होता है | २०० मि.ली. पानी में २ ग्राम हल्दी और ६ ग्राम आँवला चूर्ण मिलाकर धीमी आँच पर उबालें | पानी आधा शेष रहने पर छानकर गुनगुना पियें | इससे पेशाब की जलन कम होती है, पेशाब व मल साफ़ आने लगते हैं |

४] चोट एवं मोच होने पर : गिरने अथवा किसी प्रकार से अंदरूनी चोट पहुँची हो तो १ – २ ग्राम हल्दी को गुड़ के साथ खाने से अथवा दूध में हल्दी डालकर उबाल के लेने से दर्द में राहत मिलती है | अंदरूनी चोट व मोच पर हल्दी का गर्म लेप करने से भी लाभ होता है | चोट लगकर रक्तस्त्राव हो रहा हो तो हल्दी का चूर्ण लगाने से बह तुरंत बंद हो जाता है, घाव जल्दी भर जाता है व विषाणुओं के संक्रमण से रक्षा भी होती है |



लोककल्याण सेतु – जनवरी २०२२ से     

Friday, January 7, 2022

इन तिथियों व योगों का लाभ अवश्य लें

 


१७ जनवरी : माघ स्नानारम्भ

२८ जनवरी : षट्तिला एकादशी (स्नान, उबटन, जलपान, भोजन, दान व होम में तिल के उपयोग से पाप-नाश)

३१ जनवरी : सोमवती अमावस्या ( दोपहर २:१९ से १ फरवरी सूर्योदय तक) (तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता नाश)

५ फरवरी : वसंत पंचमी ( इस दिन सारस्वत्य मन्त्र का जप विशेष लाभदायी, अधिक-से-अधिक जप करें |)

७ फरवरी : माघ शुक्ल सप्तमी ( प्रात: पुण्यस्नान व व्रत करके गुरु-पूजन करने से सम्पूर्ण माघ-स्नान के फल व वर्षभर के रविवार व्रत के पुण्य की प्राप्ति तथा सम्पूर्ण पापों का नाश व सुख-सौभाग्य की वृद्धि )

९ फरवरी : बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से सुबह ८:३२ तक)

१२ फरवरी : जया एकादशी (व्रत से ब्रह्महत्यातुल्य पाप व पिशाच्यत्व का नाश)

१३ फरवरी : विष्णुपदी संक्रान्ति (पुण्यकाल :सूर्योदय से दोपहर १२.:५३ तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल)

१४ फरवरी : मात्रृ – पितृ पूजन दिवस, माघ शुक्ल त्रयोदशी इस दिन से माघी पूर्णिमा (१६ फरवरी) तक प्रात: पुण्यस्नान तथा दान, व्रत आदि पुण्यकर्म करने से सम्पूर्ण माघ-स्नान का फल |)

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

 

       

अर्घ्य देकर करें अभीष्ट की सिद्धि

 

(भीमाष्टमी : ८ फरवरी)

वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च |

अर्घ्य ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे ||

इस मन्त्र से भीष्माष्टमी के दिन भीष्मजी को तिल, गंध, पुष्प, गंगाजल व कुश मिश्रित  अर्घ्य देने से अभीष्ट सिद्ध होता है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

थकान मिटाने हेतु

 

ध्यान-भजन करने बैठे और थकान लगे तो क्या करे ? पलथी मार के बैठो और शरीर को चक्की कि नाई गोल घुमाओ | अनाज पीसने कि हाथ्वाली चक्की घूमती है न गोल, ऐसे थोड़ी देर घुमाओ, फिर उसकी विपरीत दिशा में भी घुमाओ | 

फिर अपने-आप घूमेगा थोड़ी देर |इससे थकान मिटेगी, ताजगी आयेगी |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

कलह, धन-हानि व रोग-बाधा से परेशान हों तो ....

 

घर में कलहपूर्ण वातावरण, धन-हानि एवं रोग-बाधा से परेशानी होती हो तो आप अपने घर में मोरपंख कि झाड़ू या मोरपंख पूजा-स्थल में रखें | 

नित्य नियम के बाद मन-ही-मन भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए इस पंख या झाड़ू को प्रत्येक कमरे में एवं रोग-पीड़ित के चारों तरफ गोल-गोल घुमाये |

कुछ देर ‘ॐकार ‘ का कीर्तन करें-करायें | ऐसा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा ऊपरी एवं बुरी शक्तियों का प्रभाव भी दूर हो जाता है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

स्वस्थ जीवन व ध्यान-भजन में उन्नति हेतु

 

जिह्वा के गुलाम न बनकर सात्त्विक, ताजा आहार ही लेना, भूख से थोडा कम खाना तथा पेट साफ़ रखना – यह स्वस्थ जीवन के लिए तो जरूरी है ही, साथ ही ध्यान-भजन में मन लगने व शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यावश्यक है | कहा भी गया है :

