पेशाब संबंधी - पलाश के फुल पेशाब संबंधी तकलीफे दूर कर देता है |
आँख संबंधी - आँखे – डोळे जलते हो १-२ फुल घोट के पानी में लें |
गरमी संबंधी - तो पलाश के पुष्प का काढ़ा निकाल के पानी में थोडा मिश्री डालके पीने से गरमी भाग जाती है |
रतोंधी संबंधी - रात को नही देखने की रतोंधी की बिमारी शुरवात वाली उनके भी पलाश के फूलों के रस आँख में डालने से रात को नहीं दीखता है तो दिखने लगेगा | आँख आने पर पलाश के रस में शुद्ध शहद डाल कर मिलाकर आँखों आजाने से भी आँखे ठीक होती है |
गर्भवती को - एक पलाश का फुल पीसकर दूध मिलाके गर्भवती स्त्री को रोज पिलाओ तो बालक को बल भी बढ़ता है, वीर्य भी बढता है, संतान भी सुंदर होती है | और जिसको संतान नहीं वो भी पिये तो उनको संतान होने में मदद मिलती है |
बच्चे के पेट में कृमी हो तो - पलाश के बीज ३ से ६ ग्राम चूर्ण सुबह दूध के साथ ३ दिन तक लें ४ थे दिन सुबह १० से १५ मि.ली. एरंड का तेल गरम दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि सब निकाल जाती है |
बच्चों के लिये - पपीते का नास्ता कराने से, पपीते के बीज खिलाने से बच्चे की पेट की तकलीफ ठीक होती है | पलाश के और बेल के सूखे पत्ते और गाय का घी और मिश्री सब मिलाके धूप करने से बुद्धि की शक्ति बहुत बढती है | आश्रम में धूपबत्ती बनाई जाती है: पलाश के पत्ते, मिश्री, घी, बेल पत्ते से, गोचंदन उससे प्राणायम करने से बच्चों की बुद्धि बढती है | ( आश्रम में ये धूपबत्ती उपलब्ध है : गौ चन्दन धूपबत्ती के नाम से )
बवासीर हो तो - बवासीर है तो पलाश के पत्तों की सब्जी, घी और थोडा दही डाल के खाये तो बवासीर ठीक हो जाती है |
पेशाब में खून आता हो तो - पलाश की छाल, नाक से अथवा पेशाब से या शोच से खून आता हो तो पलाश के पेड़ की छाल का काढ़ा ५० ग्राम बनाकर उसको पिलाओ ठंडा करके मिश्री मिलाकर तो खून नाक से आता हो, पेशाब की जगह से आता हो, शोच की जगाह से आता हो खून बंद हो जायेगा |
वीर्यवान बनना हो तो - पलाश का गोंद १ ग्राम से ३ ग्राम मिश्री युक्त दूध में घोल के पिलाओ तो वीर्यवान बनेगा, नामर्द भी मर्द बनेगा | कमजोर भी बलवान हो जायेगा |
संग्रहणी हो तो - ये गोंद गरम पानी में घोलकर पीने से संग्रहणी मिट जाती है, दस्त मिट जाती है, आराम मिलता है |
कुष्ठरोग हो तो - पलाश के फुल कुष्ठरोग, दाह, वायु संबंधी बीमारी, पित्त, कफ, तृषार, रक्तदोष एवं मृतक्रुष आदि रोगों को भगाने में बड़ा काम करते है |
रक्तसंचार के लिए - पलाश के फुलोंका प्राकृतिक नारंगी रंग रक्तसंचार में और रक्तवृद्धि में काम करता है |
शक्तिवर्धक - मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ–साथ मानसिक शक्ति और इच्छा शक्ति को बढाता है | पलाश का रंग शरीर की सप्तधातुओं और सप्तरंगों में संतुलन स्थापित करता है, त्वचा की सुरक्षा करता है तथा उष्णीय, गरम तापमान रहने की शक्ति देता है | इससे शरीर की गरमी सहन करने की योग्यता, क्षमता बढती है | और जिनकी क्षमता नहीं वो चिडचिडे हो जाते है, गुस्सेबाज हो जाते है और गरमी संबंधी बिमारियों के शिकार हो जाते है | जैसे पलाश के फूलों का रंग छिडकना चालु किया तो कालसर्प भी भाग जाता है और सूर्य की तीखी किरणों से भी रक्षा हो जाती है |
Medicinal qualities of Palaash
Urinary troubles: Palaash flower can help overcome urinary troubles.
Eyes: If the eyes burn, then take water with 1-2 flowers mashed in it.
Heat troubles: Make an extracted concoction of palaash petals and drink it with water mixed with rock sugar. This will drive away heat from the body.
