Tips for an all round Success in Life from His Holiness Saint Shri Asharamji Bapu.
स्वच्छन्दत्वं धनार्थित्वं प्रेमभावोऽथ भोगिता |
अविनीतत्वमालस्यं विद्याविघ्नकराणि षट ||
‘स्वच्छंदता अर्थात मनमुखता, धन की इच्छा, किसीके (विकारी) प्रेम में पड़ जाना, भोगप्रिय होना, अनम्रता, आलस्य – ये ६ विद्या के विघ्न है |’
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२२ से
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