 पेट सही तो सब सही, पेट खराब तो सब खराब |

कम खाओ, गम खाओ | पेट पर ध्यान दो |

लंघन अर्थात उपवास स्वास्थ्य का परम हितैषी एवं रोगी का परम मित्र है | वाग्भट्टजी ने इसे परम औषध कहा है : ‘लड़घनं परमौषधम |’

अष्टांगह्रदय (सूत्रस्थान : २.१९ ) में आता है: जीर्णे हितं मितं चाधान्न |’ पहले किये हुए भोजन के पच जाने के पश्चात जो हितकर भोजन हो उसे भूख से थोड़ी कम मात्रा में खायें |’ यह स्वास्थ्य का मूल मन्त्र है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

मखाने (कमल बीज) की बल, वीर्य व शक्ति वर्धक पौष्टिक खीर

 


लाभ : यह खीर रक्त, बल-वीर्य वर्धक व उत्तम पित्तशामक है | अनिद्रा, कमजोरी, धातु कि दुर्बलता, सगर्भावस्था, प्रदररोग, प्रसब के बाद की दुर्बलता और पित्त-प्रकोप से उत्पन्न जलन आदि में लाभदायी है |

मखाना (कमल बीज) हड्डियों को मजबूत करता है एवं कब्ज में फायदेमंद है | इसमें विटामिन बी-१ पाया जाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के कार्यों में मदद करता है | आँखों की कमजोरी, जोड़ों के दर्द, उच्च रक्तचाप व ह्रदयरोगों में यह हितकर हैं | बुढापे में भी यह लाभदायी है, त्वचा में झुर्रियाँ नहीं पड़ने देता |

 

विधि : एक बर्तन में १ छोटा चम्मच देशी घी हलका-सा गरम करके उसमें थोड़ी-सी खसखस डालकर उसका कच्चापन दूर होने तक थोड़ी देर सेंक लें | इसमें १ गिलास दूध, थोडा-सा पानी, ५-१० ग्राम मखाना (कमल बीज)  और स्वादानुसार मिश्री डालकर धीमी आँच पर ५ मिनट उबालें | खीर तैयार है |

सुबह गुनगुनी  खीर का सेवन करें | खीर खाने के कम-से-कम २ घंटे तक कुछ भी न खायें | इसे बिना मिश्री के मधुमेह में भी ले सकते हैं |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

खजूर की पाचक व पौष्टिक चटनी



बड़ी उम्र में भूख कम हो जाती है | भोजन पचता नही. हैं तो फिर गैस, अपच, कब्ज जैसी बीमारियाँ भी होती है | २ – ३ खजूर अच्छी तरह धोकर गुठली निकाल दो | ५ ग्राम अदरक, थोडा-सा सेंधा नमक और काली मिर्च ले लो | पुदीना, धनिया भी डालना तो तो डाल सकते हो | 

इन सबकी चटनी बना लो और वह खा लो | फिर देखो तुम कितनी रोटी हजम करते हो ! इससे पेट भारी नहीं रहता है | यह चटनी पौष्टिक और बलप्रद भी है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

गुणकारी व लाभदायी खजूर- तिल पाक

 सामग्री : १ किलो खजूर, २५० ग्राम सफेद तिल, २५० ग्राम मिश्री, ५० ग्राम गोंद एवं १०० ग्राम देशी घी |

विधि : तिलों को कड़ाही में हलका – सा सेंक लें | गोंद एवं खजूर को अलग-अलग पीस लें | अब देशी घी में गोंद डालकर धीमी आँच पर भूने फिर इसमें खजूर तथा तिल मिला के भून लें | अंत में मिश्री मिला दें |

सेवन – मात्रा : सुबह खाली पेट २० से २५ ग्राम |

गुण और उपयोग : खजूर एक उत्कृष्ट रक्तवर्धक है | तिलों में कैल्शियम एवं लौह तत्त्व दोनों प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं | तिल दाँत, हड्डी, त्वचा और बालों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं | खजूर एवं तिलों से बने इस पाक के सेवन से रक्ताल्पता, शारीरिक दुर्बलता और थकावट दूर हो जाती है | कमर-दर्द, गृध्रसी और मस्तिष्क-दौर्बल्य को दूर करने के लिए यह प्रयोग बहुत लाभदायी है |

सावधानी : इस पाक में तिल होने से इसका सेवन दूध के साथ नहीं करना चाहिए |

 

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

शरीर को स्वच्छ व पुष्ट करनेवाला गेहूँ का चोकर

कई लोग गेहूँ के आटे को छानकर उसके चोकर (भूसी) को व्यर्थ समझ के फेंक देते है पर वह चोकर हमारे लिए बहुत ही लाभकारी है | गेहूँ के चोकर में निहित पोषक तत्त्वों व रेशों के कारण यह स्वास्थ्य-प्रदायक व रोग-निवारक है | यह पाचन-संस्थान को मजबूती देता है | आँतों एवं रक्त कि शुद्धि कर बल, स्फूर्ति व वीर्य कि वृद्धि करता है | कफ व मल को निष्कासित करता है | इस कारण यह शारीरिक दुर्बलता, खाँसी, दमा, कब्ज, मधुमेह, ह्रदयरोग, मोटापा आदि में लाभदायक है | चोकर प्रोटीन का उत्तम स्त्रोत है | इसमें भरपूर मात्रा में रेशे पाये जाते हैं | सामान्यत: दैनिक २५-३० ग्राम रेशों की आवश्यकता पूरी हो जाती है  जो कि ६०-७० ग्राम चोकर से पूरी हो जाती है |