Night blindness: If having early troubles in night vision, putting a few drops of palaash flower extract in eyes will help in improving sight at night. Even in advanced stages, using palaash extract with honey can cure the eyes.
Pregnancy: Take a palaash flower, mash it in milk and serve it to pregnant lady everyday. This will aid the proper growth of womb. She will also give birth to a beautiful baby. Those who could not bear any children will also benefit from this.
Worms in child's stomach: Taking powdered seeds of palaash, 3-6 grams with milk in the morning for three to four days or taking 10 to 15 ml of castor oil in the morning with milk will help in removing any worms in stomach.
Children: Giving papaya for breakfast or serving children papaya seeds are very beneficial in removing any stomach troubles. Dry leaves of palaash and bel mixed with cow ghee and rock sugar mixed together to form an incense is very beneficial in improving child's intellect. Incense sticks are made in Ashram which include palaash leaves, rock sugar, cow ghee, bel leaves, gau chandan. Using these during pranayam definitely improve a child's intelligence. This incense sticks are available at Ashram under the name of - Gau chandan.
Haemorroids: To cure haemorroids, take vegetables made of palaash leaves with added ghee and little curd on the side.
Blood in urine: If you get blood from nose or from urine or stool, then take pieces of palaash bark and use it to make concoction of around 50 grams and serve it cold to the patient with rock sugar.
Improve virility: Taking gum from palaash tree with rock sugar and milk can make the most impotent guy virile. It also improves body vigour.
Colitis or Irritable bowel syndrome: Using the same gum with warm water can cure colitis, provide great relief and also help overcome diarrhoea.
Leprosy: Palaash flower can drive away leprosy, heat , cough or wind related problems, blood disorders and many other similar ailments.
Blood circulation: Palaash flower owing to their natural orange colour help in blood circulation and improving blood level in the body.
Strength and vigour: It helps in keeping muscles in good shape and also improves mental stability and will power. The colours of palaash stabilise the seven colours and seven elements of our body. It protects the skin and gives the ability to sustain in heat and warm temperatures. It aids the body's ability to withstand heat. Those who do not have this capacity become irritated, angry and victims of heat related ailments. Sprinkling colours made of palaash flower helps drive away Kaalsarp - ill omen and also gives strength to withstand the direct rays of sun.
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आँख संबंधी - आँखे – डोळे जलते हो १-२ फुल घोट के पानी में लें |
गरमी संबंधी - तो पलाश के पुष्प का काढ़ा निकाल के पानी में थोडा मिश्री डालके पीने से गरमी भाग जाती है |
रतोंधी संबंधी - रात को नही देखने की रतोंधी की बिमारी शुरवात वाली उनके भी पलाश के फूलों के रस आँख में डालने से रात को नहीं दीखता है तो दिखने लगेगा | आँख आने पर पलाश के रस में शुद्ध शहद डाल कर मिलाकर आँखों आजाने से भी आँखे ठीक होती है |
गर्भवती को - एक पलाश का फुल पीसकर दूध मिलाके गर्भवती स्त्री को रोज पिलाओ तो बालक को बल भी बढ़ता है, वीर्य भी बढता है, संतान भी सुंदर होती है | और जिसको संतान नहीं वो भी पिये तो उनको संतान होने में मदद मिलती है |
बच्चे के पेट में कृमी हो तो - पलाश के बीज ३ से ६ ग्राम चूर्ण सुबह दूध के साथ ३ दिन तक लें ४ थे दिन सुबह १० से १५ मि.ली. एरंड का तेल गरम दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि सब निकाल जाती है |
बच्चों के लिये - पपीते का नास्ता कराने से, पपीते के बीज खिलाने से बच्चे की पेट की तकलीफ ठीक होती है | पलाश के और बेल के सूखे पत्ते और गाय का घी और मिश्री सब मिलाके धूप करने से बुद्धि की शक्ति बहुत बढती है | आश्रम में धूपबत्ती बनाई जाती है: पलाश के पत्ते, मिश्री, घी, बेल पत्ते से, गोचंदन उससे प्राणायम करने से बच्चों की बुद्धि बढती है | ( आश्रम में ये धूपबत्ती उपलब्ध है : गौ चन्दन धूपबत्ती के नाम से )
बवासीर हो तो - बवासीर है तो पलाश के पत्तों की सब्जी, घी और थोडा दही डाल के खाये तो बवासीर ठीक हो जाती है |
पेशाब में खून आता हो तो - पलाश की छाल, नाक से अथवा पेशाब से या शोच से खून आता हो तो पलाश के पेड़ की छाल का काढ़ा ५० ग्राम बनाकर उसको पिलाओ ठंडा करके मिश्री मिलाकर तो खून नाक से आता हो, पेशाब की जगह से आता हो, शोच की जगाह से आता हो खून बंद हो जायेगा |
