“गुरु ….गुरु” के जप से भक्तों का मनोरथ पूरा होता है |
भगवान शिवजी कहते है: गुरु मंत्रों मुखे यस्य, तस्य सिद्धि न अन्यथा गुरु लाभात सर्व लाभों गुरु हीनस्थ बालिश: |
जिसके
जीवन में गुरु नही है उसका कोई सच्चा हित करने वाला भी नहीं है | जिसके
जीवन में गुरु है वो चाहे बहार से शबरी भीलन जैसा गरीब हो फिर भी सोने की
लंका वाले रावन से शबरी आगे आ गयी, रहिदास चमार हो फिर भी गुरु मन्त्र है
मीरा के तरणहार हो गए |
गुरु शब्द बहुत powerful है और
गुरुदर्शन, गुरु blessing बहुत बहुत कल्याण करता है | तो बोले 'गु'कार सिद्धि
प्रोक्तो रेफ़ पापस्य हारक | गुरु में ‘र’ जो है पापनाशक है | 'ऊ'कारो
विष्णु अव्यक्त: त्रेआत्मा: गुरु परः | ये तीनो शब्द गुरु शब्द के है
| गुरु शब्द का ‘ग’कार सिद्धि देनेवाला, ‘र’कार पाप हरनेवाला ‘ऊ’कार
अव्यक्त विष्णु भगवान से मिलानेवाला | गुरु वो है जो श्रेष्ठ है और तीनों से
पार भी है | ये आगमसार ग्रंथ है उसका श्लोक मैंने तुमको सुनाया |
Lord Shiva exclaims: GURU MANTRO MUKHE YASYA, TASYA SIDDHI NA ANYATHA | GURU LABHAAT SARVA LABHOO, GURU HINASTHU BAALISHAH ||
There is none who can offer true benefit in one's life
for one who does not have a Guru yet. But one who has a Guru, lest she
looks like Shabri backwards tribe from Bhelan, even then she scored over the egoistic Ravana from the golden Lanka. Even a cobbler named Rahidas or devoted Meera, all were blessed by Guru Mantra.
Guru word is very powerful and his holy sight, his blessings are supremely beneficial. 'Gu' syllable is referred as SIDDHI PROKTO REF PAAPASYA HAARAK | 'R' syllable in Guru destroys all sins. 'Uu' syllable is extolled as AVYAKTA TRETAATMAH GURU PARAH
| These three syllables comprise Guru word. "G" syllable offers
accomplishments, "R" drives away sins, "U" unites us with the unspoken
Lord Vishnu. GURU is supreme and is above all three syllables too. This
is a supreme scripture whose shloka has now been narrated to you.
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Fulfilling desires
"Guru.... Guru" This recitation helps fulfill desires of devotees.Listen Audio
- Pujya Bapuji Hyderabad 4th July' 2013
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