चोकर में जिंक, मैग्नेशियम, ताँबा, मैगनीज, फॉस्फोरस एवं विटामिन बी -१, बी-२, बी-३, बी-५ तथा विटामिन ई आदि पोषक तत्त्व पाये जाते हैं | वैज्ञानिक अनुसंधानो के अनुसार चोकर रक्त में इम्यूनो-ग्लोब्युलिंस की  मात्रा बढाता है, जिससे शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता बढती है |

चोकर प्री-बायोटिक्स का उत्तम स्त्रोत है, जो हमारी आँतों में रहनेवाले हितकारी जीवाणुओं का आहार है | इससे उन जीवाणुओ की वृद्धि होकर आँते स्वस्थ होती है | यह मल की मात्रा व आँतों की क्रियाशीलता व मजबूती को बढाकर आँतों में चिपके हुए मल को साफ़ करता है |

चोकर के प्रयोग से बड़ी आँत एवं मलाशय के कैंसर से रक्षा होती है | यह उच्च रक्तचाप, बवासीर तथा भंगदर से रक्षा करता है | आमाशय के घावों को ठीक करता है तथा कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करके मोटापा एवं ह्रदयरोग से भी रक्षा करता है | अत: अति लाभकारी चोकर को फेंकें नहीं, चोकरयुक्त ताजे आटे का ही प्रयोग करें | भूलकर भी बाजार में उपलब्ध चोकरसहित महीन आटे का उपयोग न करें, यह अनेक स्वास्थ्य-समस्याओं को उत्पन्न करता है |

चोकर के कुछ पुष्टिकर प्रयोग    

चोकर के लड्डू : ५०० ग्राम चोकर के कड़ाही में ३-४ चम्मच देशी घी में सेंक लें | इसमें २५० ग्राम गुड़, १०० ग्राम खजूर, ५० ग्राम किशमिश या मनुक्का व थोड़ी इलायची मिलाकर खरल में कूट के इसके लड्डू बना लें | ये लड्डू पुष्टिकारक तथा रक्त व वल-वीर्य वर्धक है |

चोकर का हलवा : ५० ग्राम चोकर को सेंक लें | एक गिलास खौलाते हुए पानी में ५० ग्राम गुड़ घोल दें | इसमें सेंका हुआ चोकर डालकर धीमी आँच पर अच्छे- से पकायें | फिर २ चम्मच घी डाल के नीचे उतार लें | चाहें तो इलायची, काजू, बादाम अथवा किशमिश आदि भी डाल सकते हैं | यह हलवा स्वादिष्ट, सुपाच्य तथा कब्ज में लाभदायी है |

पौष्टिकता से भरपूर चोकर की खीर :चोकर थोड़ी देर भिगोकर रखें | इसे कम पानी में धीमी आँच पर उबालें | पकने पर इसमें दूध और स्वादानुसार मिश्री व खजूर डाल के थोड़ी देर उबालें | यह पौष्टिक खीर ऊर्जा देनेवाली, रक्त बढानेवाली व कब्ज निवारक है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

विद्या के ६ विघ्न

 स्वच्छन्दत्वं धनार्थित्वं प्रेमभावोऽथ भोगिता |

अविनीतत्वमालस्यं विद्याविघ्नकराणि षट ||

‘स्वच्छंदता अर्थात मनमुखता, धन की इच्छा, किसीके (विकारी) प्रेम में पड़ जाना, भोगप्रिय होना, अनम्रता, आलस्य – ये ६ विद्या के विघ्न है |’

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

 

बल ही जीवन है

 बल ही जीवन है, दुर्बलता मौत है | जो नकारात्मक विचार करनेवाले हैं वे दुर्बल हैं, जो विषय-विकारों के विचार में उलझता है वह दुर्बल होता है लेकिन जो निर्विकार नारायण का चिंतन, ध्यान करंता है और अंतरात्मा का माधुर्य पाता है उसका मनोबल, बुद्धिबल और आत्मज्ञान बढ़ता है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से

बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?

 बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति |  भूतकाल कि बातें याद क्रेक ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ...’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है | और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूँगा, ऐसा बनूँगा....’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है | और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता बह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ ...’ इस प्रकार का चिंतन, थोडा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा |

बुद्धि बढाने के ४ तरीके

१] शास्त्र का पठन

२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान

३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना

४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य

 

जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है | जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना?  ‘यह मिल गया, यह मिल गया...’ मिल गया तो क्या है !

ज्यादा सुखी - दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है | जैसे बच्चे कि कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है लेकिन जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुबिधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है | अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है | जो रहता है उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी |

 

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से