वीर्यवान बनना हो तो - पलाश का गोंद १ ग्राम से ३ ग्राम मिश्री युक्त दूध में घोल के पिलाओ तो वीर्यवान बनेगा, नामर्द भी मर्द बनेगा | कमजोर भी बलवान हो जायेगा |
संग्रहणी हो तो - ये गोंद गरम पानी में घोलकर पीने से संग्रहणी मिट जाती है, दस्त मिट जाती है, आराम मिलता है |
कुष्ठरोग हो तो - पलाश के फुल कुष्ठरोग, दाह, वायु संबंधी बीमारी, पित्त, कफ, तृषार, रक्तदोष एवं मृतक्रुष आदि रोगों को भगाने में बड़ा काम करते है |
रक्तसंचार के लिए - पलाश के फुलोंका प्राकृतिक नारंगी रंग रक्तसंचार में और रक्तवृद्धि में काम करता है |
शक्तिवर्धक - मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ–साथ मानसिक शक्ति और इच्छा शक्ति को बढाता है | पलाश का रंग शरीर की सप्तधातुओं और सप्तरंगों में संतुलन स्थापित करता है, त्वचा की सुरक्षा करता है तथा उष्णीय, गरम तापमान रहने की शक्ति देता है | इससे शरीर की गरमी सहन करने की योग्यता, क्षमता बढती है | और जिनकी क्षमता नहीं वो चिडचिडे हो जाते है, गुस्सेबाज हो जाते है और गरमी संबंधी बिमारियों के शिकार हो जाते है | जैसे पलाश के फूलों का रंग छिडकना चालु किया तो कालसर्प भी भाग जाता है और सूर्य की तीखी किरणों से भी रक्षा हो जाती है |
Medicinal qualities of Palaash
Urinary troubles: Palaash flower can help overcome urinary troubles.
Eyes: If the eyes burn, then take water with 1-2 flowers mashed in it.
Heat troubles: Make an extracted concoction of palaash petals and drink it with water mixed with rock sugar. This will drive away heat from the body.
Night blindness: If having early troubles in night vision, putting a few drops of palaash flower extract in eyes will help in improving sight at night. Even in advanced stages, using palaash extract with honey can cure the eyes.
Pregnancy: Take a palaash flower, mash it in milk and serve it to pregnant lady everyday. This will aid the proper growth of womb. She will also give birth to a beautiful baby. Those who could not bear any children will also benefit from this.
Worms in child's stomach: Taking powdered seeds of palaash, 3-6 grams with milk in the morning for three to four days or taking 10 to 15 ml of castor oil in the morning with milk will help in removing any worms in stomach.
Children: Giving papaya for breakfast or serving children papaya seeds are very beneficial in removing any stomach troubles. Dry leaves of palaash and bel mixed with cow ghee and rock sugar mixed together to form an incense is very beneficial in improving child's intellect. Incense sticks are made in Ashram which include palaash leaves, rock sugar, cow ghee, bel leaves, gau chandan. Using these during pranayam definitely improve a child's intelligence. This incense sticks are available at Ashram under the name of - Gau chandan.
Haemorroids: To cure haemorroids, take vegetables made of palaash leaves with added ghee and little curd on the side.
Blood in urine: If you get blood from nose or from urine or stool, then take pieces of palaash bark and use it to make concoction of around 50 grams and serve it cold to the patient with rock sugar.
Improve virility: Taking gum from palaash tree with rock sugar and milk can make the most impotent guy virile. It also improves body vigour.
Colitis or Irritable bowel syndrome: Using the same gum with warm water can cure colitis, provide great relief and also help overcome diarrhoea.
Leprosy: Palaash flower can drive away leprosy, heat , cough or wind related problems, blood disorders and many other similar ailments.
Blood circulation: Palaash flower owing to their natural orange colour help in blood circulation and improving blood level in the body.
Strength and vigour: It helps in keeping muscles in good shape and also improves mental stability and will power. The colours of palaash stabilise the seven colours and seven elements of our body. It protects the skin and gives the ability to sustain in heat and warm temperatures. It aids the body's ability to withstand heat. Those who do not have this capacity become irritated, angry and victims of heat related ailments. Sprinkling colours made of palaash flower helps drive away Kaalsarp - ill omen and also gives strength to withstand the direct rays of sun.
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Pujya Bapuji Nashik 10th Mar' 2013 -
1 comment:
Hari om Arogyanidhi me jungli kide kat le toh kya krna chahiye jaise ki madumakhi,bicchu,bhamar,etc ke baare me nai hai please ise bhi add karein... Hariom
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